राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस | 01 Jul 2022
सांख्यिकी और आर्थिक योजना के क्षेत्र में दिवंगत प्रोफेसर और वैज्ञानिक प्रशांत चंद्र महालनोबिस के कार्यों और योगदानों के सम्मान में भारत प्रत्येक वर्ष 29 जून को राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस मनाता है।
- इस अवसर पर सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) भी इस उद्देश्य के लिये स्थापित पुरस्कारों के माध्यम से प्रायोगिक और सैद्धांतिक सांख्यिकी के क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान द्वारा आधिकारिक सांख्यिकीय प्रणाली में उत्कृष्ट योगदानों को मान्यता प्रदान करता है।
दिवस की मुख्य विशेषताएंँ:
- उद्देश्य:
- दैनिक जीवन में सांख्यिकी के उपयोग को लोकप्रिय बनाना और जनता को इस बात के प्रति संवेदनशील बनाना कि सांख्यिकी नीतियों को आकार देने तथा तैयार करने में किस प्रकार मदद करती है।
- सामाजिक-आर्थिक नियोजन में सांख्यिकी की भूमिका के बारे में विशेष रूप से युवा पीढ़ी के बीच जन जागरूकता बढ़ाना।
- वर्ष 2022 के लिये थीम: 'सतत विकास के लिये आँकड़े’।
- प्रत्येक वर्ष सांख्यिकी दिवस को वर्तमान राष्ट्रीय महत्त्व के विषय के साथ मनाया जाता है।
प्रशांत चंद्र महालनोबिस
- परिचय:
- प्रशांत चंद्र महालनोबिस एक विश्व प्रसिद्ध भारतीय सांख्यिकीविद् थे जिन्होंने वर्ष 1932 में भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) की स्थापना की थी।
- वह एक प्रशिक्षित भौतिक विज्ञानी थे, अपने शिक्षक डब्ल्यू एच मैकाले के कहने पर उन्होंने ‘बायोमेट्रिका’ नामक किताब पढ़ी। इस किताब को पढ़ने के बाद ही इनका रुझान सांख्यिकी की ओर होने लगा। इस किताब से प्रभावित होकर उन्होंने पत्रिका के संस्करणों का पूरा सेट खरीद लिया।
- उन्होंने जल्द ही पता लगाया कि मौसम विज्ञान और मानव-विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में सांख्यिकी का उपयोग किया जा सकता है तथा यह उनके वैज्ञानिक जीवन में एक महत्त्वपूर्ण क्षण साबित हुआ।
- डॉ. महालनोबिस ने सांख्यिकी में कई योगदान दिये, जिसमें 'महालनोबिस दूरी' भी शामिल है, जो एक सांख्यिकीय माप है। इसके अलावा वह भारत में एंथ्रोपोमेट्री या मानव माप के अध्ययन के क्षेत्र में अग्रणी थे और उन्होंने बड़े पैमाने पर नमूना सर्वेक्षण एवं नमूनाकरण विधियों के डिज़ाइन में सहायता की।
- उन्होंने फेल्डमैन-महालनोबिस मॉडल भी बनाया, जो आर्थिक विकास का एक नव-मार्क्सवादी मॉडल था जिसका उपयोग भारत की दूसरी पंचवर्षीय योजना में किया गया था, जिसने देश में तेज़ी से औद्योगीकरण को बढ़ावा दिया।
- महालनोबिस ने भारत के पहले योजना आयोग में भी कार्य किया। उन्हें पद्म विभूषण सहित कई पुरस्कार भी मिले।
रवींद्रनाथ टैगोर के साथ संबंध:
- वे पहली बार 1910 में शांति निकेतन में मिले थे।
- महालनोबिस के करीबी रवींद्रनाथ टैगोर ने सांख्य के दूसरे खंड में लिखा है, "ये समय और स्थान के क्षेत्र में संख्याओं के नृत्य चरण हैं, जो उपस्थिति की माया को बुनते हैं, परिवर्तनों का निरंतर प्रवाह जो कभी है और नहीं है।"
- महालनोबिस ने प्रतिष्ठित बंगाली पत्रिका प्रोबाशी के लिये 'रवींद्र परिचय' ('रवींद्र का परिचय') नामक निबंधों की एक शृंखला लिखी।
- पीसी महालनोबिस ने भी विश्व भारती की स्थापना में रवींद्रनाथ टैगोर की मदद की।
- कालक्रम:
- 1930: पहली बार ‘महालनोबिस दूरी’ का प्रस्ताव किया गया, जो दो डेटा सेट के बीच तुलना हेतु एक माप है।
- कई आयामों में माप के आधार पर एक बिंदु और वितरण के बीच की दूरी को खोजने के लिये सूत्र का उपयोग किया जाता है। यह क्लस्टर विश्लेषण (Cluster Analysis)और वर्गीकरण (Classification) के क्षेत्र में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
- 1932: कोलकाता में ISI की स्थापना, जिसे वर्ष 1959 में राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान घोषित किया गया।
- 1933: 'सांख्य: द इंडियन जर्नल ऑफ स्टैटिस्टिक्स' की शुरुआत।
- 1950: राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (National Sample Survey) की स्थापना और सांख्यिकीय गतिविधियों के समन्वय के लिये केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (Central Statistical Organisation- CSO) की स्थापना।
- 1955: योजना आयोग के सदस्य बने और वर्ष 1967 तक उस पद पर बने रहे।
- उन्होंने भारत की दूसरी पंचवर्षीय योजना (1956-1961) तैयार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने भारत में औद्योगीकरण और विकास का खाका तैयार किया।
- 1968: पद्म विभूषण से सम्मानित।
- उन्हें अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा भी कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।
- 1930: पहली बार ‘महालनोबिस दूरी’ का प्रस्ताव किया गया, जो दो डेटा सेट के बीच तुलना हेतु एक माप है।