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शुक्र ग्रह के अत्यधिक शुष्क होने का रहस्य

  • 23 May 2024
  • 2 min read

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया है कि एक अभिक्रिया, जिसे HCO+ डिसोसिएटिव रीकॉम्बिनेशन रियेक्शन (Dissociative recombination Reaction- DR) कहा जाता है, जो शुक्र की सतह के ऊपर होती है, ग्रह में जल के समाप्त होने के लिये उत्तरदायी है।

    • DR तब होता है जब HCO+ एक इलेक्ट्रॉन को अवशोषित करता है तथा यह HCO+, CO और एक हाइड्रोजन परमाणु में विघटित हो जाता है तथा जल बिना वाष्पीकरण के नष्ट होने के बाद अंतरिक्ष में चला जाता है।
      • वैज्ञानिकों द्वारा उद्धृत अन्य कारण:
        • शुक्र का प्रतिकूल वातावरण CO2 के ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण होता है।
        • शुक्र की सूर्य से निकटता (उष्ण और UV किरणें जल के अणुओं को H व O2 परमाणुओं में तोड़ देती हैं)।
    • शुक्र (पृथ्वी का जुड़वाँ) सूर्य के बाद दूसरा ग्रह और छठा सबसे बड़ा ग्रह है।
      • यह चंद्रमा के बाद रात्रि के समय आकाश में दिखाई देने वाला दूसरा सबसे चमकदार प्राकृतिक पिंड है।
        • शुक्र ग्रह का अपना कोई चंद्रमा या उपग्रह नहीं है।
      • केवल शुक्र (वीनस) और अरुण (यूरेनस) अपनी धुरी पर दक्षिणावर्त दिशा में घूर्णन करते हैं, जबकि अन्य सभी ग्रह  वामावर्त दिशा में घूर्णन करते हैं।
      • चूँकि शुक्र को अपनी धुरी पर एक घूर्णन पूरा करने में सूर्य की परिक्रमा करने में अधिक समय लगता है, इसलिये शुक्र पर एक दिन वास्तव में एक वर्ष से अधिक लंबा होता है।

    Solar_System

    और पढ़ें: शुक्र का विवर्तनिक इतिहास

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