मानसून क्रोक्स बायोब्लिट्ज | 17 Jun 2024

स्रोत:द हिंदू

केरल वन अनुसंधान संस्थान (KFRI) मानसून क्रोक्स बायोब्लिट्ज़ 2024 का आयोजन कर रहा है। 

  • "मानसून क्रोक्स बायोब्लिट्ज़" चार महीने तक चलने वाली सार्वजनिक भागीदारी वाली विज्ञान परियोजना है जिसका उद्देश्य जून से सितंबर तक चलने वाले मानसून के मौसम के दौरान केरल के मेंढकों का दस्तावेज़ीकरण करना है। 
  • इसके तहत वैज्ञानिक अवलोकन, वैश्विक जैवविविधता सूचना सुविधा (Global Biodiversity Information Facility- GBIF) डेटाबेस का हिस्सा होगा, जिसका उपयोग जैवविविधता जागरूकता, आवास संरक्षण, प्रजातियों के संरक्षण आदि के लिये किया जा सकता है। 
  • इस परियोजना का उद्देश्य मेंढकों की सुरक्षा के लिये प्रमुख आवासों की पहचान करना है, जो पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य के संकेतक के रूप में कार्य करते हैं। 
  • जलवायु परिवर्तन, असामयिक वर्षण प्रतिरूप, आवास विखंडन एवं जल प्रदूषण जैसे कारक, मेंढकों के अस्तित्व को चुनौती दे रहे हैं, जिसके कारण विश्व के 41% मेंढक संकटग्रस्त प्रजातियों की IUCN की रेड लिस्ट में शामिल हैं।
  • अकेले केरल में मेंढक की 200 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनके लिये संरक्षण प्रयास आवश्यक हैं। 
    • यहाँ सर्वाधिक देखी जाने वाली प्रजाति में वायनाड बुश फ्रॉग (Pseudophilautus wynaadensis) शामिल है, जिसके बाद एशियन कॉमन टोड (Duttaphrynus melanostictus) का स्थान है। 
    • यहाँ दर्ज की गई महत्त्वपूर्ण उभयचर प्रजातियों में गंभीर रूप से संकटग्रस्त (Critically Endangered) रेस्प्लेंडेंट श्रब फ्रॉग (Raorchestes resplendens), संकटग्रस्त मालाबार टोरेंट टोड (Blaira ornata), सुभेध अन्नामलाई फ्लाइंग फ्रॉग (Rhacophorus pseudomalabaricus) और संकटापन्न पर्पल फ्रॉग (Nasikabatrachus sahyadrensis) शामिल हैं। 

वैश्विक जैव विविधता सूचना सुविधा (GBIF):

  • यह सरकारों द्वारा वित्तपोषित एक इंटरनेशनल ओपन डेटा इंफ्रास्ट्रक्चर है। यह किसी को भी, कहीं भी पृथ्वी पर सभी प्रकार के जीवों के बारे में डेटा तक पहुँच प्रदान करता है।

और पढ़ें: भारत को जैवविविधता चैंपियन बनाना