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प्लास्टिक अपशिष्ट प्रदूषण के निवारण में सूक्ष्मजीवों का उपयोग

  • 08 Feb 2022
  • 5 min read

अर्जेंटीना के वैज्ञानिकों की एक टीम अंटार्कटिका के मौलिक विस्तार में मौजूद ईंधन और संभावित प्लास्टिक प्रदूषण को साफ करने के विचार का पता लगाने के लिये मूल रूप से अंटार्कटिका में पाए जाने वाले माइक्रोब्स (सूक्ष्मजीवों) का उपयोग कर रही है।

  • यह महाद्वीप वर्ष 1961 के मैड्रिड प्रोटोकॉल द्वारा संरक्षित है जो यह निर्धारित करता है कि इसे एक प्राचीन अवस्था में रखा जाना चाहिये।
  • विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों हेतु हर वर्ष 300 मिलियन टन से अधिक प्लास्टिक का उत्पादन किया जाता है। प्रति वर्ष कम-से-कम 14 मिलियन टन प्लास्टिक समुद्र में फैक दिया जाता है और यह सतही जल से लेकर गहरे समुद्र में तलछट तक कुल समुद्री मलबे का लगभग 80% हिस्सा होता है।

सूक्ष्मजीवों पर कैसे किया गया यह शोध?

  • शोधकर्त्ताओं ने अंटार्कटिक समुद्र से प्लास्टिक के नमूने एकत्र किये और यह पता लगाने का प्रयास किया कि सूक्ष्मजीव प्लास्टिक का उपभोग कर रहे हैं या केवल उन्हें राफ्ट के रूप में उपयोग कर रहे हैं।
  • इसके बाद टीम ने जैवोपचार की प्रक्रिया का उपयोग किया। 
  • टीम ने नाइट्रोजन, आर्द्रता (Humidity) और वातन (Aeration) के साथ रोगाणुओं को उनकी स्थितियों को अनुकूलित करने में मदद की।
  • इस कार्य में स्थानिक सूक्ष्मजीवों (बैक्टीरिया और कवक जो दूषित होने के बावजूद अंटार्कटिक की मृदा में रहते हैं) की क्षमता का उपयोग किया जाता है तथा इन सूक्ष्मजीवों को हाइड्रोकार्बन के उपभोग हेतु मजबूर किया जाता है।
  • ये सूक्ष्म रोगाणु अपशिष्टों को छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित कर उनका उपभोग करते हैं और इस प्रकार जमे हुए अंटार्कटिक में स्थित अनुसंधान केंद्रों में बिजली तथा ऊष्मा के स्रोत के रूप में उपयोग किये जाने वाले डीज़ल के कारण होने वाले प्रदूषण के लिये एक प्राकृतिक क्लीनिंग सिस्टम का निर्माण करते हैं।
  • प्लास्टिक अपशिष्ट के मामले में सूक्ष्मजीव किस प्रकार मदद कर सकते हैं, इस विषय पर शोध से व्यापक पर्यावरणीय मुद्दों का समाधान मिलने की संभावना है।

बायोरेमेडिएशन:

  • इसे उस प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें पर्यावरण में मौजूद दूषित पदार्थों को उनकी मूल स्थिति से हटाने एवं बेअसर करने के लिये सूक्ष्मजीवों या उनके एंज़ाइमों का उपयोग किया जाता है।
  • बायोरेमेडिएशन का उपयोग तेल रिसाव या दूषित भू-जल को साफ करने में किया जाता है।
  • बायोरेमेडिएशन के तहत ‘इन सीटू’- संदूषण को साइट पर  या ‘एक्स सीटू’- संदूषण को साइट से दूर ले जाकर हटाया जाता है।

BIOREMEDIATION

बायोरेमेडिएशन के लाभ:

  • बायोरेमेडिएशन पूरी तरह से प्राकृतिक प्रक्रियाओं पर आधारित है जो पारिस्थितिक तंत्र को होने वाले नुकसान को कम करता है।
  • बायोरेमेडिएशन की प्रक्रिया अक्सर भूमिगत की जाती है, जहांँ भू-जल और मिट्टी में दूषित पदार्थों को साफ करने हेतु सूक्ष्म जीवों को पंप किया जा सकता है।
    • नतीजतन, बायोरेमेडिएशन से आस-पास के समुदाय उतने प्रभावित नहीं होते जितना कि अन्य सफाई/शुद्धिकरण पद्धतियों के कारण होते हैं।
    • पर्यावरण में "संशोधन/सुधार", जैसे कि गुड़, वनस्पति तेल, या साधारण वायु, सूक्ष्मजीवों के पनपने हेतु परिस्थितियों का अनुकूलन करते हैं, जिससे बायोरेमेडिएशन प्रक्रिया के पूरा होने में तेज़ी आती है।
  • बायोरेमेडिएशन प्रक्रिया में अपेक्षाकृत कुछ हानिकारक गौण उत्पाद निर्मित होते हैं  (मुख्य रूप से इस तथ्य के कारण कि संदूषक और प्रदूषक जल और कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैसों में परिवर्तित हो जाते हैं)।
  • अधिकांश सफाई विधियों की तुलना में बायोरेमेडिएशन सस्ता है क्योंकि इसमें पर्याप्त उपकरण या श्रम की आवश्यकता नहीं होती है।

स्रोत: द हिंदू 

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