प्रारंभिक परीक्षा
उल्कापिंड (ALH) 84001
- 15 Jan 2022
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हाल ही में साइंस जर्नल में प्रकाशित एक नया अध्ययन उल्कापिंड (ALH) 84001 नामक उल्कापिंड की सतह पर कार्बनिक यौगिकों के अस्तित्व के लिये एक स्पष्टीकरण प्रदान करता है।
- यह वर्ष 1984 में मंगल ग्रह से पृथ्वी पर उतरा और संभवतः मंगल (लाल ग्रह) पर जीवन के अस्तित्त्व को उजागर कर सकता है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- एलन हिल्स (ALH) 84001 नाम का उल्कापिंड दिसंबर 1984 में अंटार्कटिका में एलन हिल्स के सुदूर पश्चिमी आइसफ़ील्ड में एक अमेरिकी उल्का मिशन में पाया गया था। इसकी खोज के समय इसे एक असामान्य चट्टान के रूप में पहचाना गया था।
- खोज के समय इसके बारे में वर्णित किया गया था कि यह एक गोल ईंट या एक बड़े आलू के आकार का लगभग 6 इंच लंबा और आंशिक रूप से काले काँच के साथ कवर किया गया था।
- वर्ष 2021 में नासा के ‘पर्सिवरेंस रोवर’ ने मंगल ग्रह की चट्टान का पहला नमूना एकत्र किया।
- यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि उल्कापिंड मंगल ग्रह/लाल ग्रह से आया है क्योंकि कुछ गैसों के निशान की उपस्थिति मंगल ग्रह के वातावरण के समान है।
- एलन हिल्स (ALH) 84001 नाम का उल्कापिंड दिसंबर 1984 में अंटार्कटिका में एलन हिल्स के सुदूर पश्चिमी आइसफ़ील्ड में एक अमेरिकी उल्का मिशन में पाया गया था। इसकी खोज के समय इसे एक असामान्य चट्टान के रूप में पहचाना गया था।
- अध्ययन:
- अध्ययन में कहा गया है कि उल्कापिंड में पाए जाने वाले कार्बनिक यौगिक, जल और चट्टानों के बीच परस्पर क्रिया का परिणाम थे जो मंगल पर विद्यमान थे। यह पृथ्वी पर हुई प्रक्रिया के समान थी।
- इस प्रकार की गैर-जैविक, भूवैज्ञानिक प्रतिक्रियाएंँ कार्बनिक कार्बन यौगिकों के एक पूल को निर्मित करने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं जिनसे जीवन का विकास संभव था और एक ऐसा आधार प्रस्तुत करता है जिसे मंगल पर पिछले जीवन के साक्ष्य की खोज करते समय ध्यान में रखा जाना चाहिये।
- मंगल ग्रह पर जीवन की खोज केवल इस प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास नहीं है कि 'क्या हम अकेले हैं, बल्कि यह प्रारंभिक पृथ्वी के वातावरण से भी संबंधित है और 'हम कहाँ से आए हैं' के प्रश्न का भी उत्तर देने का प्रयास है।
- उल्कापिंडों के अध्ययन का महत्व:
- अंतरिक्ष एजेंसियों ने क्षुद्रग्रहों का अध्ययन करने में सक्षम होने के लिये विशिष्ट मिशन शुरू किये हैं।
- ऐसा ही एक उदाहरण नासा का ओएसआईआरआईएस-आरईएक्स मिशन (NASA’s OSIRIS-REx mission) है जिसे वर्ष 2018 में क्षुद्रग्रह बेन्नू (Asteroid Bennu) तक पहुँचने और प्राचीन क्षुद्रग्रह से नमूना वापस लाने के उद्देश्य से लॉन्च किया गया था।
- वैज्ञानिक उल्कापिंडों का अध्ययन करने में रुचि रखते हैं क्योंकि उनकी जाँच से सौर मंडल और पृथ्वी की शुरुआत के बारे में सुराग मिलते हैं।
- अंतरिक्ष एजेंसियों ने क्षुद्रग्रहों का अध्ययन करने में सक्षम होने के लिये विशिष्ट मिशन शुरू किये हैं।
उल्का, उल्कापिंड और क्षुद्रग्रह के बीच अंतर:
- उल्का (meteor), उल्कापिंड (meteorite) और क्षुद्रग्रह (Meteoroid) के बीच का अंतर और कुछ नहीं बल्कि वस्तुएँ है।
- क्षुद्रग्रह (meteoroid) अंतरिक्ष में ऐसी वस्तुएँ हैं जिनका आकार धूल के कणों से लेकर छोटे क्षुद्रग्रहों तक होता है। जैसे कि अंतरिक्ष चट्टान।
- जब क्षुद्रग्रह पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं तो उन्हें उल्का (meteors) कहा जाता है।
- लेकिन अगर कोई क्षुद्रग्रह पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर ज़मीन से टकराता है तो उसे उल्कापिंड (meteorite) कहते हैं।