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मेटा का प्रोजेक्ट वॉटरवर्थ

  • 19 Feb 2025
  • 2 min read

स्रोत: द हिंदू

मेटा द्वारा प्रोजेक्ट वॉटरवर्थ में अरबों डॉलर का निवेश किया जा रहा है, इसके तहत समुद्र के नीचे केबल नेटवर्क शामिल है जो 7,000 मीटर की गहराई के साथ 50,000 किलोमीटर तक विस्तारित होगा।  

  • यह भारत, अमेरिका, ब्राज़ील, दक्षिण अफ्रीका एवं अन्य क्षेत्रों को जोड़ने वाली विश्व की सबसे लंबी तथा तकनीकी रूप से सबसे उन्नत केबल प्रणाली होगी।
  • इसके वर्ष 2030 तक शुरू होने की उम्मीद है और इससे AI और डिजिटल सेवाओं की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सकेगा।
  • सब-सी केबल (पनडुब्बी केबल): ये समुद्र तल पर बिछाई गई उच्च क्षमता वाली ऑप्टिक फाइबर केबल हैं, जो उच्च गति डेटा विनिमय के क्रम में वैश्विक कनेक्टिविटी प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। 
    • इसमें पूर्ण आंतरिक परावर्तन के माध्यम से डिजिटल जानकारी संचारित करने के क्रम में तेज़ गति वाले प्रकाश स्पंदों का उपयोग किया जाता है। 
    • इसमें काँच के तंतुओं को प्लास्टिक और कभी-कभी स्टील के तार की परतों द्वारा संरक्षित किया जाता है।
    • उपग्रह संचार के विपरीत, फाइबर ऑप्टिक्स से असीमित बैंडविड्थ एवं लो लेटेंसी मिलती है और यह अंतरिक्ष मौसम, विकिरण या मलबे से अप्रभावित रहते हैं।

Optic_Fibre_Cables

  • भारत द्वारा जल्द ही दो केबल प्रणालियाँ शुरू की जाएंगी: 
    • इंडिया एशिया एक्सप्रेस (IAX) द्वारा चेन्नई और मुंबई को सिंगापुर, थाईलैंड एवं मलेशिया से जोड़ना शामिल है।
    • इंडिया यूरोप एक्सप्रेस (IEX) द्वारा चेन्नई और मुंबई को फ्राँस, ग्रीस, सऊदी अरब, मिस्र एवं जिबूती से जोड़ना शामिल है।

और पढ़ें: अंतःसमुद्री (अंडरसी) केबल नेटवर्क

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