मेदराम जात्रा | 15 Feb 2022
जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा मेदराम जात्रा त्योहार 2022 और जनजातीय संस्कृति उत्सव के लिये 2.26 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है।
- तेलंगाना के दूसरे सबसे बड़े जनजातीय समुदाय कोया जनजाति द्वारा चार दिनों तक मनाए जाने वाले कुंभ मेले के बाद मेदराम जात्रा भारत का दूसरा सबसे बड़ा मेला है।
प्रमुख बिंदु
- मेदराम जात्रा को ‘सम्मक्का सरलम्मा जात्रा’ के नाम से भी जाना जाता है।
- यह एक आदिवासी त्योहार है जो एक अन्यायपूर्ण कानून के खिलाफ शासकों के विरुद्ध एक माँ और बेटी, सम्मक्का और सरलम्मा की लड़ाई का प्रतीक है।
- यह तेलंगाना राज्य में मनाया जाता है। यह वारंगल ज़िले के तड़वई मंडल के मेदराम गाँव से प्रारंभ होता है।
- मेदराम एतुर्नगरम वन्यजीव अभयारण्य में एक दूरस्थ स्थान है, जो दंडकारण्य का एक हिस्सा है, यह इस क्षेत्र का सबसे बड़ा जीवित वन क्षेत्र है।
- यह दो साल में एक बार "माघ" (फरवरी) के महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।
- लोग अपने वज़न के बराबर मात्रा में देवी-देवताओं को बंगारम/बेल्लम (गुड़) चढ़ाते हैं और गोदावरी नदी की सहायक नदी जम्पन्ना वागु में पवित्र स्नान करते हैं।
- इसे वर्ष1996 में एक राज्य महोत्सव घोषित किया गया था।
कोया जनजाति:
- परिचय:
- कोया जनजाति तेलंगाना की सबसे बड़ी आदिवासी जनजाति है और तेलंगाना में अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe) के रूप में सूचीबद्ध है।
- यह समुदाय तेलुगू भाषी राज्यों तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में फैला हुआ है।
- कोया स्वयं को लोकप्रिय रूप में डोराला सट्टम (लॉर्ड्स ग्रुप) और पुट्टा डोरा (ओरिजिनल लॉर्ड्स) कहते हैं। गोंड जनजाति की तरह कोया अपनी बोली में स्वयं को "कोइतूर" कहकर बुलाते हैं।
- गोदावरी और सबरी नदियाँ जो अपने मूल क्षेत्र से होकर बहती हैं कोया के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन पर गहरा प्रभाव डालती हैं।
- आवास और आजीविका:
- कोया मुख्यतः स्थायी रूप से बसे हुए किसान हैं। वे ज्वार, रागी, बाजरा और अन्य मोटे अनाज उगाते हैं।
- भाषा:
- कोया जनजाति के बहुत से लोग अपनी ‘कोया भाषा’ को भूल गए हैं और उन्होंने तेलुगू को अपनी मातृभाषा के रूप में अपना लिया है, लेकिन कुछ अन्य हिस्सों में अभी भी कोया भाषा का प्रयोग किया जाता है।
- धर्म और त्योहार:
- भगवान भीम, कोर्रा राजुलु, मामिली और पोटाराजू कोया जनजाति के महत्त्वपूर्ण देवता हैं।
- उनके मुख्य त्योहार ‘विज्जी पांडम’ (बीज आकर्षक त्योहार) और ‘कोंडाला कोलुपु’ (पहाड़ी देवताओं को खुश करने का त्योहार) हैं। कोया के कई धार्मिक पदाधिकारी हैं जो अपने धार्मिक जीवन के विभिन्न पहलुओं में भाग लेते हैं।