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समुद्री उष्ण तरंगें और ट्वाइलाइट ज़ोन

  • 23 Oct 2024
  • 8 min read

स्रोत: इडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, एक अध्ययन में शोधकर्त्ताओं ने समुद्र में वृहत स्तर पर अप्रत्याशित ट्वाइलाइट ज़ोन (गोधूलि क्षेत्र) में समुद्री उष्ण तरंगों (MHW) और शीत लहरों का प्रेक्षण किया।

  • शीत लहर असामान्य रूप से ठंडे मौसम की अवधि को संदर्भित करती है, जो प्रायः कई दिनों या उससे अधिक समय तक प्रवाहित होती है। 

समुद्री उष्ण तरंगें (MHWs)

  • MHW एक चरम मौसमी घटना है। यह तब होती है जब समुद्र के किसी विशेष क्षेत्र का सतही तापमान कम-से-कम पाँच दिनों के लिये औसत तापमान से 3 या 4 डिग्री सेल्सियस अधिक हो जाता है। MHW कई सप्ताह, महीनों या सालों तक प्रवाहित हो सकती है।
  • ये घटनाएँ प्रवाल विरंजन, समुद्री घास के विनाश और समुद्री वनों की हानि से संबंधित हैं, जिससे मत्स्य पालन क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
  • समुद्री उष्ण तरंगों के सबसे आम कारणों में समुद्री धाराएँ शामिल हैं, जो गर्म पानी और वायु-समुद्री ताप प्रवाह वाले क्षेत्रों का निर्माण कर सकती हैं, या वायुमंडल से समुद्री सतह के माध्यम से तापमान में वृद्धि कर सकती हैं।
  • हवाएँ समुद्री उष्ण तरंगें में उष्णता को बढ़ा या कम कर सकती हैं, तथा अल नीनो जैसे जलवायु कुछ क्षेत्रों में होने वाली घटनाओं की संभावना में विसंगति उत्पन्न कर सकती हैं।

MHW से संबंधित प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?

  • गहरे समुद्र में होने वाली समुद्री उष्ण तरंगों (MHW) के बारे में कम जानकारी उपलब्ध है।
  • गहन गहराई पर तापमान में होने वाले परिवर्तनों पर नज़र रखने के लिये लंबे समय तक डेटा संग्रह हेतु विश्व भर में समुद्र में विशेष रूप से उत्प्लव (Buoys) स्थापित किये गए।
  • महत्त्वपूर्ण तापमान और लवणता डेटा एकत्र करने के लिये आर्गो फ्लोट्स नामक रोबोटिक उपकरण का उपयोग किया गया, जो 2,000 मीटर तक गोता लगा सकता है और पुनः सतह पर आ सकता है।
    • ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र की सतह के तापमान पर प्रभाव पड़ रहा है, लेकिन गहरे समुद्र के पानी पर पड़ने वाले प्रभाव, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर जलवायु परिवर्तन के अधिक गहन और कम ज्ञात प्रभावों को उजागर करते हैं।
  • सतही-स्तर की समुद्री  उष्ण तरंगों के विपरीत, वायुमंडलीय कारक गहरे समुद्र में तापमान परिवर्तन को प्रभावित नहीं करते हैं। 
  • इसके बजाय, भँवर धाराएँ, जो पानी की बड़ी, घूमते हुए लूप हैं, सैकड़ों किलोमीटर तक प्रवाहित हो सकती हैं तथा 1,000 मीटर से अधिक गहराई तक पहुँच सकती हैं, अधिक दूरी तक गर्म या ठंडे पानी के परिवहन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
    • समग्र महासागरीय तापमान वृद्धि के कारण भँवर धाराएँ अधिक प्रबल हो रही हैं, जिससे तापमान में अत्यधिक विसंगति देखने को मिलती है।
  • जैवविविधता पर MHW का प्रभाव:
    • ट्वाइलाइट ज़ोन में अत्यधिक तापमान परिवर्तन कई मत्स्य प्रजातियों और प्लवक की उपस्थिति के कारण चिंताजनक है, जो समुद्री खाद्य शृंखला के लिये महत्त्वपूर्ण हैं तथा छोटी मछलियों के लिये प्रमुख भोजन स्रोत के रूप में कार्य करते हैं।
    • MHW पानी में ऑक्सीजन के स्तर को कम कर सकता है और पोषक तत्त्वों को समाप्त कर सकता है, जिससे समुद्री जीवन और पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन खतरे में पड़ सकता है।

महासागर में ट्वाइलाइट ज़ोन

  • ट्वाइलाइट ज़ोन (गोधूलि क्षेत्र), जिसे मेसोपेलाज़िक या डिस्फोटिक क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है, महासागर की एक परत है जो समुद्र की सतह से 200 से 1,000 मीटर नीचे तक फैली हुई है।
  • यह एक विशाल पारिस्थितिकी तंत्र है जिसमें असाधारण जीव रहते हैं, जिनमें अंधेरे तथा सतह में रहने वाले जीव भी शामिल हैं।
  • वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने और संग्रहीत करने की महासागर की क्षमता इस पर बहुत अधिक निर्भर करती है। दुनिया का सबसे बड़ा पशु प्रवास भी इसी क्षेत्र में है।
  • ट्वाइलाइट ज़ोन में जीवों ने कई तरह से आपने आप को अनुकूलित किया है, जिसमें बायोल्यूमिनेसेंस (छलावरण के लिये उपयोग किया जाता है) और मुँह का बड़ा होना (अंधेरे में शिकार करने में मदद करते हैं) शामिल हैं।

भँवर धारा (Eddy Current)

  • महासागर में भँवर धारा एक छोटी, गोलाकार जलधारा है जो मुख्य धारा से अलग होकर स्वतंत्र रूप से प्रवाहित होती है।
    • नदियों में नाव चलाने वालों को दिखने वाले छोटे-छोटे भँवरों की तरह, ये तब विकसित होते हैं जब किसी धारा के दो हिस्से आपस में टकराकर अलग हो जाते हैं।
  • भँवर धाराएँ सैकड़ों किलोमीटर तथा 1,000 मीटर से अधिक गहराई तक प्रवाहित हो सकती हैं। इन्फ्रारेड सेंसर का उपयोग करके अंतरिक्ष से उनका पता लगाया जा सकता है।
  • वे कई विकासों के लिये जिम्मेदार हैं।
    • प्लवक और पोषक तत्त्वों से भरपूर पानी कोल्ड-कोर भँवरों द्वारा ले जाया जाता है।
      • भँवर फाइटोप्लांकटन ब्लूम्स में तेज़ गति उत्पन्न कर सकते हैं।
    • यह गर्म सतही जल को नीचे की ओर या ठंडे जल को ऊपर की ओर विस्थापित कर सकता है, जिससे तापमान में तीव्र विसंगति उत्पन्न हो सकती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स

प्रश्न: महासागर औसत तापमान (Ocean Mean Temperature- OMT) के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (2020)

  1. OMT  26ºC समताप रेखा की गहराई तक मापा जाता है जो जनवरी-मार्च में हिंद महासागर के दक्षिण-पश्चिमी 129 मीटर पर होती है।
  2. OMT, जो जनवरी-मार्च में एकत्रित किया जाता है उसे यह निर्धारित करने के लिये प्रयोग किया जा सकता है कि मानसून में वर्षा की मात्रा एक निश्चित दीर्घकालिक औसत वर्षा से कम होगी या अधिक।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 व 2 दोनों 
(d) न तो 1 न ही 2

उत्तर: (b)

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