रैपिड फायर
समुद्री कवक
- 10 Jan 2025
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स्रोत: डाउन टू अर्थ
समुद्री कवक, जो महासागरीय बायोमास का 5% भाग हैं, पारिस्थितिकी तंत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं तथा समुद्री तटों पर पी जाने वाली चट्टानों से लेकर गहरे जल में उगते हैं।
- समुद्री कवक: समुद्री कवक सूक्ष्म जीव होते हैं, जो समुद्र में पाए जाते हैं, तथा अपघटन, सहजीवन और जैवसक्रिय यौगिकों के उत्पादन में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
- प्रकार: अनिवार्य समुद्री कवक (विशेष रूप से समुद्री), वैकल्पिक समुद्री कवक (स्थलीय वातावरण से विकसित, समुद्री आवासों में जीवित रह सकते हैं)
- उत्तरजीविता की रणनीतियाँ: समुद्री कवक बेहतर संसाधन प्रबंधन के लिये कोशिका रूप में परिवर्तित कर फीस्ट फिमाइन की स्थितियों के अनुकूल बन जाते हैं।
- उदाहरण के लिये समुद्री शैवालों पर पाया जाने वाला पैराडेंड्रिफिएला सलीना, अपने पोषक को पचाने के लिये बैक्टीरिया से एँजाइम उत्पन्न करता है।
- पारिस्थितिक महत्त्व: समुद्री कवक पोषक चक्रण, पारिस्थितिकी तंत्र स्थिरता के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
- लाइकेन, जो एक सहजीवी संबंध (कवक और शैवाल का एक साथ रहना) दर्शाते हैं, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में भी योगदान देते हैं।
- कवक: ये यूकैरियोटिक जीव परपोषी (अन्य पौधों या जानवरों का उपभोग करने वाले) होते हैं, जो मृतजीवी (मृत और सड़ते जीवों को खाने वाले) या परजीवी के रूप में कार्य करते हैं।
- कवक बीज़ाणुओं के माध्यम से यौन या अलैंगिक रूप में प्रजनन करते हैं। RH व्हिटेकर ने कवक को एक अलग बहुकोशिकीय यूकैरियोटिक जगत के रूप में वर्गीकृत किया है।
- कवक औषधि (जैसे, एँटीबायोटिक), भोजन और उद्योग में लाभदायक होते हैं, लेकिन इनसे बीमारियाँ भी उत्पन्न होने की संभावना होती है साथ ही ये विषाक्त माइकोटॉक्सिन भी उत्पन्न कर सकते हैं।
और पढ़ें: कवक जगत का वर्गीकरण