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मणिपुरी पोनी

  • 22 May 2024
  • 2 min read

स्रोत: डाउन टू अर्थ

मणिपुरी पोनी, जिसे मैतेई सगोल (Meitei Sagol) के नाम से भी जाना जाता है, को संरक्षित करने की तत्काल आवश्यकता के चलते मणिपुर सरकार ने अन्य समूहों और संगठनों के साथ मिलकर कई निर्णय लिये हैं जिनका उद्देश्य इसे विलुप्त होने से रोकना हैI 

  • मैतेई सगोल भारत में घोड़े और पोनी की सात मान्यता प्राप्त नस्लों में से एक है।
    • अन्य में मारवाड़ी घोड़ा, काठियावाड़ी घोड़ा, ज़ांस्करी पोनी (Zanskari Pony), स्पीति पोनी  (Spiti Pony), भूटिया पोनी (Bhutia Pony) और कच्छी-सिंधी घोड़ा शामिल हैं।
  • इसे ओरिज़नल पोलो पोनी माना जाता है, क्योंकि मणिपुर के पारंपरिक सगोल कांगजेई खेल (Sagol Kangjei sport) ने आधुनिक पोलो को जन्म दिया।
  • नस्ल के संरक्षण के लिये वर्ष 2016 में मणिपुरी पोनी संरक्षण और विकास नीति (Manipuri Pony Conservation and Development Policy- MPCDP) बनाई गई थी।
    • मणिपुरी पोनी की आबादी तेज़ी से घट रही है, वर्ष 2003 के 1,898 से घटकर वर्ष 2019 में यह केवल 1,089 रह गई, जिसके कारण वर्ष 2013 में मणिपुर सरकार द्वारा इस नस्ल को लुप्तप्राय घोषित कर दिया गया।
  • मणिपुरी पोनी को अपनी विशिष्ट विशेषताओं, जैसे आंतरिक बल, दक्षता, बुद्धिमत्ता, गति, गतिशीलता और कठिन जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल होने के लिये जाना जाता है।
    • पोनी मणिपुरी जीवनशैली में गहराई से अंतर्निहित है, पारंपरिक कार्यक्रमों और खेलों में इसका उपयोग किया जाता है, यहाँ तक कि अतीत में मणिपुर साम्राज्य की घुड़सवार सेना द्वारा  घुड़सवारी के लिये इसका उपयोग किया जाता था।

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