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कथित फर्जी मुठभेड़ मामलों में अनिवार्य FIR पंजीकरण

  • 10 Aug 2024
  • 2 min read

स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस 

दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि कथित फर्जी मुठभेड़ों के मामलों में अनिवार्य रूप से प्रथम सुचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज़ की जानी चाहिये, जिससे पुलिस की कार्रवाई के लिये कानूनी जवाबदेही मज़बूत होगी।

  • मामले की पृष्ठभूमि: एक कथित मुठभेड़ के दौरान एक व्यक्ति की मौत में शामिल पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज़ करने के निर्देश देने वाले आदेशों को चुनौती देने हेतु  याचिका दायर की गई थी।
    • एसडीएम की जाँच रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पुलिस ने आत्मरक्षा में गोली चलाई, इसके बावजूद न्यायालय ने यह निर्धारित करने के लिये आगे की जाँच पर ज़ोर दिया कि मुठभेड़ वास्तविक थी या हत्या का मामला था।
  • दिल्ली उच्च न्यायालय ने ललिता कुमारी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य, 2013 में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हवाला देते हुए इस बात पर ज़ोर दिया कि अगर शिकायत में संज्ञेय अपराध का सुझाव दिया गया है तो FIR दर्ज़ की जानी चाहिये, भले ही अंततः आरोप पत्र के बजाय क्लोज़र रिपोर्ट ही क्यों न हो।
    • न्यायालय ने मुख्यमंत्रियों को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के 1997 के पत्र पर प्रकाश डाला, जिसमें पुलिस द्वारा न्यायेतर हत्याओं की उचित जाँच की आवश्यकता पर बल दिया गया था।

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