महावीर जयंती | 22 Apr 2024
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री द्वारा महावीर जयंती के शुभ अवसर पर 2550वें भगवान महावीर निर्वाण महोत्सव का उद्घाटन किया।
- जैन महावीर स्वामी सहित प्रत्येक तीर्थंकर के पाँच कल्याणक (प्रमुख कार्यक्रम) होते हैं: च्यवन/गर्भ (गर्भाधान) कल्याणक; जन्म (जन्म) कल्याणक; दीक्षा (त्याग) कल्याणक; कैवल्य ज्ञान (सर्वज्ञता) कल्याणक एवं निर्वाण (मुक्ति/परम मोक्ष) कल्याणक।
- इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने एक स्मारक डाक टिकट तथा सिक्का भी जारी किया।
महावीर जयंती क्या है?
- परिचय:
- महावीर जयंती, जैन समुदाय में सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है।
- यह दिन वर्धमान महावीर के जन्म का प्रतीक है, जो 24वें या अंतिम तीर्थंकर तथा 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ के उत्तराधिकारी बने।
- जैन ग्रंथों के अनुसार, भगवान महावीर का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के 13वें दिन हुआ था।
- ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, महावीर जयंती आमतौर पर मार्च या अप्रैल महीने में मनाई जाती है।
- भगवान महावीर की मूर्ति के साथ एक जुलूस निकाला जाता है जिसे रथ यात्रा कहा जाता है।
- स्तवन अथवा जैन प्रार्थनाओं का पाठ करते हुए, भगवान की मूर्तियों का औपचारिक स्नान कराया जाता है जिसे अभिषेक कहा जाता है।
- भगवान महावीर:
- भगवान महावीर स्वामी ने अपनी गहन आध्यात्मिक प्रथाओं और शिक्षाओं के माध्यम से मानवता पर एक अमिट छाप छोड़ी।
- बचपन में भगवान महावीर का नाम वर्धमान था यानी 'जो बढ़ता है'।
- अपनी बारह वर्ष की आध्यात्मिक साधना के दौरान भगवान महावीर ने चार असाधारण गुणों का प्रदर्शन किया:
- गहन और अबाधित ध्यान: उनके अटूट ध्यान ने उन्हें गहन अंतर्दृष्टि प्राप्त करने में मदद की।
- कठोर तपस्या: अपनी आत्मा को शुद्ध करने के लिये उन्होंने अत्यधिक शारीरिक कष्ट सहे।
- दर्द की सहनशक्ति: महावीर स्वामी ने अद्भुत सहनशक्ति का प्रदर्शन किया।
- सर्वश्रेष्ठ संतुलन: उनका आंतरिक संतुलन स्थिर रहा।
- वैशाख के दसवें दिन, महावीर की यात्रा एक निर्णायक क्षण पर पहुँची।
- इन 5 शिक्षाओं में ब्रह्मचर्य (ब्रह्मचर्य/शुद्धता) को महावीर द्वारा जोड़ा गया था।
जैन धर्म क्या है?
- 'जैन' शब्द जिन या जैन से बना है जिसका अर्थ है 'विजेता'।
- तीर्थंकर एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है 'नदी निर्माता', अर्थात् जो नदी को पार कराने में सक्षम हो, वही सांसारिक जीवन के सतत् प्रवाह से पार कराएगा।
- जैन धर्म अहिंसा को अत्यधिक महत्त्व देता है।
- यह 5 महाव्रतों का उपदेश देता है:
- अहिंसा
- सत्य
- अस्तेय या आचार्य (चोरी न करना)
- अपरिग्रह (गैर-आसक्ति/गैर-आधिपत्य)
- ब्रह्मचर्य (शुद्धता)
- इन 5 शिक्षाओं में महावीर द्वारा ब्रह्मचर्य (ब्रह्मचर्य/शुद्धता) को जोड़ा गया था।
- जैन धर्म के तीन रत्न या त्रिरत्न में शामिल हैं:
- सम्यक् दर्शन (सही विश्वास)।
- सम्यक् ज्ञान (सही ज्ञान)।
- सम्यक् चरित्र (सही आचरण)।
- बाद के समय में जैन धर्म दो संप्रदायों में विभाजित हो गया:
- स्थलबाहु के अधीन श्वेतांबर (श्वेत वस्त्रधारी)।
- भद्रबाहु के नेतृत्व में दिगंबर (आकाश-आवरणधारी)।
- जैन धर्म में महत्त्वपूर्ण विचार यह है कि पूरी दुनिया सजीव है: यहाँ तक कि पत्थरों, चट्टानों और पानी में भी जीवन है।
- जीवित प्राणियों, विशेषकर मनुष्यों, जानवरों, पौधों और कीड़ों को चोट न पहुँचाना जैन दर्शन का केंद्र है।
- जैन की शिक्षाओं के अनुसार, जन्म और पुनर्जन्म का चक्र कर्म के माध्यम से आकार लेता है।
- स्वयं को कर्म के चक्र से मुक्त करने और आत्मा की मुक्ति के लिये संन्यास एवं तपस्या की आवश्यकता होती है।
- संथारा की प्रथा भी जैन धर्म का हिस्सा है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत की धार्मिक प्रथाओं के संदर्भ में "स्थानकवासी" संप्रदाय का संबंध किससे है? (2018) (a) बौद्ध मत उत्तर: (b) प्रश्न. भारत के धार्मिक इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) प्रश्न. प्राचीन भारतीय इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से बौद्ध धर्म या जैन धर्म दोनों में समान रूप से विद्यमान था/थे? (2012)
निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (b) प्रश्न. अनेकांतवाद निम्नलिखित में से किसका मूल सिद्धांत और दर्शन है? (2009) (a) बौद्ध उत्तर: (b) |