प्रारंभिक परीक्षा
महाराष्ट्र में मराठी भाषा का प्रयोग अनिवार्य
- 06 Feb 2025
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स्रोत: द हिंदू
महाराष्ट्र ने सरकारी, अर्द्ध-सरकारी, स्थानीय स्व-शासी निकायों और सरकारी सहायता प्राप्त कार्यालयों में सभी आधिकारिक संचार में मराठी भाषा का उपयोग किया जाना अनिवार्य कर दिया है।
- वर्ष 2024 में स्वीकृत मराठी भाषा नीति में सभी लोक कार्यों में मराठी भाषा के उपयोग की अनुशंसा की गई।
नोट:
- वर्ष 1960 में मराठी को महाराष्ट्र की आधिकारिक भाषा घोषित किया गया।
- वर्ष 2024 में मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त हुआ।
- भारत में दो आधिकारिक भाषाएँ (हिंदी और अंग्रेज़ी) हैं तथा संविधान की आठवीं अनुसूची में भारत की 22 अनुसूचित भाषाओं का उल्लेख है।
- इसमें असमिया, बांग्ला, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, तमिल, तेलुगु और उर्दू शामिल हैं।
- भारतीय संविधान के भाग XVII में अनुच्छेद 343 से 351 तक आधिकारिक भाषाओं का उल्लेख है।
भारत के अन्य राज्यों में अनिवार्य क्षेत्रीय भाषाएँ
- तमिलनाडु: यहाँ सरकारी संचार के लिये तमिल भाषा का प्रयोग अनिवार्य है और सरकारी नौकरियों हेतु कक्षा 10 की तमिल परीक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक है।
- कर्नाटक: साइनबोर्ड में 60 प्रतिशत कन्नड़ भाषा का उपयोग अनिवार्य किये जाने के साथ यहाँ सरकारी कार्यालयों और व्यवसायों के साइनबोर्डों में कन्नड़ भाषा का प्रयोग किया जाना अनिवार्य है।
- झारखंड: झारखंड में सरकारी नौकरियों के लिये क्षेत्रीय और जनजातीय भाषाओं का ज्ञान अनिवार्य कर दिया गया है, जिसके तहत उम्मीदवारों को मुंडारी, संथाली, हो या कुरुख जैसी भाषाओं में कम से कम 30% अंक लाना अनिवार्य कर दिया गया है।
- पश्चिम बंगाल: सरकारी नौकरियों के लिये बंगाली भाषा में पारंगत उम्मीदवारों को नियुक्त करने को प्रोत्साहित करता है।
राजभाषा से संबंधित प्रमुख संवैधानिक प्रावधान क्या हैं?
- अनुच्छेद 345: संविधान के अनुच्छेद 345 में कहा गया है कि राज्य विधानमंडल आधिकारिक उद्देश्यों के लिये एक या एक से अधिक भाषाओं का चयन कर सकता है।
- इसमें राज्य में पहले से ही बोली जाने वाली भाषा या भाषाएँ, अथवा हिंदी शामिल हैं।
- अनुच्छेद 347: संविधान का अनुच्छेद 347 किसी राज्य की जनसंख्या के किसी अनुभाग द्वारा बोली जाने वाली भाषाओं को मान्यता देने से संबंधित है।
- यह राष्ट्रपति को ऐसी भाषाओं को आधिकारिक रूप से मान्यता देने का अधिकार देता है, यदि राज्य की आबादी का एक बड़ा हिस्सा ऐसा अनुरोध करता है।
- यह प्रावधान राज्य के आधिकारिक ढाँचे में क्षेत्रीय भाषाओं को शामिल करने की अनुमति देता है, जिससे भाषाई समावेशिता सुनिश्चित होती है।
- अनुच्छेद 350A: संविधान के अनुच्छेद 350A के अनुसार राज्यों को भाषाई अल्पसंख्यक समूहों के बच्चों के लिये मातृभाषा में शिक्षा की पर्याप्त सुविधाएँ प्रदान करनी होंगी। यह प्राथमिक शिक्षा पर लागू होता है।
- अनुच्छेद 351: संविधान का अनुच्छेद 351 राज्यों के अपनी आधिकारिक भाषाओं को बढ़ावा देने के भाषाई अधिकारों का हनन किये बिना संपर्क भाषा के रूप में हिंदी के प्रसार को बढ़ावा देने का प्रावधान करता है।
संघ की भाषाओं से संबंधित समितियाँ और आयोग
- राजभाषा आयोग (1955): इसकी स्थापना बी.जी. खेर की अध्यक्षता में की गई थी, जिसने संघ की आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी और अंग्रेज़ी के प्रयोग के मुद्दे की जाँच की और हिंदी में परिवर्तन के लिये सिफारिशें कीं।
- संसदीय राजभाषा समिति (1976): संसदीय राजभाषा समिति (1976) ने संस्थाओं और केंद्रीय सेवा परीक्षाओं में अंग्रेज़ी के स्थान पर हिंदी को शामिल करने की सिफारिश की।
- हालाँकि, इन प्रस्तावों को विशेष रूप से गैर-हिंदी भाषी राज्यों के प्रतिरोध के कारण पूरी तरह से लागू नहीं किया जा सका है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) प्रश्न. भारत के संदर्भ में, 'हल्बी, हो और कुई' पद किससे संबंधित हैं - (2021) (a) पश्चिमोत्तर भारत का नृत्य रूप उत्तर: (d) प्रश्न. निम्नलिखित में से किसे शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया? (2015) (a) उड़िया उत्तर: (a) |