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लुडविगिया पेरुवियाना से तमिलनाडु में हाथियों के आवास स्थान को खतरा

  • 25 Jul 2023
  • 3 min read

लुडविगिया पेरुवियाना (Ludwigia Peruviana) नामक एक आक्रामक खरपतवार तमिलनाडु के वलपराई में हाथियों के आवास स्थान और चरागाह क्षेत्रों के लिये खतरा उत्पन्न कर रहा है।

लुडविगिया पेरुवियाना: 

  • परिचय : 
    • लुडविगिया पेरुवियाना, जिसे प्रिमरोज़ विलो (Primrose Willow) के नाम से भी जाना जाता है, मूल रूप से मध्य और दक्षिण अमेरिका में पाया जाता है।
    • यह एक जलीय पौधा है जिसे संभवतः इसके आकर्षक हल्के पीले फूलों के कारण एक सजावटी प्रजाति के रूप में पेश किया गया था।
    • हालाँकि नए क्षेत्रों में इसके आगमन के परिणामस्वरूप यह एक आक्रामक खरपतवार बन गया है, जिससे विश्व के विभिन्न दलदली क्षेत्रों में पारिस्थितिक व्यवधान पैदा हो रहा है।

  • विशेषताएँ: 
    • लुडविगिया पेरुवियाना अपेक्षाकृत लंबा होता है, जिसकी ऊँचाई लगभग 12 फीट तक होती है।
    • एक जलीय पौधे के रूप में आर्द्रभूमि और जल निकायों में पनपता है।
    • यह कई अन्य हानिकारक खरपतवारों की तुलना में तीव्रता से बढ़ता है, साथ ही प्री-मानसून तापमान एवं मानसूनी बारिश इसके तीव्रता से बढ़ने और विस्तृत होने में सहायता करती है।
  • हाथियों तथा वन्य जीवन और जैवविविधता पर प्रभाव: 
    • लुडविगिया पेरुवियाना के कारण हाथियों के आवासों के लिये अत्यधिक खतरा उत्पन्न हो गया है, जिससे पौधों को भोजन के रूप में ग्रहण करने वाले हाथियों एवं अन्य जानवरों के लिये आवश्यक खाद्य स्रोतों का विकास बाधित हो गया है।
    • इस आक्रामक खरपतवार के फैलने से क्षेत्रों की समग्र जैवविविधता पर भी प्रभाव पड़ता है, जिससे देशी पौधों की प्रजातियाँ नष्ट हो जाती हैं, साथ ही संभावित रूप से वन्यजीवों को अन्य क्षेत्रों में जाने के लिये मजबूर होना पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप लोगों और वन्यजीवों के बीच संघर्ष भी होता है।
  • रोकथाम में चुनौतियाँ: 
    • लुडविगिया पेरुवियाना को तमिलनाडु में 22 प्राथमिकता वाले आक्रामक पौधों में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है जो रोकथाम और नियंत्रण उपायों की तात्कालिकता पर बल देता है।
    • लुडविगिया का उन्मूलन अन्य आक्रामक पौधों की तुलना में एक अनोखी चुनौती उत्पन्न करता है क्योंकि यह दलदली भूमि पर उगता है तथा मशीनों के उपयोग को सीमित कर देता है।
    • इसे हाथों से हटाना मुश्किल है क्योंकि पौधा आसानी से टूट जाता है और जड़ या टूटे हुए तने से नया पौधा उग सकता है।
    • पौधों की जड़ों को हाथ से खींचना और खोदना प्रभावी हो सकता है।

स्रोत: द हिंदू

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