भगवान नटराज | 16 Dec 2022
हाल ही में फ्राँसीसी सरकार की कांस्य नटराज की मूर्ति की नीलामी की योजना को तमिलनाडु पुलिस ने सफलतापूर्वक रोक दिया है।
- ऐसा माना जाता है कि दुर्लभ प्रकार की कांस्य मूर्ति पचास साल पहले थूथुकुडी ज़िले के कयाथार से चुरा ली गई थी।
भगवान नटराज:
- नटराज (नृत्य के देवता), हिंदू देवता शिव ब्रह्मांडीय नर्तक के रूप में, विशेष तौर पर दक्षिण भारत में कई शैव मंदिरों में धातु या पत्थर की मूर्तियों के रूप में पाए जाते हैं।
- यह चोल मूर्तिकला की एक महत्त्वपूर्ण रचना है।
- नटराज के ऊपरी दाहिने हाथ में डमरू है, जो सृजन की ध्वनि का प्रतीक है। सभी रचनाएँ डमरू की महान ध्वनि से निकलती हैं।
- ऊपरी बाएँ हाथ में शाश्वत अग्नि है, जो विनाश की प्रतीक है। विनाश सृष्टि का अग्रदूत और अपरिहार्य प्रतिरूप है।
- निचला दाहिना हाथ अभय मुद्रा में है जो आशीर्वाद का प्रतीक है और भक्त को न डरने के लिये आश्वस्त करता है।
- निचला बायाँ हाथ ऊपर उठे हुए पैर की ओर इशारा करता है और मोक्ष के मार्ग को इंगित करता है।
- शिव एक बौने की आकृति पर नृत्य कर रहे हैं। बौना अज्ञानता और व्यक्ति के अहंकार का प्रतीक है।
- भगवान शिव को ब्रह्मांड के भीतर सभी प्रकार की गति के स्रोत के रूप में दिखाया गया है और प्रलय के दिन को नृत्य, ज्वाला के मेहराब द्वारा दर्शाया गया है, ये ब्रह्मांड के विघटन को संदर्भित करते हैं।
- शिव के उलझे बालों से बहने वाली धाराएँ गंगा नदी के प्रवाह का प्रतिनिधित्व करती हैं।
- शिव के एक कान में नर तथा दूसरे में मादा अलंकरण है। यह नर और मादा के संलयन का प्रतिनिधित्व करता है और इसे अर्द्ध-नारीश्वर रूप में जाना जाता है।
- शिव की भुजा के चारों ओर एक साँप मुड़ा हुआ है। साँप कुंडलिनी शक्ति का प्रतीक है, जो मानव रीढ़ में सुप्त अवस्था में रहती है। यदि कुंडलिनी शक्ति जाग्रत हो जाए तो व्यक्ति सच्ची चेतना प्राप्त कर सकता है।
- नटराज जगमगाती रोशनी के एक बादल/निंबस से घिरा हुआ है जो समय के विशाल अंतहीन चक्र का प्रतीक है।