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विदेशी निधियों की वैधता पर सीमाएँ

  • 08 Apr 2025
  • 2 min read

स्रोत: द हिंदू

गृह मंत्रालय (MHA) ने पूर्व अनुमति के माध्यम से प्राप्त विदेशी निधियों पर अपनी नीति को संशोधित किया है तथा इसकी वैधता को चार वर्ष तक सीमित कर दिया है, जबकि पूर्व की नीति के अनुसार निधियों का उपयोग तब तक किया जा सकता था, जब तक कि पूरी राशि व्यय नहीं हो जाती।

  • नवीन आदेश: यह विनिर्दिष्ट करता है कि विदेशी अंशदान प्राप्त करने की वैधता अनुमोदन तिथि से तीन वर्ष होगी तथा उपयोग अवधि चार वर्ष होगी।
    • पहले से स्वीकृत आवेदनों के लिये, चार वर्ष की सीमा गृह मंत्रालय के नवीनतम आदेश की तिथि से लागू होगी, भले ही स्वीकृत परियोजना की समयावधि तीन वर्ष से अधिक हो।
  • समय सीमा का प्रभाव: समय-सीमा का अनुपालन न करने पर विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 (FCRA) का उल्लंघन माना जाएगा, जिसके परिणामस्वरूप दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
  • FCRA पूर्व अनुमति: FCRA के तहत, ऐसे संस्थान जो केंद्र सरकार के साथ पंजीकृत नहीं हैं (गैर-सरकारी संगठन- NGOs) को विदेशी अभिदाय/अंशदान स्वीकार करने के लिये पूर्व अनुमति लेनी होगी। यह अनुमति धन के उद्देश्य तथा स्रोत के लिये विशिष्ट है।
    • संस्थाओं को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860, भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882, या कंपनी अधिनियम, 2013  जैसे कानूनों के तहत पंजीकृत होना चाहिये।
      • FCRA लेन-देन के लिये भारतीय स्टेट बैंक, नई दिल्ली में बैंक खाता होना अनिवार्य है।
    • इसके अतिरिक्त, प्राप्तकर्त्ता भारतीय संगठन का मुख्य पदाधिकारी दाता संगठन का हिस्सा नहीं होना चाहिये तथा शासी निकाय के 75% सदस्य विदेशी दाता या उसके परिवार से जुड़े नहीं होने चाहिये।

अधिक पढ़ें: विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम

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