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LID 568 ब्लैक होल

  • 27 Jan 2025
  • 3 min read

स्रोत: द हिंदू 

NASA के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) और चंद्रा एक्स-रे वेधशाला का उपयोग करते हुए खगोलविदों ने कम द्रव्यमान वाले विशालकाय ब्लैक होल LID 568 की खोज की है।

LID-568 ब्लैक होल:

  • परिचय:
    • LID-568 एक कम द्रव्यमान वाला विशालकाय ब्लैक होल है जो बिग बैंग के 1.5 अरब वर्ष बाद अस्तित्व में आया था। 
    • इसकी खोज एक्स-रे और अवरक्त प्रेक्षणों के माध्यम से की गई थी और यह एक ऐसी आकाशगंगा में स्थित है, जहाँ तारों का निर्माण अल्पतम होता है, जो संभवतः ब्लैक होल के शक्तिशाली बहिर्वाह के कारण है।
  • प्रमुख विशेषताऐं:
    • सुपर-एडिंगटन अभिवृद्धि: यह एडिंगटन सीमा से 40 गुना अधिक दर पर अभिवृद्धि करती है, जो कि वह अधिकतम दर है जिस पर एक ब्लैक होल या तारा, विकिरण दबाव के बिना पदार्थ को दूर धकेले बिना पदार्थ को अभिवर्द्धित कर सकता है।
      • एडिंगटन सीमा गुरूत्वीय कर्षण और बाहरी विकिरण दबाव के बीच संतुलन को दर्शाती है, जो सीमा पार होने पर आगे अभिवृद्धि को रोकती है।
    • आकाशगंगा प्रभाव: ब्लैक होल के बहिर्वाह से उसकी आकाशगंगा में तारा निर्माण के लिये आवश्यक पदार्थ का संचयन रुक जाता है।
  • महत्त्व:
    • वर्तमान मॉडल की चुनौतियाँ: LID-568 की तीव्र वृद्धि, सुपरमैसिव ब्लैक होल निर्माण हेतु निरंतर अभिवृद्धि की आवश्यकता वाले सिद्धांतों के विपरीत है।
    • प्रारंभिक ब्रह्मांड के संबंध में अंतर्दृष्टि: यह सुझाव देता है कि तीव्र निवेशन के छोटे विस्फोट प्रारंभिक ब्रह्मांड में बड़े ब्लैक होल के निर्माण की व्याख्या किये जाने में सहायक हो सकते हैं।
    • आगामी अनुसंधान: यह ब्लैक होल अभिवृद्धि प्रक्रियाओं और आकाशगंगा विकास पर उनके प्रभाव के अध्ययन के मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

Black_Hole

और पढ़ें: ब्लैक होल गैया BH3

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