भारत में सबमरीन केबल लैंडिंग की लाइसेंसिंग नीति और विनियमन | 23 Jun 2023
दूरसंचार विभाग (DoT) ने इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि कुछ ऐसे भारतीय इंटरनेशनल लॉन्ग-डिस्टेंस ऑपरेटर्स (ILDOs) जिनकी सबमरीन केबल प्रणाली में किसी तरह की कोई हिस्सेदारी नहीं है, वे भारत में इस तरह के केबल बिछाने/रखरखाव करने के लिये मंजूरी मांग रहे हैं।
- इस संदर्भ में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने 'भारत में सबमरीन केबल लैंडिंग के लिये लाइसेंसिंग नीति और विनियामक तंत्र' के संबंध में सिफारिशें जारी की हैं।
TRAI के सुझाव:
- CLS की दो श्रेणियाँ:
- इंटरनेशनल लॉन्ग-डिस्टेंस/इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स श्रेणी A (ILD/ISP-A) में संशोधन करके केबल लैंडिंग स्टेशन (CLS) स्थानों की दो श्रेणियों को शामिल करने की अनुमति दी गई है- मुख्य CLSऔर CLS "प्वाइंट ऑफ प्रेजेंस"।
- मुख्य CLSके मालिक को भारत में अपने CLS में SMC लैंडिंग से संबंधित सभी अनुमतियों/स्वीकृतियों के लिये अनुरोध करना होगा।
- CLS 'उपस्थिति बिंदु' को वैध अवरोधन की अनुमति एवं अपेक्षित सुरक्षा अभ्यास को पूरा करने की आवश्यकता है।
- इंटरनेशनल लॉन्ग-डिस्टेंस/इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स श्रेणी A (ILD/ISP-A) में संशोधन करके केबल लैंडिंग स्टेशन (CLS) स्थानों की दो श्रेणियों को शामिल करने की अनुमति दी गई है- मुख्य CLSऔर CLS "प्वाइंट ऑफ प्रेजेंस"।
- महत्त्वपूर्ण एवं आवश्यक सेवा:
- निर्बाध राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संचार नेटवर्क को बनाए रखने में उनकी प्रभावशाली भूमिका के कारण पनडुब्बी केबल संचालन को महत्त्वपूर्ण और आवश्यक सेवाओं के रूप में मान्यता दी जानी चाहिये।
- आवश्यक अनुमतियाँ और सुरक्षा मंज़ूरी प्राप्त करने हेतु पनडुब्बी केबल संचालन उच्च स्तर का होना चाहिये।
- प्रस्तावित विधायी संशोधन:
- भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022 में "पनडुब्बी केबल" और "केबल लैंडिंग स्टेशन" पर एक अनुच्छेद को शामिल किया गया है।
- यह डिजिटल संचार क्षेत्र की विकास और मज़बूती के साथ-साथ कानूनी एवं नियामक सहायता भी प्रदान करेगा।
- भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022 में "पनडुब्बी केबल" और "केबल लैंडिंग स्टेशन" पर एक अनुच्छेद को शामिल किया गया है।
- सीमा शुल्क और GST में छूट:
- TRAI ने CLS, पनडुब्बी केबल संचालन और रखरखाव हेतु आवश्यक वस्तुओं के लिये सीमा शुल्क (कस्टम ड्यूटी) और GST में छूट का प्रस्ताव दिया है।
- यह इस क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करेगा विशेष रूप से केबल मरम्मत और रख-रखाव में।
सिफारिशों का महत्त्व:
- डेटा प्रवाह को सुदृढ़ बनाना:
- ट्राई द्वारा दिये गए प्रस्तावों में सीमा पार डेटा प्रवाह को अधिकतम करने, नवाचार को बढ़ावा देने और डेटा में वैश्विक अभिकर्त्ता के रूप में भारत की स्थिति को मज़बूत करने की क्षमता है।
- विदेशी प्रदाताओं पर निर्भरता को कम करना:
- समुद्र के भीतर केबल के रख-रखाव हेतु भारतीय इकाई के स्वामित्व वाले जहाज़ों के तीव्रता और समुद्र के भीतर केबलों की मरम्मत के लिये विदेशी प्रदाताओं पर निर्भरता कम होगी।
पनडुब्बी संचार केबल:
- परिचय:
- यह एक केबल है जो भूमि-आधारित स्टेशनों के बीच समुद्र और समुद्र की लंबी दूरी पर दूरसंचार संकेतों को स्थानांतरित करने हेतु जल के नीचे बिछाई गई है।
- आधुनिक पनडुब्बी केबल फाइबर-ऑप्टिक तकनीक का उपयोग करती है। ऑप्टिकल फाइबर तत्त्व सामान्यतः प्लास्टिक की परतों से लेपित होते हैं एवं ऑप्टिकल फाइबर घटक सामान्यतः सुरक्षात्मक ट्यूबों में संलग्न होते हैं जो उस स्थान हेतु उपयुक्त होते हैं।
- महत्त्व:
- उपग्रहों की तुलना में पनडुब्बी केबल के माध्यम से इंटरनेट कनेक्शन का उपयोग अधिक विश्वसनीय, लागत प्रभावी और उच्च क्षमता वाला होता है।
- उदाहरण:
- MIST सबमरीन केबल सिस्टम, भारत को म्याँमार, थाईलैंड, मलेशिया और सिंगापुर से जोड़ता है।
- रिलायंस जियो इंफोकॉम इंडिया-एशिया एक्सप्रेस (IAX), भारत को मालदीव, सिंगापुर, श्रीलंका और थाईलैंड से जोड़ता है।
- भारत-यूरोप एक्सप्रेस (IEX) सऊदी अरब और ग्रीस के माध्यम से भारत को इटली से जोड़ता है।
- SeaMeWe-6 परियोजना भारत, बांग्लादेश, मालदीव के माध्यम से सिंगापुर को फ्राँस से जोड़ेगी।
- अफ्रीका-2 केबल कई अफ्रीकी देशों द्वारा भारत को यूनाइटेड किंगडम से जोड़ेगी।