प्रारंभिक परीक्षा
लेप्टोस्पायरोसिस और डेंगू का प्रकोप
- 21 Jun 2023
- 7 min read
लेप्टोस्पायरोसिस जीवाणु संबंधी संभावित घातक रोग है जो मानसून के महीनों के दौरान अधिक प्रभावी हो गया है, यह प्रदूषित जल के संपर्क में आने वाले कृषि क्षेत्र या सैनिटरी सेवाओं में काम करने वाले लोगों हेतु गंभीर जोखिम उत्पन करता है।
- इसके अलावा सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा संभावित गंभीर डेंगू के प्रकोप के बारे में चेतावनी दी गई है, साथ ही उन्नत नैदानिक एवं विषाणु संबंधी निगरानी की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है। सर्कुलेटिंग डेंगू वायरस (DENV) सेरोटाइप में परिवर्तन से अधिक गंभीर तथा जीवन-संकट वाली स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
- केरल के तिरुवनंतपुरम ज़िले की रिपोर्टों के अनुसार, वर्ष 2022 में डेंगू के 70% नमूने DENV3 से संबंधित थे, साथ ही कुछ मामले DENV4 से भी संबंधित थे।
लेप्टोस्पायरोसिस:
- परिचय:
- लेप्टोस्पायरोसिस बैक्टीरियम लेप्टोस्पाइरा इंटरऑर्गन के कारण होता है, जो मुख्य रूप से संक्रमित जानवरों के मूत्र में पाया जाता है।
- रोग के वाहक के रूप में जंगली और घरेलू जानवरों में जैसे- कृंतक, मवेशी, सूअर और कुत्ते शामिल हैं।
- लक्षण:
- लेप्टोस्पायरोसिस में लक्षणों की शृंखला देखी जा सकती है, जो हल्के फ्लू जैसी बीमारी से लेकर जानलेवा स्थिति तक हो सकती है।
- सामान्य लक्षणों में अचानक बुखार आना, ठंड लगना और सिरदर्द शामिल हैं, कभी-कभी इसके कोई भी लक्षण नहीं देखे जाते हैं।
- गंभीर स्थिति में अंग शिथिलता के मामले देखने को मिल सकते हैं, जिसका यकृत, गुर्दे, फेफड़े और मस्तिष्क पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
- लेप्टोस्पायरोसिस में लक्षणों की शृंखला देखी जा सकती है, जो हल्के फ्लू जैसी बीमारी से लेकर जानलेवा स्थिति तक हो सकती है।
- प्रसार:
- संक्रमित पशुओं के मूत्र में लेप्टोस्पाइरा की मात्रा पाए जाने के साथ ही संचरण चक्र की शुरुआत होती है।
- संक्रमित पशु मूत्र अथवा दूषित मृदा और जल के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संपर्क में आने वाले व्यक्तियों में इसके संक्रमण का जोखिम होता है।
- त्वचा पर किसी प्रकार का घाव वाले व्यक्तियों में लेप्टोस्पायरोसिस होने की संभावना अधिक होती है।
- संक्रमित पशु मूत्र अथवा दूषित मृदा और जल के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संपर्क में आने वाले व्यक्तियों में इसके संक्रमण का जोखिम होता है।
- संक्रमित पशुओं के मूत्र में लेप्टोस्पाइरा की मात्रा पाए जाने के साथ ही संचरण चक्र की शुरुआत होती है।
- बचाव:
- लेप्टोस्पायरोसिस के प्रसार को कम करने और किसानों के आर्थिक नुकसान को कम करने हेतु पशु संक्रमण को रोकना, स्वच्छ पशुपालन तथा रखरखाव, उचित अपशिष्ट प्रबंधन एवं बेहतर स्वच्छता सुविधाएँ महत्त्वपूर्ण हैं।
- लेप्टोस्पायरोसिस से बचाव हेतु मानव, पशु, पौधे और पर्यावरणीय स्वास्थ्य की परस्पर संबद्धता पर केंद्रित 'वन हेल्थ' दृष्टिकोण” को अपनाना आवश्यक है।
- लेप्टोस्पायरोसिस के बारे में गलत धारणाएँ:
- लेप्टोस्पायरोसिस के संबंध में एक आम गलत धारणा यह है कि इसे पूरी तरह से चूहों के साथ जोड़कर देखा जाता है, जो कि सही नहीं है क्योंकि इसके संचरण के स्रोत अन्य कई पशु हो सकते हैं।
डेंगू:
- परिचय:
- डेंगू एक मच्छर जनित उष्णकटिबंधीय बीमारी है जो डेंगू वायरस (जीनस फ्लेवीवायरस) के कारण होती है, इसका प्रसार मच्छरों की कई जीनस एडीज़ (Genus Aedes) प्रजातियों, मुख्य रूप से एडीज़ इजिप्टी (Aedes aegypti) द्वारा होता है।
- यह मच्छर चिकनगुनिया और ज़िका संक्रमण भी फैलाता है।
- डेंगू एक मच्छर जनित उष्णकटिबंधीय बीमारी है जो डेंगू वायरस (जीनस फ्लेवीवायरस) के कारण होती है, इसका प्रसार मच्छरों की कई जीनस एडीज़ (Genus Aedes) प्रजातियों, मुख्य रूप से एडीज़ इजिप्टी (Aedes aegypti) द्वारा होता है।
- डेंगू के सीरोटाइप:
- वायरस के 4 अलग-अलग सीरोटाइप (सूक्ष्मजीवों की एक प्रजाति के भीतर अलग-अलग समूह जो सभी एक समान विशेषता साझा करते हैं) एक समान प्रतीत होते हैं जो डेंगू (DEN-1, DEN-2, DEN-3 और DEN-4) का कारण बनते हैं।
- लक्षण:
- अचानक तेज़ बुखार, बहुत तेज़ सिरदर्द, आँखों के पीछे दर्द, हड्डियों, जोड़ों एवं मांसपेशियों में तेज़ दर्द आदि।
- डेंगू का टीका:
- भारत के नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज़ के शोधकर्त्ताओं ने भारत, अफ्रीका और अमेरिका में नौ अन्य संस्थानों के सहयोग से डेंगू बुखार के लिये भारत का पहला और एकमात्र DNA वैक्सीन विकसित किया है।
- डेंगू वैक्सीन CYD-TDV या Dengvaxia को वर्ष 2019 में यूनाइटेड स्टेट फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा अनुमोदित किया गया था जो अमेरिका में नियामक मंज़ूरी प्राप्त करने वाला पहला डेंगू वैक्सीन था।
- Dengvaxia मूल रूप से एक जीवित, एटेन्यूयेटेड डेंगू वायरस है जिसे 9 से 16 वर्ष की आयु के उन लोगों को लगाई जाती है जिनकी रिपोर्ट में डेंगू संक्रमण की पुष्टि हुई है और जो स्थानिक क्षेत्रों में रहते हैं।
- टीका विकसित करने में चुनौतियाँ:
- प्रभावी डेंगू वैक्सीन विकसित करना चार एक समान प्रतीत होने वाले वायरस सीरोटाइप के कारण चुनौतीपूर्ण है जो एंटीबॉडी के साथ अलग तरह से प्रतिक्रिया करता है।
- एक आदर्श वैक्सीन को एंटीबॉडी-निर्भर वृद्धि (ADE) से दूरी बनाए रखते हुए सभी सीरोटाइप को लक्षित करना चाहिये जहाँ एंटीबॉडी वायरस की सहायता कर सकती है तथा जिससे गंभीर बीमारी हो सकती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित बीमारियों में से कौन-सी टैटू बनवाने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संचरित हो सकती है/हैं?
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (b) |