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जलवायु परिवर्तन के प्रभाव की रिपोर्ट करने के लिये कानून: न्यूज़ीलैंड

  • 30 Oct 2021
  • 4 min read

न्यूज़ीलैंड ऐसा पहला देश बन गया है जिसने अपने व्यवसाय पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की रिपोर्ट करने के लिये बैंकों, बीमा कंपनियों और निवेश प्रबंधकों हेतु कानून पारित किये हैं।

प्रमुख बिंदु:

  • सामान्य जानकारी:
    • नए कानूनों के लिये वित्तीय फर्मों को यह समझाने की आवश्यकता होगी कि वे जलवायु-संबंधी जोखिमों और अवसरों का प्रबंधन कैसे करेंगे और प्रकटीकरण आवश्यकताएँ भी न्यूज़ीलैंड के स्वतंत्र लेखा निकाय के मानकों पर आधारित होंगी।
      • कानून वित्तीय फर्मों को न केवल अपने स्वयं के निवेश का आकलन करने बल्कि उन कंपनियों का मूल्यांकन करने के लिये भी बाध्य करेगा, जिन्हें वे अपने पर्यावरणीय प्रभाव के संदर्भ में पैसा उधार दे रहे हैं।
    • वर्ष 2023 से शुरू होने वाले वित्तीय वर्षों के लिये प्रकटीकरण अनिवार्य हो जाएगा।
      • न्यूज़ीलैंड सरकार ने वर्ष 2025 तक अपने सार्वजनिक क्षेत्र को कार्बन-तटस्थ बनाने और इस दशक के मध्य से केवल शून्य-उत्सर्जन सार्वजनिक परिवहन बसों को खरीदने का वादा करने सहित उत्सर्जन को कम करने के लिये कई नीतियाँ पेश की हैं।
  • महत्त्व:
    • यह सुनिश्चित करेगा कि वित्तीय संगठन जलवायु संबंधी जोखिमों  अवसरों के बारे में खुलासा करें और अंततः कार्रवाई करें।
    • जलवायु रिपोर्टिंग स्वतंत्र होने से निवेशकों को यह देखने को मिलेगा कि जिस कंपनी में वे अपना पैसा लगाने की योजना बना रहे हैं, वह पर्यावरण को कैसे प्रभावित करती है।
      • यह वित्तीय संस्थानों को अपने निर्णयों पर पुनर्विचार करने के साथ-साथ दुनिया पर पड़ने वाले प्रभावों पर भी विचार करने के लिये प्रेरित करता है।
    • यह कानून वित्तीय और व्यावसायिक निर्णय लेने में जलवायु जोखिम और लचीलापन लाएगा।
  • भारत के लिये इस कानून की आवश्यकता:
    • बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) जैसे स्टॉक एक्सचेंज, जिसने 2.8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के बाज़ार पूंजीकरण की सीमा को छुआ है, भारत में संगठनों को अधिक पर्यावरण अनुकूल बनाने में मदद करने में निश्चित रूप से एक बड़ा प्रभाव पैदा कर सकते हैं।
      • लेकिन भारत में इस उपाय को सफल बनाने के लिये राष्ट्र के आकार और मौजूद व्यवसायों की संख्या को देखते हुए इसे और अधिक व्यापक बनाना होगा।
  • संबंधित पहलें:
    • वित्तीय प्रणाली को हरित बनाने हेतु नेटवर्क (NGFS):
      • यह केंद्रीय बैंकों और पर्यवेक्षी प्राधिकरणों का वैश्विक नेटवर्क है जो एक अधिक स्थायी वित्तीय प्रणाली की वकालत करता है।
    • जलवायु संबंधी वित्तीय प्रकटीकरण पर टास्क फोर्स (TFCD):
      • TFCD को वर्ष 2015 में वित्तीय स्थिरता बोर्ड (FSB) ने कंपनियों, बैंकों और निवेशकों द्वारा हितधारकों को जानकारी प्रदान करने के लिये लगातार जलवायु-संबंधी वित्तीय जोखिम प्रकटीकरण हेतु बनाया था।
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