प्रक्षेपण यान मार्क 3 | 26 Oct 2022
हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सबसे भारी रॉकेट लॉन्च व्हीकल मार्क 3 (LVM3 या GSLV मार्क 3) ने यूके स्थित वनवेब के 36 उपग्रहों की सफलतापूर्वक परिक्रमा की।
- वनवेब 648 लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) उपग्रहों के समूह द्वारा संचालित एक वैश्विक संचार नेटवर्क है।
लॉन्च व्हीकल मार्क 3 ( LMV 3):
- परिचय:
- LVM3-M2 मिशन एक विदेशी ग्राहक वनवेब के लिये एक समर्पित वाणिज्यिक मिशन है, जो न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL), एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (CPSE) से है।
- यह पहला बहु-उपग्रह मिशन है जिसमें LVM3 अब तक का लो अर्थ ऑर्बिट के लिये 36 वनवेब उपग्रह हैं, जो 5,796 किलोग्राम के सबसे भारी पेलोड द्रव्यमान के रूप में हैं।
- यह नवीनतम रॉकेट 4,000 किलोग्राम वर्ग के उपग्रहों को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में और 8,000 किलोग्राम पेलोड को LEO में लॉन्च करने में सक्षम है।
- यह तीन चरणों वाला प्रक्षेपण यान है, जिसके किनारों पर दो ठोस प्रणोदक S200 स्ट्रैप-ऑन हैं और कोर चरण में L110 तरल चरण तथा C25 क्रायोजेनिक चरण शामिल हैं।
- विशेषताएँ:
- LVM3 का पहला वाणिज्यिक मिशन
- LVM3 से LEO का पहला प्रक्षेपण
- छह टन भार क्षमता वाला पहला भारतीय रॉकेट
- LVM3 के साथ पहला NSIL मिशन
- NSIL/अंतरिक्ष विभाग के साथ पहला वनवेब मिशन
- तकनीकी उपलब्धियाँ:
- एकाधिक उपग्रह पृथक्करण घटनाओं का संचालन
- मिशन अवधि में नाममात्र वृद्धि
- C25 (CRYO) चरण पुन: अभिविन्यास और अतिरिक्त वेग के माध्यम से सुरक्षित पृथक्करण दूरी सुनिश्चित करना
- संपूर्ण मिशन अवधि के लिये डेटा उपलब्धता सुनिश्चित करना
- सैटेलाइट डिस्पेंसर के लिये नए भार क्षमता एडॉप्टर और इंटरफेस रिंग की प्राप्ति
वनवेब तारामंडल:
- वनवेब तारामंडल LEO ध्रुवीय कक्षा में संचालित होता है, उपग्रहों को प्रत्येक विमान में 49 उपग्रहों के साथ 12 रिंगों (कक्षीय विमानों) में व्यवस्थित किया जाता है।
- कक्षीय तलों का झुकाव ध्रुवों (87.9 डिग्री) के करीब होता है।
- कक्षीय विमान पृथ्वी से 1200 किमी. ऊपर होते हैं। प्रत्येक उपग्रह प्रति 109 मिनट में पृथ्वी का एक पूर्ण चक्कर लगाता है।
- उपग्रह नीचे घूम रही पृथ्वी के ऊपर होते है, इसलिये ये उपग्रह हमेशा ही नए स्थानों पर उड़ते हुए पाए जाएंगे।
इसरो द्वारा उपयोग किये जाने वाले प्रक्षेपण यान:
- सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV): इसरो द्वारा विकसित पहले रॉकेट को केवल SLV या सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल कहा जाता था।
- इसके बाद संवर्द्धित उपग्रह प्रक्षेपण यान (ASLV) आया।
- संवर्द्धित सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (ASLV):
- SLV और ASLV दोनों ही छोटे उपग्रहों, जिनका वज़न 150 किलोग्राम तक होता है, को पृथ्वी की निचली कक्षाओं में ले जा सकते हैं।
- ASLV का परिचालन PSLV आने से पहले यानी 1990 के दशक की शुरुआत तक किया जाता था।
- ध्रुवीय सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV):
- PSLV का पहला सफल प्रक्षेपण अक्तूबर 1994 में किया गया था। तब से यह इसरो का मुख्य रॉकेट है। हालाँकि आज का PSLV वर्ष 1990 के दशक में इस्तेमाल किये गए PSLV की तुलना में काफी बेहतर और कई गुना अधिक शक्तिशाली है।
- PSLV पहला लॉन्च वाहन है जो तरल चरण (Liquid Stages) से सुसज्जित है।
- PSLV इसरो द्वारा उपयोग किया जाने वाला अब तक का सबसे विश्वसनीय रॉकेट है, जिसकी 54 में से 52 उड़ानें सफल रही हैं।
- PSLV का उपयोग भारत के दो सबसे महत्त्वपूर्ण मिशनों (वर्ष 2008 के चंद्रयान-I और वर्ष 2013 के मार्स ऑर्बिटर स्पेसक्राफ्ट) के लिये भी किया गया था।
- इसरो वर्तमान में दो लॉन्च वाहनों - PSLV और GSLV (जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) का उपयोग करता है, इनमें भी कई प्रकार के संस्करण होते हैं।
- PSLV का पहला सफल प्रक्षेपण अक्तूबर 1994 में किया गया था। तब से यह इसरो का मुख्य रॉकेट है। हालाँकि आज का PSLV वर्ष 1990 के दशक में इस्तेमाल किये गए PSLV की तुलना में काफी बेहतर और कई गुना अधिक शक्तिशाली है।
- जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV): जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) एक अधिक शक्तिशाली रॉकेट है, जो भारी उपग्रहों को अंतरिक्ष में अधिक ऊँचाई तक ले जाने में सक्षम है। जीएसएलवी रॉकेटों ने अब तक 18 मिशनों को अंजाम दिया है, जिनमें से चार विफल रहे हैं।
- यह 10,000 किलोग्राम के उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा तक ले जा सकता है।
- स्वदेश में विकसित क्रायोजेनिक अपर स्टेज (CUS)- ‘GSLV Mk-II’ के तीसरे चरण का निर्माण करता है।
- Mk-III संस्करणों ने भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो को अपने उपग्रहों को लॉन्च करने हेतु पूरी तरह से आत्मनिर्भर बना दिया है।
- इससे पहले यह अपने भारी उपग्रहों को अंतरिक्ष में ले जाने के लिये यूरोपीय एरियन प्रक्षेपण यान पर निर्भर था।
- GSLV मार्क- III का उपयोग वर्ष 2019 में चंद्रयान -2 मिशन को चंद्रमा पर लॉन्च करने के लिये किया गया था, जो रॉकेट की पहली परिचालन उड़ान थी।
- ISRO ने GSLV मार्क-III का नाम बदलकर लॉन्च व्हीकल मार्क-III कर दिया है।
- GEO कक्षा के लिये GSLV ही कहा जाता रहेगा, लेकिन GSLV-मार्क-III का नाम बदलकर LVM3-तीन कर दिया गया है। LVM3 हर जगह – GEO, MEO, LEO, चंद्रमा, सूर्य के मिशन के लिये जाएगा।’’
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. भारत के उपग्रह प्रक्षेपण यान के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) |