लस्सा बुखार | 15 Feb 2022
हाल ही में ब्रिटेन में लस्सा बुखार (Lassa Fever) से पीड़ित तीन व्यक्तियों की मृत्यु हो गई। इन मामलों को पश्चिम अफ्रीकी देशों की यात्रा से जोड़ा गया है।
प्रमुख बिंदु
लस्सा बुखार:
- लस्सा बुखार के बारे में:
- लस्सा बुखार पैदा करने वाला वायरस पश्चिम अफ्रीका में पाया जाता है और पहली बार इसे वर्ष 1969 में नाइजीरिया के लासा में खोजा गया था।
- यह बुखार चूहों द्वारा फैलता है तथा मुख्य रूप से सिएरा लियोन, लाइबेरिया, गिनी और नाइजीरिया सहित पश्चिम अफ्रीका के देशों में पाया जाता है जहाँ यह (लस्सा बुखार) स्थानिक है।
- मेटोमिस (Matomys) चूहों में घातक लस्सा वायरस फैलाने की क्षमता होती है।
- प्रसार:
- इससे व्यक्ति तब संक्रमित हो सकता है जब वह किसी संक्रमित चूहे (जूनोटिक रोग) के मूत्र या मल से दूषित भोजन या घरेलू सामान के संपर्क में आता है।
- यह कभी-कभी किसी बीमार व्यक्ति के संक्रमित शारीरिक तरल पदार्थ या आँख, नाक या मुँह जैसे श्लेष्म झिल्ली के संपर्क में आने से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है।
- स्वास्थ्य देखभाल परिदृश्य में व्यक्ति-से-व्यक्ति संचरण काफी अधिक होता है।
- लक्षण:
- इसके सामान्य लक्षणों में हल्का बुखार, थकान, कमज़ोरी और सिरदर्द शामिल हैं।
- गंभीर लक्षणों में रक्तस्राव, साँस लेने में कठिनाई, उल्टी, चेहरे की सूजन और छाती, पीठ एवं पेट में दर्द आदि शामिल हैं।
- लक्षणों की शुरुआत के दो सप्ताह में रोगी की मृत्यु हो सकती है, आमतौर पर बहु-अंग विफलता के परिणामस्वरूप।
- उपचार:
- एंटीवायरल दवा ‘रिबाविरिन’ (Ribavirin) लस्सा बुखार के लिये एक प्रभावी उपचार प्रतीत होता है, लेकिन बीमारी होने पर इसे तुरंत दिया जाना चाहिये।