क्यासानूर फॉरेस्ट डिज़ीज़ | 12 Feb 2024
स्रोत: द हिंदू
कर्नाटक में वायरल संक्रमण क्यासानूर फॉरेस्ट डिज़ीज़ (KFD) के प्रभाव के कारण वर्ष 2024 में अब तक दो व्यक्तियों की मृत्यु हो गई है।
- वर्तमान में इसके कारण होने वाली मौतों की संख्या 560 से अधिक है। वर्ष 1956 में शिवमोग्गा ज़िले के वनों में इस संक्रमण पता चला।
क्यासानूर फॉरेस्ट डिज़ीज़ (KFD) क्या है?
- परिचय:
- क्यासानूर फॉरेस्ट डिज़ीज़ (KFD), एक ज़ूनोटिक बीमारी है तथा यह सर्वप्रथम बंदरों में पाई गई थी जिसके परिणामस्वरूप इसे बोलचाल की भाषा में "मंकी डिज़ीज़" कहा जाता है।
- यह क्यासानूर फॉरेस्ट डिज़ीज़ वायरस (KFDV) के कारण होता है जो मुख्य रूप से मनुष्यों और बंदरों को प्रभावित करता है।
- इसकी पहचान सर्वप्रथम वर्ष 1957 में कर्नाटक के क्यासानूर वन के एक बीमार बंदर में की गई थी। तब से प्रति वर्ष 400-500 व्यक्तियों के इससे संक्रमित होने के मामले दर्ज किये जाते रहे हैं।
- अंततः KFD संपूर्ण पश्चिमी घाट में संचरित होती एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में उभरी।
- संचरण:
- प्राकृतिक परिवेश में यह विषाणु मुख्य रूप से हार्ड टिक्स (हेमाफिसैलिस स्पिनिगेरा), बंदरों, कृंतकों तथा पक्षियों में मौजूद रहता है।
- मनुष्यों में यह संक्रमण टिक (किलनी) के काटने अथवा किसी संक्रमित जानवर (बीमार अथवा हाल ही में मृत बंदर) के संपर्क में आने के बाद फैल सकता है।
- उपस्थिति:
- सामान्य तौर पर यह संक्रमण नवंबर के अंत से जून माह के बीच तक शुरू होता है तथा दिसंबर और मार्च के बीच चरम पर होता है।
- लक्षण:
- इससे संक्रमित होने पर ठंड लगना, सिर में दर्द, शरीर में दर्द और पाँच से 12 दिनों तक तेज़ बुखार रहता है तथा इस मामले में मृत्यु दर 3 से 5% है।
- निदान:
- पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (PCR) द्वारा आणविक पहचान अथवा रक्त को विषाणु मुक्त कर इस बीमारी के प्रारंभिक चरण में इसका निदान किया जा सकता है।
- तदोपरांत एंज़ाइम-लिंक्ड इम्यूनोसॉर्बेंट सेरोलॉजिकल एस्से (ELISA) का उपयोग करके सीरोलॉजिकल परीक्षण किया जा सकता है।
- उपचार एवं रोकथाम:
- किसी विशिष्ट उपचार के अभाव में डॉक्टर प्रतिदिन पाए जाने वाले लक्षणों का इलाज करते हैं तथा महत्त्वपूर्ण संकेतों पर नज़र रखते हैं।
- राज्य सरकार के निर्णय के अनुरूप इससे पीड़ित मरीज़ो का निशुल्क इलाज किया जा रहा है।
- KFDV की रोकथाम के लिये एक टीका (फॉर्मेलिन इनएक्टिवेटेड KFDV वैक्सीन) मौजूद है और इसका उपयोग भारत के स्थानिक क्षेत्रों में किया जाता है।
- भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) वैक्सीन के विकास के लिये इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स के साथ परामर्श कर रही है।
- वन विभाग (N, N-डायथाइल फेनिलसेटामाइड) DEPA तेल का वितरण कर रहा है जिसे त्वचा पर टिक (किलनी) के काटने से बचाव के लिये लगाया जाता है।
- किसी विशिष्ट उपचार के अभाव में डॉक्टर प्रतिदिन पाए जाने वाले लक्षणों का इलाज करते हैं तथा महत्त्वपूर्ण संकेतों पर नज़र रखते हैं।
क्यासानूर वन:
- क्यासानूर वन कर्नाटक के शिमोगा ज़िले में स्थित एक संरक्षित क्षेत्र है।
- यह पश्चिमी घाट पर्वत शृंखला का हिस्सा है तथा अपनी समृद्ध जैवविविधता के लिये जाना जाता है।
- इस वन में विभिन्न प्रकार के पौधों और जानवर हैं जिनमें बाघ, तेंदुए, हाथी और गौर शामिल हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न: निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त में से कौन-से पादप रोग फैलाते हैं? (a) केवल 1 और 3 उत्तर: (d) |