रैपिड फायर
गोदावरी घाटी का कोंडा वेदुरु बाँस
- 17 Feb 2025
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स्रोत: द हिंदू
कोंडा वेदुरू बाँस की किस्म (डेंड्रोकैलेमस स्ट्रिक्टस), जिसे प्रायः 'हरा सोना' कहा जाता है, कोंडा रेड्डी जनजाति की सांस्कृतिक, पोषण संबंधी और आर्थिक प्रथाओं में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- कोंडा वेदुरू बाँस: पूर्वी घाट में पाई जाने वाली किस्म, मुख्य रूप से गोदावरी नदी घाटी (आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में विस्तृत) में पाई जाती है।
- कोंडा वेदुरू बाँस के कोपल कोंडा रेड्डी जनजाति के लिये एक मुख्य आहार हैं। यह पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जिसमें प्रोटीन, अमीनो एसिड, विटामिन और लोहा प्रचुर मात्रा में होते हैं, पारंपरिक रूप से महिलाएँ इन बाँस के कोपलों की कटाई करती हैं।
- कोंडा रेड्डी जनजाति: कोंडा रेड्डी, आंध्रप्रदेश में कमज़ोर जनजातीय समूह हैं, जो हिंदू धर्म (स्थानीय देवताओं, घरेलू देवताओं की पूजा) का पालन करते हैं।
- परिवार की संरचना पितृसत्तात्मक और पितृस्थानीय है, जिसमें प्रेम और विनिमय जैसी सामाजिक रूप से स्वीकृत विवाह प्रथाएँ शामिल हैं।
- कुल पंचायत द्वारा शासित और वंशानुगत मुखियाओं के नेतृत्व में, इनकी आजीविका का पलायन कृषि पर निर्भर करता है।
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