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खर्ची पूजा

  • 15 Jul 2024
  • 2 min read

स्रोत: पीआईबी

  • हाल ही में आषाढ़ माह की शुक्ल अष्टमी के दिन प्रतिवर्ष मनाई जाने वाली खर्ची पूजा (Kharchi Puja) का आयोजन किया गया।
    • पूजा के दिन 14 देवताओं को "चंताई" (शाही पुजारी) के सदस्यों द्वारा "सैदरा" नदी पर ले जाया जाता है। देवताओं को पवित्र जल से स्नान कराया जाता है और वापस मंदिर में लाया जाता है।
    • त्योहार के दौरान त्रिपुरा के लोग अपने 14 देवताओं के साथ-साथ पृथ्वी की भी पूजा करते हैं। 
    • इस त्योहार में एक महत्त्वपूर्ण अनुष्ठान में चतुर्दश मंडप का निर्माण शामिल है, यह एक संरचना है जो त्रिपुरी राजाओं के शाही महल का प्रतीक है।
    • खर्ची पूजा को '14 देवताओं के त्योहार' के रूप में भी जाना जाता है, इस पारंपरिक कार्यक्रम में त्रिपुरा के लोगों के पैतृक देवता, चतुर्दश देवता (प्राचीन उज्जयंत महल में स्थित) की पूजा शामिल है।
  • इतिहास:
    • हालाँकि यह आदिवासी मूल का त्योहार है, यह त्रिपुरा के आदिवासी और गैर-आदिवासी दोनों लोगों द्वारा मनाया जाता है।
    • ऐसा माना जाता है कि देवी माँ या त्रिपुरा सुंदरी, भूमि की अधिष्ठात्री देवी है, जो त्रिपुरा के लोगों की रक्षा करती है, जून माह में अंबुबाची के समय मासिक धर्म से गुज़रती हैं। लोक मान्यता है कि देवी के मासिक धर्म के दौरान पृथ्वी अशुद्ध हो जाती है।
    • इसलिये मासिक धर्म समाप्त होने के बाद पृथ्वी को स्वच्छ करने के लिये अनुष्ठान द्वारा लोगों के पापों को धोने के लिये खर्ची पूजा की जाती है।

Kharchi Puja

और पढ़ें: अंबुबाची मेला

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