रैपिड फायर
कश्मीर में वसंत ऋतु का आगमन
- 09 Apr 2025
- 2 min read
स्रोत: द हिंदू
कश्मीर की विशिष्ट कृषि-जलवायु परिस्थितियों में विविध प्रकार के स्थानिक पौधों, विशेषकर वसंत ऋतु में खिलने वाले पौधों की संवृद्धि होती है, जो घाटी की जैवविविधता और सांस्कृतिक विरासत की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं।
- विशिष्ट कृषि-जलवायु परिस्थितियाँ: कश्मीर की तुंगीय भिन्नता (1,600 मीटर से 4,500 मीटर) के कारण यहाँ विविध प्रकार के वसंत पुष्प खिलते हैं, जैसे Colchicum luteum (वीर कौम), Sternbergia vernalis (गौल टूर) और Viburnum grandiflorum (कुलमंश), जो यहाँ की अत्यधिक शीत ऋतु और मृदु वसंत के कारण फलते-फूलते हैं।
- पारिस्थितिक और सांस्कृतिक महत्त्व: ये वसंत ऋतु के फूल फलों के पेड़ों के परागण के लिये आवश्यक परागणकों को सहायता प्रदान करके पारिस्थितिकी तंत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- इनका सांस्कृतिक महत्त्व भी है, क्योंकि इनका औषधीय उपयोग किया जाता है तथा कश्मीरी लोककथाओं में भी इनका विवरण है।
- खतरे: असंवहनीय विकास, वनोन्मूलन और मानवीय अतिक्रमण से इन वसंतकालीन फूलों को खतरा है।
- जलवायु परिवर्तन के कारण फूलों के प्रतिरूप में बदलाव आ रहा है, जिससे समय से पहले फूल खिल रहे हैं और प्राकृतिक ऋतुनिष्ठ चक्र बाधित हो रहा है।
- हालाँकि ये पुष्प महत्त्वपूर्ण हैं किंतु वसंत ऋतु में खिलने वाले फूलों के लिये कोई समर्पित संरक्षण कार्यक्रम नहीं हैं। वर्तमान में इनका संरक्षण सलीम अली जैसे राष्ट्रीय उद्यानों और गुलमर्ग वन्यजीव अभयारण्य जैसे वन्यजीव अभयारण्यों द्वारा किया जाता है।
और पढ़ें: टाइटन अरुम फूल