कर्त्तव्य पथ | 09 Sep 2022
प्रिलिम्स के लिये:नेताजी सुभाष चंद्र बोस, कर्त्तव्य पथ, सेंट्रल विस्टा। मेन्स के लिये:कर्त्तव्य पथ और उसका महत्त्व, राजपथ का इतिहास। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री ने ' कर्त्तव्य पथ' का उद्घाटन और इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण किया।
प्रमुख बिंदु
- कर्त्तव्य पथ सत्ता के प्रतीक के रूप में पूर्ववर्ती राजपथ से सार्वजनिक स्वामित्व और अधिकारिता का उदाहरण होने के कारण कर्त्तव्य पथ में बदलाव का प्रतीक है।
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा उसी स्थान पर स्थापित की जाएगी जहाँ पराक्रम दिवस (23 जनवरी 2022) पर होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया गया था।
- ग्रेनाइट से बनी यह प्रतिमा स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी के अपार योगदान के लिये उपयुक्त श्रद्धांजलि है और उनके प्रति देश के ऋणी होने का प्रतीक होगी।
- श्री अरुण योगीराज, जो मुख्य मूर्तिकार थे, द्वारा तैयार की गई, 28 फीट ऊँची प्रतिमा को अखंड ग्रेनाइट पत्थर से उकेरा गया है और इसका वजन 65 मीट्रिक टन है।
- ये कदम प्रधानमंत्री के दूसरे 'पंच प्राण' के अनुरूप हैं, जो 75 वें स्वतंत्रता दिवस 2022 के दौरान अमृत काल में न्यू इंडिया के लिये प्रतिज्ञा की गई थी कि: 'औपनिवेशिक मानसिकता के किसी भी निशान को मिटा दें'।
राजपथ के कायाकल्प की ज़रूरत:
- वर्षों से राजपथ और सेंट्रल विस्टा एवेन्यू के आसपास के क्षेत्रों में आगंतुकों के बढ़ते यातायात का दबाव देखा जा रहा था, जिससे इसके बुनियादी ढाँचे पर दबाव पड़ रहा था।
- सेंट्रल विस्टा एवेन्यू सरकार की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना का हिस्सा है।
- इसमें सार्वजनिक शौचालय, पीने के जल, स्ट्रीट फर्नीचर और पर्याप्त पार्किंग स्थान जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव था।
- इसके अलावा अपर्याप्त साइनबोर्ड, जल की सुविधाओं का खराब रख-रखाव और बेतरतीब पार्किंग थी।
- साथ ही गणतंत्र दिवस परेड और अन्य राष्ट्रीय कार्यक्रमों को कम व्यवधान तरीके से आयोजित करने की आवश्यकता महसूस की गई, जिसमें सार्वजनिक आंदोलन पर न्यूनतम प्रतिबंध हो।
- वास्तुशिल्प की अखंडता और निरंतरता को सुनिश्चित करते हुए इन चिंताओं को ध्यान में रखते हुए पुनर्विकास किया गया है।
राजपथ का संक्षिप्त इतिहास :
- ब्रिटिश शासन के दौरान इसे किंग्सवे कहा जाता था जिसे एडविन लुटियंस और नई दिल्ली के आर्किटेक्ट हर्बर्ट बेकर द्वारा सौ वर्ष से भी पूर्व एक औपचारिक मार्ग के रूप में डिज़ाइन किया गया था।
- वर्ष 1911 में राजधानी कलकत्ता से नई दिल्ली स्थानांतरित की गई और उसके बाद कई वर्षों तक निर्माण कार्य जारी रहा।
- लुटियंस ने एक "औपचारिक धुरी" के आसपास केंद्रित आधुनिक शाही शहर की अवधारणा प्रस्तुत की जिसे भारत के तत्कालीन सम्राट जॉर्ज पंचम के सम्मान में किंग्सवे नाम दिया गया था, जिन्होंने वर्ष 1911 के दरबार के दौरान दिल्ली का दौरा किया था, जहाँ उन्होंने औपचारिक रूप से राजधानी को स्थानांतरित करने के निर्णय की घोषणा की थी।
- इसका नामकरण लंदन में स्थित किंग्सवे मार्ग के नाम पर हुआ, जो वर्ष 1905 में बनी एक मुख्य सड़क थी, जिसका नाम जॉर्ज पंचम के पिता किंग एडवर्ड सप्तम के सम्मान में रखा गया था।
- वर्ष 1947 में स्वतंत्रता के बाद इस मार्ग को हिंदी नाम ‘राजपथ’ दिया गया, जिस पर के गणतंत्र दिवस परेड होती है।
कर्त्तव्य पथ और उसका महत्व:
- ग्रैंड कैनोपी के नीचे नेताजी की प्रतिमा से लेकर राष्ट्रपति भवन तक का पूरा खंड और क्षेत्र कर्त्तव्य पथ के रूप में जाना जाएगा।
- कर्त्तव्य पथ में पूर्ववर्ती "राजपथ और सेंट्रल विस्टा लॉन" शामिल हैं।
- कर्त्तव्य पथ में लैंडस्केप, वॉकवे के साथ लॉन, अतिरिक्त हरे भरे स्थान, नवीनीकृत छोटी-छोटी नहरें, एमेनिटी ब्लॉक, बेहतर साइनेज और वेंडिंग कियोस्क प्रदर्शित होंगे।
- इसमें ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, जल प्रबंधन, उपयोग किए गए जल का पुनर्चक्रण, वर्षा जल संचयन, जल संरक्षण और ऊर्जा कुशल प्रकाश व्यवस्था जैसी कई सुविधाएँ भी शामिल हैं।
- तत्कालीन राजपथ के दोनों किनारों पर पुनर्निर्मित और विस्तारित लॉन बड़ी सेंट्रल विस्टा परियोजना का हिस्सा हैं, जहाँ केंद्रीय सचिवालय और कई अन्य सरकारी कार्यालयों के साथ एक नए त्रिकोणीय संसद भवन का पुनर्निर्माण किया जा रहा है।
सुभाष चंद्र बोस
- जन्म:
- सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को ओडिशा के कटक शहर में हुआ था। उनकी माता का नाम प्रभावती दत्त बोस (Prabhavati Dutt Bose) और पिता का नाम जानकीनाथ बोस (Janakinath Bose) था।
- उनकी जयंती 23 जनवरी को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाई जाती है।
- सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को ओडिशा के कटक शहर में हुआ था। उनकी माता का नाम प्रभावती दत्त बोस (Prabhavati Dutt Bose) और पिता का नाम जानकीनाथ बोस (Janakinath Bose) था।
- शिक्षा और प्रारंभिक जीवन:
- वर्ष 1919 में उन्होंने भारतीय सिविल सेवा (ICS) की परीक्षा पास की थी। हालाँकि बाद में बोस ने इस्तीफा दे दिया।
- वह विवेकानंद की शिक्षाओं से अत्यधिक प्रभावित थे और उन्हें अपना आध्यात्मिक गुरु मानते थे।
- उनके राजनीतिक गुरु चितरंजन दास थे।
- वर्ष 1921 में बोस ने चित्तरंजन दास की स्वराज पार्टी द्वारा प्रकाशित समाचार पत्र 'फॉरवर्ड' के संपादन का कार्यभार संभाला।
- कॉन्ग्रेस के साथ संबंध:
- उन्होंने बिना शर्त स्वराज (Unqualified Swaraj) अर्थात् स्वतंत्रता का समर्थन किया और मोतीलाल नेहरू रिपोर्ट (Motilal Nehru Report) का विरोध किया जिसमें भारत के लिये डोमिनियन के दर्जे की बात कही गई थी।
- उन्होंने वर्ष 1930 के नमक सत्याग्रह में सक्रिय रूप से भाग लिया और वर्ष 1931 में सविनय अवज्ञा आंदोलन के निलंबन तथा गांधी-इरविन समझौते पर हस्ताक्षर करने का विरोध किया।
- वर्ष 1930 के दशक में वह जवाहरलाल नेहरू और एम.एन. रॉय के साथ कॉन्ग्रेस की वाम राजनीति में संलग्न रहे।
- बोस वर्ष 1938 में हरिपुरा में कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष निर्वाचित हुए।
- वर्ष 1939 में त्रिपुरी (Tripuri) में उन्होंने गांधी जी के उम्मीदवार पट्टाभि सीतारमैय्या (Pattabhi Sitaramayya) के खिलाफ फिर से अध्यक्ष पद का चुनाव जीता।
- उन्होंने एक नई पार्टी 'फॉरवर्ड ब्लॉक' की स्थापना की। इसका उद्देश्य अपने गृह राज्य बंगाल में राजनीतिक वामपंथ और प्रमुख समर्थन आधार को मज़बूत करना था।
- भारतीय राष्ट्रीय सेना:
- वह जुलाई 1943 में जर्मनी से जापान-नियंत्रित सिंगापुर पहुँचे वहाँ से उन्होंने अपना प्रसिद्ध नारा ‘दिल्ली चलो’ जारी किया और 21 अक्तूबर, 1943 को आज़ाद हिंद सरकार तथा भारतीय राष्ट्रीय सेना के गठन की घोषणा की।
- भारतीय राष्ट्रीय सेना का गठन पहली बार मोहन सिंह और जापानी मेजर इविची फुजिवारा (Iwaichi Fujiwara) के नेतृत्त्व में किया गया था तथा इसमें मलाया (वर्तमान मलेशिया) अभियान के दौरान सिंगापुर में जापान द्वारा कैद किये गए ब्रिटिश-भारतीय सेना के युद्ध बंदियों को शामिल किया गया था।
- साथ ही इसमें सिंगापुर की जेल में बंद भारतीय कैदी और दक्षिण-पूर्व एशिया के भारतीय नागरिक भी शामिल थे। इसकी सैन्य संख्या बढ़कर 50,000 हो गई थी।
- INA ने वर्ष 1944 में इम्फाल और बर्मा में भारत की सीमा के भीतर मित्र देशों की सेनाओं का मुकाबला किया।
- नवंबर 1945 में ब्रिटिश सरकार द्वारा INA के सदस्यों पर मुकदमा चलाए जाने के तुरंत बाद पूरे देश में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए।
- मृत्यु:
- वर्ष 1945 में ताइवान में विमान दुर्घटनाग्रस्त में उनकी मृत्यु हो गई। हालाँकि अभी भी उनकी मृत्यु के संबंध में कई राज छिपे हुए हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न . भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान निम्नलिखित में से किसने 'फ्री इंडियन लीजन' नामक सेना स्थापित की थी? (2008) (a) लाला हरदयाल उत्तर: c व्याख्या:
अतः विकल्प (c) सही है। प्रश्न. भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक आकांक्षाओं के ताबूत में नौसैनिक विद्रोह किस तरह से आखिरी कील साबित हुआ? (मुख्य परीक्षा, 2014) |