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कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव

  • 09 Mar 2022
  • 4 min read

हाल ही में सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) की पूर्व संध्या पर कन्या शिक्षा प्रवेश उत्सव नामक एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया।

  • अभियान का उद्देश्य 11-14 वर्ष आयु वर्ग की स्कूल न जाने वाली किशोरियों को शिक्षा प्रणाली में वापस लाना है।

अभियान के प्रमुख बिंदु:

  • उद्देश्य: इस परियोजना का उद्देश्य मौजूदा योजनाओं और कार्यक्रमों जैसे कि किशोर लड़कियों के लिये योजना (SAG), बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के आधार पर स्कूल न जाने वाली लड़कियों के लिये एक संपूर्ण प्रणाली पर कार्य करना है।
  • कार्यान्वयन एजेंसी: इस अभियान को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा शिक्षा मंत्रालय के साथ साझेदारी में चलाया जा रहा है।
  • कार्यान्वयन: अभियान मंत्रालयों, विभागों और राज्यों के बीच अभिसरण एवं समन्वय पर केंद्रित है।
    • अभियान को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजना के हिस्से के रूप में लागू किया जाएगा, जिसमें प्राथमिक लाभार्थी 4,00,000 से अधिक स्कूल न जाने वाली किशोरियाँ होंगी।
    • सभी राज्यों के 400 से अधिक ज़िलों को ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना’ के तहत ज़मीनी स्तर तक पहुंँच और जागरूकता प्रदान करने के लिये समुदायों व परिवारों को स्कूलों में किशोर लड़कियों के नामांकन हेतु जागरूक करने हेतु वित्तपोषित किया जाएगा।
    • इसके अलावा समग्र शिक्षा अभियान और आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं (AWWs) को स्कूल न जाने वाली किशोरियों की काउंसलिंग एवं रेफर करने के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा।
    • इस अभियान के लिये ‘समग्र शिक्षा अभियान’ के तहत प्राप्त धन का भी उपयोग किया जाएगा तथा आँगनवाड़ी  कार्यकर्त्ताओं  (AWWs) को स्कूल न जाने वाली लड़कियों को रेफर करने के लिये प्रोत्साहित किया जाएगा।
  • एकत्र डेटा: यह अभियान पोषण, पोषण शिक्षा और कौशल विकास के लिये आँगनवाड़ी  केंद्रों के निरीक्षण के आधार पर स्कूल से बाहर की लड़कियों पर डेटा एकत्र करने का प्रयास करता है।
  • महत्त्व: इसके तहत  शिक्षा का अधिकार अधिनियम (2009) लागू होने के बाद से स्कूली शिक्षा  से दूर लड़कियों को शिक्षा प्रणाली में वापस लाना लक्ष्य रखा गया है।
  • आवश्यकता: इस अभियान की आवश्यकता इसलिये उत्पन्न हुई है क्योंकि किशोर लड़कियों के लिये योजना (Scheme For Adolescent Girls- SAG) जो शुरू में स्कूली शिक्षा तक पहुँच से दूर लड़कियों से संबंधित थी, के प्रति जागरूकता या रुझान देखने को मिल रहा था।

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया 

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