कैसर-ए-हिंद | 15 Nov 2021
हाल ही में अरुणाचल प्रदेश ने बड़ी और चमकीली रंग की तितली ‘कैसर-ए-हिंद’ को राज्य तितली के रूप में मंज़ूरी दी है।
- ‘कैसर-ए-हिंद’ का शाब्दिक अर्थ है ‘भारत का सम्राट’।
प्रमुख बिंदु
- वैज्ञानिक नाम: टीनोपालपस इम्पीरियलिस
- पर्यावास:
- यह दुर्लभ और स्वेलोटेल तितलियों में से एक है जो मध्यम और उच्च ऊँचाई वाले स्थानों पर पाई जाती है।
- स्वॉलोटेल, तितली परिवार- ‘पैपिलियोनिडे’ (‘लेपिडोप्टेरा’ ऑर्डर) में तितलियों का एक समूह है।
- यह चौड़ी पत्ती वाले समशीतोष्ण सदाबहार वनों में ऊँचाई पर पाई जाती है।
- समशीतोष्ण सदाबहार वन पूर्वी और पश्चिमी हिमालय में पाए जाते हैं।
- 90-120 मिलीमीटर के पंखों वाली यह तितली पूर्वी हिमालय के साथ (पश्चिम बंगाल, मेघालय, असम, सिक्किम और मणिपुर) में भी पाई जाती है।
- इसकी उपस्थिति एक बेहतर वन पारिस्थितिकी तंत्र एवं संरक्षण के अस्तित्व को इंगित करती है।
- यह तितली नेपाल, भूटान, म्याँमार, लाओस, वियतनाम और दक्षिणी चीन में भी पाई जाती है।
- यह दुर्लभ और स्वेलोटेल तितलियों में से एक है जो मध्यम और उच्च ऊँचाई वाले स्थानों पर पाई जाती है।
- संरक्षण स्थिति:
- IUCN: निकट संकटग्रस्त
- CITES: परिशिष्ट- II
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची- II
तितली
- परिचय:
- तितलियाँ, आर्थ्रोपोडा फाइलम के लेपिडोप्टेरा ऑर्डर से संबद्ध कीड़े हैं, जिसमें पतंगें भी शामिल हैं।
- वयस्क तितलियों में बड़े और प्रायः चमकीले रंग के पंख मौजूद होते हैं।
- हाल ही में ‘गोल्डन बर्डविंग’ (ट्रोइड्स ऐकस) के रूप में प्रसिद्ध एक हिमालयी तितली को 88 वर्षों के बाद भारत की सबसे बड़ी तितली के रूप में खोजा गया है।
- महत्त्व:
- समृद्ध जैव विविधता: किसी भी क्षेत्र में तितलियों की प्रचुरता समृद्ध जैव विविधता का प्रतिनिधित्व करती है।
- संकेतक प्रजाति: तितली एक संकेतक प्रजाति के रूप में कार्य करती है।
- एक संकेतक प्रजाति पारिस्थितिकी तंत्र की समग्र स्थिति और उस पारिस्थितिकी तंत्र में अन्य प्रजातियों की जानकारी प्रदान करती है। यह पर्यावरणीय परिस्थितियों के साथ-साथ सामुदायिक संरचना के पहलुओं में गुणवत्ता और परिवर्तनों को भी दर्शाती है।
- परागणक: यह परागण में मदद करके और पौधों की कई प्रजातियों के संरक्षण में परागकण के रूप में कार्य करती है।