काई चटनी: ओडिशा | 04 Jul 2022
ओडिशा में वैज्ञानिक काई चटनी को भौगोलिक संकेत (GI) रजिस्ट्री के लिये प्रस्तुत किया गया है।
- GI टैग मानक काई चटनी के व्यापक उपयोग के लिये एक संरचित स्वच्छता प्रोटोकॉल विकसित करने में मदद करेगा। GI लेबल स्थानीय उत्पादों की प्रतिष्ठा और मूल्य को बढ़ाता है तथा स्थानीय व्यवसायों का समर्थन करता है।
- वर्ष 2019 में ओडिशा को ओडिशा रसगुल्ला के लिये GI टैग मिला।
वीवर चींटियाँ:
- काई (रेड वीवर चींटी) चींटियां, जिन्हें वैज्ञानिक रूप से ओकोफिला स्मार्गडीना कहा जाता है, पूरे वर्ष मयूरभंज में बहुतायत में पाई जाती हैं। वे मेज़बान पेड़ों की पत्तियों से घोंसले का निर्माण करती हैं।
- घोंसले हवा का सामना करने के लिये काफी मज़बूत होते हैं और पानी के लिये अभेद्य होते हैं।
- काई के घोंसले आमतौर पर आकार में अंडाकार होते हैं और एक छोटे मुड़े हुए पत्ते से लेकर कई पत्तियों से मिलकर बड़े घोंसले तक बने होते हैं जिनकी लंबाई आधे मीटर से अधिक होती है।
- इसके परिवार में तीन श्रेणी के सदस्य होते हैं- श्रमिक, प्रमुख श्रमिक और रानियाँ।
- श्रमिक और प्रमुख श्रमिक ज़्यादातर नारंगी रंग के होते हैं।
- वे छोटे कीड़े और अन्य अकशेरूकीयों से भोजन प्राप्त करते हैं, उनके शिकार मुख्य रूप से बीटल, मक्खियाँ और हाइमनोप्टेरान होते हैं।
- कैस (Kais) एक बायो-कंट्रोल एजेंट हैं। वे आक्रामक होते हैं और अपने क्षेत्र में प्रवेश करने वाले अधिकांश आर्थ्रोपोडों का शिकार करते हैं।
- उनकी शिकारी आदत के कारण कैस को उष्णकटिबंधीय फसलों में जैविक नियंत्रण एजेंटों के रूप में पहचाना जाता है क्योंकि वे कई अलग-अलग कीटों के खिलाफ विभिन्न फसलों की रक्षा करने में सक्षम हैं। इस प्रकार वे अप्रत्यक्ष रूप से रासायनिक कीटनाशकों के विकल्प के रूप में उपयोग किये जाते हैं।
काई चटनी:
- पृष्ठभूमि:
- काई चटनी (Kai Chutney) बुनकर चींटियों (Weaver Ants) से तैयार की जाती है और ओडिशा के मयूरभंज ज़िले में ज़्यादातर आदिवासी लोगों के बीच लोकप्रिय है।
- आवश्यकता पड़ने पर चींटियों के पत्तेदार घोंसलों को उनके मेज़बान पेड़ों से तोड़ा जाता है तथा पत्तियों और मलबे को छाँटने एवं अलग करने से पहले एक बाल्टी पानी में इकट्ठा किया जाता है।
- महत्त्व:
- यह फ्लू, सामान्य सर्दी, काली खाँसी से छुटकारा पाने, भूख बढ़ाने और आँखों की रोशनी को प्राकृतिक रूप से बढ़ाने में मदद करती है।
- आदिवासी उपचारकर्त्ता औषधीय तेल भी तैयार करते हैं, जिसका उपयोग बेबी ऑयल के रूप में किया जाता है और बाहरी रूप से गठिया, दाद व अन्य त्वचा रोगों को ठीक करने के लिये उपयोग किया जाता है।
- यह जनजातियों के लिये एकमात्र रामबाण है।
भौगोलिक संकेत स्थिति:
- परिचय:
- GI एक संकेतक है जिसका उपयोग एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र से उत्पन्न होने वाली विशेष विशेषताओं वाले सामानों को पहचान प्रदान करने के लिये किया जाता है।
- ‘वस्तुओं का भौगोलिक सूचक’ (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 भारत में वस्तुओं से संबंधित भौगोलिक संकेतकों के पंजीकरण एवं बेहतर सुरक्षा प्रदान करने का प्रयास करता है।
- अधिनियम का संचालन महानियंत्रक पेटेंट, डिज़ाइन और ट्रेडमार्क द्वारा किया जाता है जो भौगोलिक संकेतकों का रजिस्ट्रार होता है।
- भौगोलिक संकेतक पंजीकरण कार्यालय चेन्नई में स्थित है।
- भौगोलिक संकेत का पंजीकरण 10 वर्षों की अवधि के लिये वैध होता है। इसे समय-समय पर 10-10 वर्षों की अतिरिक्त अवधि के लिये नवीनीकृत किया जा सकता है।
- यह विश्व व्यापार संगठन के बौद्धिक संपदा अधिकारों (TRIPS) के व्यापार-संबंधित पहलुओं का भी हिस्सा है।
- हाल के उदाहरण: जुडिमा वाइन राइस (असम), तिरूर वेटिला (केरल), डिंडीगुल लॉक और कंडांगी साड़ी (तमिलनाडु), ओडिशा आदि।
- भौगोलिक संकेतक का महत्त्व:
- एक बार भौगोलिक संकेतक का दर्जा प्रदान कर दिये जाने के बाद कोई अन्य निर्माता समान उत्पादों के विपणन के लिये इसके नाम का दुरुपयोग नहीं कर सकता है। यह ग्राहकों को उस उत्पाद की प्रामाणिकता के बारे में भी सुविधा प्रदान करता है।
- किसी उत्पाद का भौगोलिक संकेतक अन्य पंजीकृत भौगोलिक संकेतक के अनधिकृत उपयोग को रोकता है जो कानूनी सुरक्षा प्रदान करके भारतीय भौगोलिक संकेतों के निर्यात को बढ़ावा देता है और अन्य विश्व व्यापार संगठन के सदस्य देशों में कानूनी सुरक्षा प्राप्त करने में भी सक्षम बनाता है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (पीवाईक्यू):प्रश्न. निम्नलिखित में से किसे 'भौगोलिक संकेत' का दर्जा दिया गया है? (2015)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (c) व्याख्या:
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