जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह | 22 Jul 2022
हाल ही में जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह भारत का शत-प्रतिशत लैंडलॉर्ड मॉडल वाला पहला प्रमुख बंदरगाह बन गया है, जिसमें सभी बर्थ सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल पर संचालित हो रहे थे।
लैंडलॉर्ड बंदरगाह:
- इस मॉडल में सार्वजनिक रूप से शासित बंदरगाह प्राधिकरण एक नियामक निकाय और एक लैंडलॉर्ड के रूप में कार्य करता है, जबकि निजी कंपनियाँ बंदरगाह का संचालन करती हैं जिसमें मुख्य रूप से कार्गो-हैंडलिंग गतिविधियाँ शामिल हैं।
- इस मॉडल में बंदरगाह प्राधिकरण बंदरगाह का स्वामित्व अपने पास रखता है, जबकि बुनियादी ढाँचे को निजी फर्मों को पट्टे पर दे दिया जाता है, जो स्वयं उस बंदरगाह को अधिरचना प्रदान करते हैं और उसे बनाए रखते हैं तथा कार्गो के संचालन के लिये अपने स्वयं के उपकरण स्थापित करते हैं।
- बदले में लैंडलॉर्ड बंदरगाह को निजी संस्था से राजस्व का एक हिस्सा प्राप्त होता रहता है।
सर्विस पोर्ट मॉडल:
- सर्विस पोर्ट मॉडल में बंदरगाह प्राधिकरण बंदरगाह की गतिविधियों का प्रशासन और संचालन करता है।
- बंदरगाह संचालन में नौवहन सेवाएँ, गोदाम सुविधाएँ, क्रेन और कुशल कर्मचारी/मज़दूर उपलब्ध कराना शामिल है। बुनियादी ढाँचे का निर्माण, अधिरचना और कर्मचारियों को उपलब्ध कराना बंदरगाह प्राधिकरण की ज़िम्मेदारी होती है।
- यदि पत्तन बंदरगाह जनहित में कार्य करता है तो भी बंदरगाह का पूर्ण स्वामित्व राज्य या सरकार के पास रहता है।
- ज़्यादातर मामलों में सर्विस पोर्ट मॉडल अक्षमता के कारण नुकसान पर चलते हैं। चूँकि बंदरगाह राज्य से संबंधित है और बंदरगाह प्राधिकरण के पास इसका संचालन नियंत्रण है,इसलिये श्रमिक अपनी मांगों को लेकर हड़ताल करते हैं।
जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह (JNP):
- परिचय:
- यह नवी मुंबई में स्थित है, जो भारत में प्रमुख कंटेनर हैंडलिंग पोर्ट है, साथ ही भारत के प्रमुख बंदरगाहों में कुल कंटेनरीकृत कार्गो वॉल्यूम का लगभग 50% है।
- इसे वर्ष 1989 में अधिकृत किया गया था और इसके संचालन के तीन दशकों में JNP थोक कार्गो टर्मिनल (Bulk- Cargo Terminal) से देश का प्रमुख कंटेनर बंदरगाह बन गया है।
- संक्षिप्त अवलोकन:
- यह देश के अग्रणी कंटेनर बंदरगाहों में से एक है और शीर्ष 100 वैश्विक बंदरगाहों (लॉयड्स लिस्ट टॉप 100 पोर्ट्स 2021 रिपोर्ट के अनुसार) में 26वें स्थान पर है।
- अपनी अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ JNP सभी अंतर्राष्ट्रीय मानकों को पूरा करता है, उपयोगकर्त्ता के अनुकूल वातावरण, साथ ही रेल और सड़क मार्ग से भीतरी इलाकों तक उत्कृष्ट कनेक्टिविटी है।
- यह वर्तमान में 9000 बीस-फुट समकक्ष इकाइयों (Twenty-Foot Equivalent Units TEU) क्षमता वाले जहाज़ों को संभाल रहा है और यह उन्नयन के साथ 12200 TEU क्षमता वाले जहाज़ों को भी संभाल सकता है।
पीपीपी मॉडल:
- परिचय:
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी में एक सरकारी एजेंसी और एक निजी क्षेत्र की कंपनी के बीच सहयोग शामिल होता है जिसका उपयोग सार्वजनिक परिवहन नेटवर्क, पार्क तथा कंवेंसन सेंटर्स जैसे परियोजनाओं को वित्त, निर्माण एवं संचालित करने के लिये किया जा सकता है।
- भारतीय परिप्रेक्ष्य:
- पत्तन क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिये पीपीपी को एक प्रभावी साधन माना जाता है। पीपीपी के तहत अब तक 55,000 करोड़ रुपए की 86 परियोजनाओं को मंज़ूरी दी जा चुकी है।
- पीपीपी आधार पर प्रमुख परियोजनाओं में गोदी, मशीनीकरण, तेल जेट्टी का विकास, कंटेनर जेट्टियों का विकास, कंटेनर टर्मिनल के ओ-एंड-एम का विकास, अंतर्राष्ट्रीय क्रूज़ टर्मिनल के ओ-एंड-एम का विकास, पीपीपी प्रणाली के गैर-प्रमुख परिसंपत्तियों का वाणिज्यीकरण, पर्यटन परियोजनाओं का विकास, जैसे बंदरगाहों, द्वीपों का विकास, ताकि पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके।
- कार्गो के परिमाण में भी बढ़ोतरी की आशा है, जिसके मद्देनज़र यह बढ़ोतरी वर्ष 2020 के 1.7 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2020 तक दोगुनी हो जाएगी। संभावना है कि पीपीपी या अन्य संचालकों द्वारा प्रमुख बंदरगाहों पर माल की लदाई-उतराई का प्रतिशत वर्ष 2030 तक 85 प्रतिशत तक पहुंँच जाएगा।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:भारत में बंदरगाहों को प्रमुख और गैर-प्रमुख बंदरगाहों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। निम्नलिखित में से कौन एक गैर-प्रमुख बंदरगाह है? (2009) (a) कोच्चि (कोचीन) उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही उत्तर है। |