जलनाथेश्वर मंदिर | 17 Mar 2025
स्रोत: द हिंदू
तमिलनाडु के रानीपेट ज़िले के थक्कोलम में पल्लवों द्वारा निर्मित छठी शताब्दी का जलनाथेश्वर मंदिर जीर्ण अवस्था में है।
- क्षतिग्रस्त दीवारें और ऊँचे टैंक वाला यह मंदिर उपेक्षित है। इसका अंतिम कुंभाभिषेक (प्रतिष्ठा) 15 वर्ष पूर्व हुआ था।
जलनाथेश्वर मंदिर:
- मंदिर मूल रूप से 876 ईस्वी में पल्लव राजा अपराजिता वर्मन द्वारा बनाया गया था, जबकि त्रि-स्तरीय राजगोपुरम को 1543 ईस्वी में विजयनगर राजा वीर प्रथबा सदाशिव महारयार द्वारा जोड़ा गया था।
- यह कोसस्थलाई नदी के तट पर स्थित है। इसमें पल्लव राजा अपराजिता और चोल राजा आदित्य प्रथम के शिलालेख और अभिलेख हैं, जिनमें भूमि, स्वर्ण और बकरियों के अनुदान का विवरण है।
- यह मंदिर द्रविड़ शैली की वास्तुकला को दर्शाता है, जो तंजावुर के बृहदेश्वर मंदिर और मदुरै के मीनाक्षी मंदिर के समान है।
- 1.5 एकड़ के मंदिर में त्रि-स्तरीय गोपुरम, ग्रेनाइट की दीवारें और भगवान शिव (भगवान जलंथेश्वर के रूप में) का रेत आधारित पृथ्वी लिंगम (थिंडा थिरुमनी) है।
- यह मंदिर 275 पाडल पेट्रा स्थलमों (275 Paadal Petra Sthalams) में से एक है, जिसे तमिल शैव नयनार संबंदर के तेवरम भजनों में महिमामंडित किया गया है।
- संबंदर तमिलनाडु के सातवीं शताब्दी के शैव कवि-संत थे, जिन्होंने 16,000 भजनों की रचना की, जिनमें से 383 (या 384) तमिल शैव परंपरा में मौजूद हैं।
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