अंतर्राष्ट्रीय व्हेल शार्क दिवस | 01 Sep 2022
हाल ही में दिल्ली स्थित गैर-लाभकारी ‘वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया’' (Wildlife Trust of India-WTI) ने कर्नाटक, केरल और लक्षद्वीप के साथ मिलकर मंगलौर में 'व्हेल शार्क बचाव अभियान’ (Save the Whale Shark Campaign) की शुरूआत की है।
- 30 अगस्त, 2022 को अंतर्राष्ट्रीय व्हेल शार्क दिवस के रूप मनाया गया, इस वर्ष का विषय "शार्क का भविष्य: हमारे समुद्र के संरक्षक" (The Future of Sharks: Guardians of Our Seas) है।
व्हेल शार्क बचाव अभियान:
- इस अभियान को कर्नाटक, केरल के वन और मत्स्य विभाग एवं लक्षद्वीप प्रशासन के सहयोग से तटीय कर्नाटक, केरल और लक्षद्वीप में संचालित किया जाएगा।
- इसके अलावा इस अभियान का उद्देश्य मछली पकड़ने के जाल में व्हेल शार्क के फँसने एवं इससे होने वाली मौतों की घटना में कमी लाना और मछुआरों को व्हेल शार्क के बचाव हेतु जागरूक करना है।
- इसी क्रम में व्हेल शार्क की पहचान और बचाव को रिकॉर्ड करने के लिये एक मोबाइल एप्लीकेशन का विकास किया गया है।
व्हेल शार्क से संबंधित प्रमुख बिंदु:
- परिचय:
- व्हेल शार्क (राइनकोडोन टाइपस) पृथ्वी पर सबसे बड़ी मछली है और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में कीस्टोन प्रजाति है।
- इसकी अधिकतम लंबाई लगभग 18 मीटर और वज़न 21 टन तक हो सकता है।
- ये ओवोविविपेरस होती हैं, जिसका अर्थ है कि ये अंडे देने के बजाय बच्चों को जन्म देती हैं जो लगभग 10 वर्ष की उम्र में परिपक्वता स्थिति में पहुँचते हैं।
- व्हेल शार्क (राइनकोडोन टाइपस) पृथ्वी पर सबसे बड़ी मछली है और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में कीस्टोन प्रजाति है।
- प्राकृतिक आवास:
- व्हेल शार्क विश्व के सभी उष्णकटिबंधीय महासागरों में पाई जाती हैं, जो मछली, स्क्विड और अन्य छोटे जीवों को खाती हैं।
- भारत:
- व्हेल शार्क भारतीय तट पर समग्र रूप में पाई जाती है।
- हालाँकि इन प्रजातियों की सबसे बड़ी संख्या गुजरात के तट पर देखी जा सकती है।
- अन्य क्षेत्र:
- WTI ने अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature- IUCN) के समर्थन से वर्ष 2012-13 के दौरान पश्चिमी तट (गुजरात को छोड़कर) पर एक सर्वेक्षण किया और पाया कि व्हेल शार्क की सबसे अधिक संख्या (गुजरात तट के बाद) लक्षद्वीप समुद्री तटों के पास देखी गई।
- इसके अलावा व्हेल शार्क के तटों पर बहकर आने और जाल में फँसे होने की सूचना बड़े पैमाने पर केरल से प्राप्त होती है।
- WTI ने अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature- IUCN) के समर्थन से वर्ष 2012-13 के दौरान पश्चिमी तट (गुजरात को छोड़कर) पर एक सर्वेक्षण किया और पाया कि व्हेल शार्क की सबसे अधिक संख्या (गुजरात तट के बाद) लक्षद्वीप समुद्री तटों के पास देखी गई।
- संरक्षण की स्थिति:
- IUCN हरित स्थिति मूल्याङ्कन: वृहद् स्तर पर समाप्ति की ओर।
- IUCN रेड लिस्ट: लुप्तप्राय
- CITES: परिशिष्ट II
- भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची-I
- खतरे के प्रमुख कारण:
- मछुआरों का जाल:
- इनके लिये मुख्य खतरा मछली पकड़ने के जाल में फँस जाना है।
- अधिकांश मछुआरे जानते हैं कि उनके जाल में व्हेल शार्क फँस सकती हैं।
- इसके बावजूद वे ग्रूपर, छोटी समुद्री मछलियों और झींगा आदि पकड़ने के लिये इन जालों का उपयोग करते हैं।
- समुद्र में प्लास्टिक का बढ़ता स्तर:
- महासागरों में प्लास्टिक कचरे का बढ़ता स्तर बड़े पैमाने पर पर्यावरणीय समस्या है।
- यह ‘फिल्टर फीडिंग मेगाफौना’ अपनी खाद्य रणनीतियों के कारण विशेष रूप से अतिसंवेदनशील है।
- महासागरों में प्लास्टिक कचरे का बढ़ता स्तर बड़े पैमाने पर पर्यावरणीय समस्या है।
- मछुआरों का जाल:
- संरक्षण:
- इनकी मृत्यु दर पर अंकुश लगाने के लिये बिना किसी देरी के मछली पकड़ने के जाल में उलझी व्हेल शार्क की निकालना सुनिश्चित करना है।
- इसके लिये प्राथमिक लक्ष्य समूह जो कि मछुआरे हैं, को व्हेल शार्क के प्रति संवेदनशील बनाने की ज़रूरत है।
- इनकी मृत्यु दर पर अंकुश लगाने के लिये बिना किसी देरी के मछली पकड़ने के जाल में उलझी व्हेल शार्क की निकालना सुनिश्चित करना है।
- पहल:
- WTI पिछले 20 वर्षों से गुजरात में एक परियोजना चला रहा है जिसके तहत मछुआरों ने अरब सागर में 852 व्हेल शार्क को छोड़ा है।
- लक्ष्य:
- इस परियोजना का मुख्य लक्ष्य व्हेल शार्क को स्वैच्छिक रूप से छोड़कर मछली पकड़ने के जाल से होने वाली मौतों को कम करना तथा उन्मूलन करना है।
- यह पहल दो राज्यों और लक्षद्वीप द्वीप के साथ समुद्री मछुआरों को लक्षित करती है।
IUCN हरित स्थिति मूल्यांकन (Green Status Assessment)
- IUCN हरित स्थिति मूल्यांकन, प्रजातियों को नौ प्रजातियों की पुनर्प्राप्त श्रेणियों में वर्गीकृत (Species Recovery Categories) करता है जो यह दर्शाता है कि किस हद तक प्रजातियाँ उनके ऐतिहासिक जनसंख्या स्तरों की तुलना में विलुप्त या पुनर्प्राप्त की गई हैं।
- प्रत्येक हरित स्थिति मूल्यांकन प्रजाति पर पिछले संरक्षण प्रभाव को मापता है, जो प्रजाति के निरंतर संरक्षण पर निर्भर करता है कि अगले दस वर्षों में संरक्षण कार्रवाई से किसी प्रजाति को कितना लाभ होगा और अगली शताब्दी में इसमें कितना सुधार होने की संभावना है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन अंडे देता है और सीधे बच्चे पैदा नहीं करता है? (2008) (a) एकिडना उत्तर: a व्याख्या:
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