अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस 2023 | 25 Sep 2023
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस (23 सितंबर) के अवसर पर भारत सरकार ने सुनने में अक्षम लोगों के लिये संचार और अभिगम्यता में सुधार हेतु कई पहलें शुरू की हैं।
- सुनने में अक्षम लोगों के लिये पहलों में ऑनलाइन भारतीय सांकेतिक भाषा (ISL) पाठ्यक्रम, ISL में वित्तीय क्षेत्र से संबंधित 267 संकेतों की शुरूआत, एक व्यापक ISL शब्दकोश, विशेष स्कूलों के लिये अनुकूलित पाठ्यक्रम तथा बेहतर संचार के लिये व्हाट्सएप-आधारित वीडियो रिले सेवा शामिल है।
अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस:
- परिचय:
- अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस एक वार्षिक कार्यक्रम है जो विश्व के बधिर समुदायों की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देता है।
- वर्ष 2017 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 23 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस मनाने के आधिकारिक दिन के रूप में घोषित किया।
- यह बधिर समुदायों के जीवन में सांकेतिक भाषाओं के महत्त्व और मानव विविधता के एक अनिवार्य हिस्से के रूप में उनकी रक्षा करने की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने का एक अवसर है।
- विश्व में लाखों लोग संचार के प्राथमिक साधन के रूप में सांकेतिक भाषा का उपयोग करते हैं।
- वे अपने स्वयं के व्याकरण और वाक्यविन्यास के साथ जटिल दृश्य-संकेत संचार प्रणालियाँ हैं।
- 2023 की थीम:
- एक ऐसी दुनिया जहाँ बधिर लोग कहीं भी हस्ताक्षर कर सकते हैं।
- इतिहास:
- विश्व बधिर महासंघ (World Federation of the Deaf- WFD), जो बधिरों के 135 राष्ट्रीय महासंघों का एक संघ है, ने पूरे विश्व के अनुमानित 70 मिलियन बधिर लोगों की ओर से इस दिन के लिये विचार प्रस्तावित किया।
- संयुक्त राष्ट्र में एंटीगुआ और बारबुडा के स्थायी मिशन ने संयुक्त राष्ट्र के 97 अन्य सदस्य देशों के साथ मिलकर एक प्रस्ताव प्रायोजित किया, जिसे दिसंबर, 2017 में सर्वसम्मति से अपनाया गया।
- वर्ष 1951 में जब WFD की स्थापना हुई थी तो इस दिन का सम्मान करने के लिये 23 सितंबर की तारीख चुनी गई थी।
- वर्ष 2018 में, बधिरों के अंतर्राष्ट्रीय सप्ताह के एक हिस्से के रूप में, पहली बार अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस मनाया गया।
- बधिर लोगों की वर्तमान स्थिति:
- विश्व बधिर महासंघ के अनुसार, वर्तमान में विश्व में लगभग 70 मिलियन से अधिक लोग बधिर हैं।
- उनमें से 80% से अधिक अविकसित देशों में रहते हैं। वे सामूहिक रूप से 300 से अधिक विभिन्न सांकेतिक भाषाओं का प्रयोग करते हैं।