अर्थव्यवस्था में तरलता बढ़ाना | 01 Feb 2025

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अर्थव्यवस्था में नकदी प्रवाह बढ़ाने के लिये 1.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक की पूंजी शामिल करने के उपायों की घोषणा की है।

RBI के तरलता उपायों के बारे में मुख्य बिंदु क्या हैं?

  • मुद्रा तरलता: अर्थव्यवस्था में नकदी और आसानी से उपलब्ध वित्त की उपलब्धता, जो निवेश और व्यय को प्रभावित करती है, उसे मुद्रा तरलता कहा जाता है।
    • वह सरलता और गति जिससे किसी परिसंपत्ति को उसके मूल्य को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित किये बिना नकदी में बदला जा सकता है, उसे तरलता के रूप में जाना जाता है।
  • तरलता की कमी का कारण: विदेशी संस्थागत निवेशकों (FDI) के बहिर्गमन के बीच रुपए को स्थिर करने के लिये RBI द्वारा विदेशी मुद्रा की बिक्री के कारण तरलता में कमी आई है।
    • RBI रुपए के बदले अमेरिकी डॉलर की बिक्री करता है, जिससे बैंकिंग प्रणाली में रुपए की आपूर्ति कम हो जाती है।
    • इसके परिणामस्वरूप अल्पावधि ब्याज दरें अधिक हो गईं है तथा ऋण लेने की लागत में वृद्धि हो गई है।
  • RBI द्वारा उठाए गए कदम: RBI की तरलता निवेश योजना में तीन उपाय शामिल हैं:
    • गवर्नमेंट बॉण्ड बायबैक: इसका अर्थ है कि केंद्रीय बैंक या सरकार परिपक्वता से पहले  बाजार से बॉण्ड पुनर्खरीद करती है ।
      • यह बॉण्डधारकों (बैंकों, वित्तीय संस्थानों या निवेशकों) को भुगतान करके तरलता प्रदान करता है, जिससे बैंकिंग प्रणाली में निधि की उपलब्धता बढ़ जाती है। 
    • रेपो नीलामी: रेपो नीलामी RBI द्वारा प्रयुक्त एक तरलता समायोजन उपकरण है, जिसमें बैंक वांछित उधार दरों पर निधियों के लिये बोली लगाते हैं, तथा RBI न्यूनतम बोलियों को तब तक स्वीकार करता है, जब तक आवश्यक राशि आवंटित नहीं हो जाती।
    • अमेरिकी डॉलर-रुपया स्वैप नीलामी: स्वैप नीलामी मुद्राओं या वित्तीय साधनों के अस्थायी विनिमय की सुविधा प्रदान करके बाज़ार में तरलता बढ़ाती है।
      • विदेशी मुद्रा बाज़ार में रुपए की बिक्री से बचकर तरलता के बहिर्वाह को रोका जाता है, तथा डॉलर ऋण लेकर घरेलू मुद्रा को स्थिर किया जाता है।
  • संभावित रेपो दर में कटौती: आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में तरलता घाटे को संबोधित करना संभावित रेपो दर में कटौती का पूर्व संकेत हो सकता है।
    • पर्याप्त तरलता यह सुनिश्चित करेगी कि भविष्य में रेपो दर में की जाने वाली कटौती का लाभ कम ब्याज दरों के माध्यम से उधारकर्त्ताओं तक प्रभावी रूप से पहुँचाया जा सके।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स:

प्रश्न. यदि आर.बी.आई. प्रसारवादी मौद्रिक नीति का अनुसरण करने का निर्णय लेता है, तो वह निम्नलिखित में से क्या नहीं करेगा? (2020)

  1. वैधानिक तरलता अनुपात को घटाकर उसे अनुकूलित करना
  2. सीमांत स्थायी सुविधा दर को बढ़ाना
  3. बैंक दर को घटाना और रेपो दर को भी घटाना

नीचे दिये गए कूट का उपयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


प्रश्न.  मौद्रिक नीति समिति (मोनेटरी पालिसी कमिटी/MPC) के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)

  1. यह RBI की मानक (बेंचमार्क) ब्याज दरों का निर्धारण करती है।
  2. यह एक 12 सदस्यीय निकाय है जिसमें RBI का गवर्नर शामिल है तथा प्रत्येक वर्ष इसका पुनर्गठन किया जाता है।
  3. यह केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में कार्य करती है।

 नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 3
(d) केवल 2 और 3

उत्तर: (a)