इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार 2021 | 23 Nov 2021
हाल ही में एक नागरिक समाज संगठन- ‘प्रथम’ को वर्ष 2021 के लिये शांति, निरस्त्रीकरण और विकास हेतु ‘इंदिरा गांधी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है।
- ‘प्रथम’ भारत और दुनिया भर में वंचित बच्चों के बीच शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हेतु समर्पित संगठन है।
प्रमुख बिंदु
- इंदिरा गांधी पुरस्कार:
- शांति, निरस्त्रीकरण और विकास के लिये ‘इंदिरा गांधी पुरस्कार’ की स्थापना वर्ष 1986 में ‘इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट’ द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री की स्मृति में की गई थी।
- इसमें एक प्रशस्ति पत्र के साथ 25 लाख रुपए का मौद्रिक पुरस्कार शामिल है।
- यह पुरस्कार उन व्यक्तियों या संगठनों को दिया जाता है, जो अंतर्राष्ट्रीय शांति और विकास सुनिश्चित करने के लिये काम करते हैं, यह सुनिश्चित करता है कि वैज्ञानिक खोजों का उपयोग स्वतंत्रता और बेहतर मानवता के दायरे को आगे बढ़ाने तथा एक नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था बनाने के लिये किया जाए।
- प्रथम:
- प्रथम के विषय में: वर्ष 1995 में स्थापित ‘प्रथम’ ने समुदाय आधारित प्री-स्कूलों की स्थापना कर और कक्षाओं में पिछड़ने वाले छात्रों को उपचारात्मक शिक्षा प्रदान करके स्लम क्षेत्रों में अपना काम शुरू किया था।
- 6,00,000 ग्रामीण भारतीय बच्चों के सर्वेक्षण पर आधारित इसकी ‘एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट’ (ASER) का अब तीन महाद्वीपों के 14 देशों में शिक्षा परिणामों और सीखने की कमियों का आकलन करने के लिये एक मॉडल के रूप में उपयोग किया जाता है।
- ASER द्वारा जताई गई चिंताओं का मुकाबला करने हेतु वर्ष 2007 में प्रथम ने अपना प्रमुख कार्यक्रम रीड इंडिया शुरू किया था, जिसका उद्देश्य पढ़ने की क्षमता और अंकगणित को मज़बूत करके बच्चों की शिक्षा में सुधार करना है।
- पुरस्कार: ‘प्रथम’ को यह सुनिश्चित करने हेतु सम्मानित किया जा रहा है कि प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच प्राप्त हो, शिक्षा देने हेतु डिजिटल प्रौद्योगिकी का अभिनव उपयोग हो, युवा वयस्कों को कौशल प्रदान किया जा सके, शिक्षा की गुणवत्ता का नियमित मूल्यांकन हो और बच्चों को कोविड-19 के कारण स्कूल बंद होने के दौरान हुए नुकसान से उबरने में मदद की जा सके।
- प्रथम के विषय में: वर्ष 1995 में स्थापित ‘प्रथम’ ने समुदाय आधारित प्री-स्कूलों की स्थापना कर और कक्षाओं में पिछड़ने वाले छात्रों को उपचारात्मक शिक्षा प्रदान करके स्लम क्षेत्रों में अपना काम शुरू किया था।