भारतीय जैविक डेटा केंद्र | 15 Nov 2022
हाल ही में सरकार ने क्षेत्रीय जैव प्रौद्योगिकी केंद्र (RCB), फरीदाबाद में 'भारतीय जैविक डेटा बैंक' की स्थापना की है।
- भारतीय जैविक डेटा बैंक को 'भारतीय जैविक डेटा केंद्र (IBDC)' के रूप में जाना जाता है।
भारतीय जैविक डेटा केंद्र (IBDC):
- परिचय:
- IBDC भारत में लाइफ साइंस डेटा के लिये पहला राष्ट्रीय भंडार है, जहाँ डेटा न केवल पूरे भारत से एकत्रित किया जाएगा बल्कि पूरे भारत के शोधकर्त्ताओं को इस तक पहुँच की सुविधा होगी।
- भारत में सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित अनुसंधान से उत्पन्न IBDC में सभी लाइफ साइंस डेटा को संग्रहीत करना अनिवार्य है।
- यह डेटा सेंटर जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) द्वारा समर्थित है।
- इसे राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC), भुवनेश्वर के सहयोग से क्षेत्रीय जैव प्रौद्योगिकी केंद्र (RCB) में स्थापित किया जा रहा है।
- इसकी लागत करीब 85 करोड़ रुपए है।
- मुख्य विशेषताएँ:
- डिजीटल डेटा को 'ब्रह्म' नामक चार-पेटाबाइट क्षमता वाले सुपरकंप्यूटर पर संग्रहीत किया जाएगा।
- एक पेटाबाइट 10,00,000 गीगाबाइट (GB) के बराबर होता है।
- IBDC के भिन्न-भिन्न सेक्शन अलग-अलग तरह के डेटा सेट को प्रबंधित करते हैं।
- प्रत्येक आईबीडीसी अनुभाग में समर्पित डेटा सबमिशन और एक्सेस स्कीमा होगा।
- IBDC के पास NIC में एक बैकअप डेटा 'आपदा रिकवरी' साइट है।
- इसके अलावा, IBDC लाइफ साइंस के विभिन्न क्षेत्रों में ज्ञान की खोज को सुविधाजनक बनाने के लिये अत्यधिक क्यूरेटेड डेटा सेट भी विकसित करेगा।
- यह जैविक डेटा विश्लेषण के लिये बुनियादी ढांँचा और विशेषज्ञता भी प्रदान करेगा।
- बायो-बैंक में अब 200 बिलियन बेस पेयर डेटा हैं, जिसमें '1,000 जीनोम प्रोजेक्ट' के तहत अनुक्रमित 200 मानव जीनोम शामिल हैं, जो लोगों में आनुवंशिक विविधताओं को मैप करने का एक अंतर्राष्ट्रीय प्रयास है।
- परियोजना उन वर्गों पर भी ध्यान केंद्रित करेगी जो कुछ बीमारियों के लिये पूर्वनिर्धारित हैं।
- यह शोधकर्त्ताओं को ज़ूनोटिक रोगों का अध्ययन करने में भी मदद करेगा।
- बायो-बैंक में अब 200 बिलियन बेस पेयर डेटा हैं, जिसमें '1,000 जीनोम प्रोजेक्ट' के तहत अनुक्रमित 200 मानव जीनोम शामिल हैं, जो लोगों में आनुवंशिक विविधताओं को मैप करने का एक अंतर्राष्ट्रीय प्रयास है।
- यद्यपि डेटाबेस वर्तमान में केवल ऐसे जीनोमिक अनुक्रमों को स्वीकार करता है, जिनके बाद में प्रोटीन अनुक्रमों और इमेजिंग डेटा जैसे अल्ट्रासाउंड तथा चुंबकीय अनुनाद/रेसोनेन्स इमेज़िंग (MRI) की प्रतियों के भंडारण के लिये विस्तारित होने की संभावना है।
- डिजीटल डेटा को 'ब्रह्म' नामक चार-पेटाबाइट क्षमता वाले सुपरकंप्यूटर पर संग्रहीत किया जाएगा।
- उद्देश्य:
- देश में जैविक डेटा को लगातार संग्रहीत करने के लिये IT मंच प्रदान करंना।
- फेयर/FAIR (खोज योग्य/Findable, सुलभ/Accessible, इंटरऑपरेबल/ Interoperable और पुन: प्रयोज्य/ Reusable) सिद्धांत के अनुसार डेटा को संग्रहीत तथा साझा करने के लिये मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOPs) का विकास।
- गुणवत्ता नियंत्रण, डेटा का क्यूरेशन / एनोटेशन, डेटा बैकअप और डेटा लाइफ साइकिल का प्रबंधन।
- डेटा साझाकरण/पुनर्प्राप्ति के लिये वेब-आधारित उपकरण/अनुप्रयोग प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) का विकास।
- 'बिग' डेटा विश्लेषण और डेटा साझाकरण के लाभों पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों का संगठन।
- डेटा तक पहुँच/एक्सेस:
- IBDC में प्रमुख रूप से दो प्रकार से डेटा पहुँच/एक्सेस होंगे:
- ओपन एक्सेस/टाइम-रिलीज़ एक्सेस: IBDC में जमा किये गए डेटा अंतर्राष्ट्रीय ओपन-एक्सेस मानकों के अनुसार दुनिया भर में आसानी से उपलब्ध होंगे। हालाँकि, प्रस्तुतकर्त्ता निर्धारित समय के लिये डेटा एक्सेस को प्रतिबंधित करने का विकल्प चुन सकता है।
- प्रतिबंधित एक्सेस: डेटा को स्वतंत्र रूप से सुलभ नहीं बनाया जाएगा। इसे केवल मूल डेटा सबमिटर से IBDC के माध्यम से पूर्व अनुमति के माध्यम से एक्सेस किया जा सकता है।
- IBDC में प्रमुख रूप से दो प्रकार से डेटा पहुँच/एक्सेस होंगे:
- महत्त्व:
- यह अमेरिकी और यूरोपीय डेटा बैंकों पर भारतीय शोधकर्त्ताओं की निर्भरता को कम करेगा।
- यह न केवल शोधकर्त्ताओं को अपने डेटा को देश के भीतर सुरक्षित रूप से संग्रहीत करने के लिये एक मंच प्रदान करेगा, बल्कि विश्लेषण के लिये स्वदेशी अनुक्रमों के एक बड़े डेटाबेस तक पहुँच भी प्रदान करेगा।
- इस तरह के डेटाबेस ने पारंपरिक रूप से विभिन्न बीमारियों के आनुवंशिक आधार को निर्धारित करने और टीकों एवं उपचारों के लिये लक्ष्य खोजने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।