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नौवहन पर पहले वैश्विक कार्बन टैक्स को भारत का समर्थन

  • 15 Apr 2025
  • 2 min read

स्रोत: द हिंदू 

भारत और 62 अन्य देशों ने संयुक्त राष्ट्र की शिपिंग एजेंसी, अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) द्वारा नौवहन उद्योग पर अधिरोपित विश्व के पहले वैश्विक कार्बन टैक्स के पक्ष में मतदान किया है।

  • वैश्विक नौवहन का उत्सर्जन: वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में नौवहन उद्योग का लगभग 3% का योगदान है और यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसे पूर्व में हुए वैश्विक जलवायु समझौतों जैसे पेरिस समझौता में शामिल नहीं किया गया था।
  • कार्बन कर ढाँचा: यह कर ढाँचा वर्ष 2028 से प्रभावी होगा, जिसके तहत 5,000 सकल टन से अधिक भार वाले जहाज़ों (जिनका अंतर्राष्ट्रीय नौवहन से उत्सर्जित कुल CO2 में 85% का योगदान है) को या तो अधिक स्वच्छ ईंधन प्रौद्योगिकियों को अपनाना होगा अथवा उत्सर्जन सीमा के आधार पर उत्सर्जित CO2 के प्रति टन पर 100 से 380 अमेरिकी डॉलर का शुल्क देना होगा।
    • इस कर से वर्ष 2030 तक 40 बिलियन अमेरिकी डॉलर की धनराशि प्राप्त होने की उम्मीद है, जिसे समुद्री क्षेत्र को कार्बन मुक्त करने में पुनर्निवेशित किया जाएगा लेकिन इसमें व्यापक जलवायु अनुकूलन के लिये कोई प्रावधान नहीं किया गया है। 
  • भारतीय नौवहन उद्योग: भारत वर्ष 2047 तक विश्व के शीर्ष 5 पोत निर्माण देशों में शामिल होने की ओर अग्रसर है। वर्ष 2023 तक भारत के बेड़े में जहाज़ों की संख्या बढ़कर 1,530 हो गई, जो जहाज़ रीसाइक्लिंग में विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है। 
    • प्रमुख बंदरगाहों की कार्गो क्षमता वर्ष 2014-15 में 871.52 मिलियन टन थी जो वर्ष 2023-24 में 87% बढ़कर 1,629.86 मिलियन टन हो गई।

और पढ़ें: 2030 तक ग्रीन शिप बिल्डिंग हेतु वैश्विक केंद्र

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