भारत के पारंपरिक नववर्ष त्योहार | 24 Mar 2023
हाल ही में भारत में चैत्र शुक्लादि, उगादि, गुड़ी पड़वा, चेटीचंड, नवरेह और साजिबू चेराओबा मनाया गया। वसंत ऋतु के ये त्योहार भारत में पारंपरिक नववर्ष की शुरुआत के प्रतीक हैं।
भारत के पारंपरिक नववर्ष त्योहार:
- चैत्र शुक्लादि :
- यह विक्रम संवत के नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है जिसे वैदिक (हिंदू) कैलेंडर के रूप में भी जाना जाता है।
- विक्रम संवत उस दिन पर आधारित है जब सम्राट विक्रमादित्य ने शकों को हराया, उज्जैन पर आक्रमण किया और एक नए युग का आह्वान किया।
- यह चैत्र (हिंदू कैलेंडर का पहला महीना) में वर्द्धमान अर्धचंद्र चरण (जिसमें चंद्रमा का दृश्य पक्ष प्रत्येक रात बढ़ रहा होता है) का पहला दिन होता है।
- गुड़ी पड़वा और उगादी:
- ये त्योहार कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र सहित दक्कन क्षेत्र के लोगों द्वारा मनाए जाते हैं।
- इसमें गुड़ (मीठा) और नीम (कड़वा) परोसा जाता है, जिसे दक्षिण में बेवु-बेला कहा जाता है, यह जीवन में आने वाले सुख और दुख का प्रतीक होता है।
- गुड़ी महाराष्ट्र में घरों में तैयार की जाने वाली एक गुड़िया है।
- उगादी पर घरों में दरवाज़ों को आम के पत्तों से सजाया जाता है जिन्हें कन्नड़ में तोरणालु या तोरण कहा जाता है।
- चेटीचंड:
- चेटीचंड सिंधी समुदाय का नववर्ष का त्योहार है।
- यह त्योहार सिंधी समुदाय के संरक्षक संत झूलेलाल की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
- वैशाखी:
- इसे हिंदुओं और सिखों द्वारा मनाई जाने वाली बैसाखी के रूप में भी जाना जाता है।
- यह वर्ष 1699 में गुरु गोबिंद सिंह के अधीन योद्धाओं के खालसा पंथ के गठन की स्मृति में मनाया जाता है।
- बैसाखी उस दिन को भी चिह्नित करती है जब औपनिवेशिक ब्रिटिश साम्राज्य के अधिकारियों ने एक सभा के दौरान जलियाँवाला बाग हत्याकांड को अंज़ाम दिया था, जो औपनिवेशिक शासन के खिलाफ भारतीय आंदोलन हेतु प्रभावशाली घटना थी।
- नवरेह:
- नवरेह कश्मीरी नववर्ष का दिन है।
- इस दिन को विभिन्न अनुष्ठानों का आयोजन, घरों को फूलों से सजाने, पारंपरिक व्यंजन तैयार करने और देवताओं की प्रार्थना करने के रूप में चिह्नित किया जाता है।
- साजिबू चेराओबा:
- यह मणिपुर के सबसे महत्त्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है।
- यह विशेष रूप से राज्य के मेइती लोगों द्वारा बहुत धूमधाम और खुशी के साथ मनाया जाता है।
- विशु:
- यह एक हिंदू त्योहार है जो भारतीय राज्य केरल, कर्नाटक में तुलु नाडु क्षेत्र, पुद्दुचेरी केंद्रशासित प्रदेश के माहे ज़िले, तमिलनाडु के पड़ोसी क्षेत्रों और उनके प्रवासी समुदायों द्वारा मनाया जाता है।
- यह त्योहार मेदाम के पहले दिन (यह ग्रेगोरियन कैलेंडर में अप्रैल के मध्य में आता है) मनाया जाता है, जो केरल में सौर कैलेंडर में 9वाँ महीना है।
- पुथंडु:
- इसे पुथुवरुदम या तमिल नववर्ष के रूप में भी जाना जाता है, यह तमिल कैलेंडर में वर्ष का पहला दिन है और पारंपरिक रूप से एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
- त्योहार की तारीख चंद्र हिंदू कैलेंडर के सौर चक्र के साथ निर्धारित की गई है, तमिल महीने चिथिराई के पहले दिन के रूप में।
- इसलिये यह ग्रेगोरियन कैलेंडर पर प्रत्येक वर्ष 14 अप्रैल को या उसके आसपास होता है।
- बोहाग बिहू:
- बोहाग बिहू या रोंगाली बिहू जिसे जात (Xaat) बिहू (सात बिहू) भी कहा जाता है, एक पारंपरिक आदिवासी जातीय त्योहार है जो असम के स्वदेशी जातीय समूहों द्वारा असम और पूर्वोत्तर भारत के अन्य हिस्सों में मनाया जाता है।
- यह असमिया नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है।
- यह आमतौर पर अप्रैल के दूसरे सप्ताह में मनाया जाता है एवं ऐतिहासिक रूप से फसल कटाई के समय को दर्शाता है।
प्रश्न. शक संवत पर आधारित राष्ट्रीय पंचांग (कैलेंडर) का 1 चैत्र, ग्रेगोरियन कैलेंडर पर आधारित 365 दिन के सामान्य वर्ष की निम्नलिखित तिथियों में से किस एक के तदनुरूप है? (2014) (a) 22 मार्च (अथवा 21 मार्च) उत्तर: (a) |