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भारत की आउटवार्ड FDI प्रवृत्तियाँ

  • 29 Apr 2024
  • 2 min read

 स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

मार्च 2024 में समाप्त वित्तीय वर्ष में भारत के बाह्य प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (OFDI) में 39% की उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई साथ ही यह 28.64 बिलियन अमेरिकी डॉलर के स्तर पर पहुँच गया, जो अनिश्चित वैश्विक आर्थिक स्थितियों के प्रभाव को दर्शाता है।

  • गिरावट का मुख्य कारण इक्विटी तथा लोन दोनों माध्यमों में प्रतिबद्धताओं में कमी को दर्शाता है। भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशी अधिग्रहण में कमी ने भी इस गिरावट में भूमिका निभाई है।
  • हालाँकि, मार्च 2024 में बाह्य FDI में वृद्धि देखी गई, जो 3.92 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गई, साथ ही इक्विटी प्रतिबद्धताएँ 2.03 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गईं, जो कि वित्तीय वर्ष के लिये सर्वाधिक हैI
    • यह स्थिति चुनौतीपूर्ण वैश्विक आर्थिक परिदृश्य के बीच उभरते संभावित अवसरों को इंगित करती है, जो भारत के बाह्य FDI रुझानों की गतिशील प्रकृति का सूचक है।
  • आउटवार्ड प्रत्यक्ष निवेश एक व्यावसायिक रणनीति है जहाँ एक देश में स्थित कंपनी दूसरे देश (मेज़बान देश) में स्थित एक व्यावसायिक इकाई (विदेशी सहयोगी) में निवेश करती है।
    • यह निवेश केवल स्टॉक या बॉण्ड खरीदने की तुलना में उच्च स्थिति रखता है क्योंकि इसमें विदेशी कंपनी में एक नियंत्रित हित या महत्त्वपूर्ण प्रभाव स्थापित करना शामिल है

और पढ़ें: भारत के आउटवार्ड और इनवार्ड निवेश रुझान

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