प्रारंभिक परीक्षा
विस्तारित महाद्वीपीय शेल्फ पर भारत का दावा
- 28 Apr 2025
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स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
भारत ने मध्य अरब सागर में अपने विस्तारित महाद्वीपीय शेल्फ में लगभग 10,000 वर्ग किलोमीटर का विस्तार किये जाने हेतु संयुक्त राष्ट्र महाद्वीपीय शेल्फ सीमा आयोग (CLCS) के समक्ष एक संशोधित दावा प्रस्तुत किया है, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान के साथ जारी समुद्री विवाद से बचते हुए मूल्यवान समुद्री संसाधनों का संरक्षण करना है।
विस्तारित महाद्वीपीय शेल्फ क्या है?
- विस्तारित महाद्वीपीय जलमग्न सीमा/शेल्फ (ECS): UNCLOS के अंतर्गत महाद्वीपीय शेल्फ में तटीय देश के प्रादेशिक समुद्र से परे ऐसे विस्तारित पनडुब्बी क्षेत्रों का समुद्र तल और अवमृदा शामिल है, जो या तो महाद्वीपीय सीमांकन के प्राकृतिक किनारे तक अथवा इसके आधार रेखाओं से 200 समुद्री मील तक, जो भी अधिक दूर हो, होता है।
- विस्तारित महाद्वीपीय शेल्फ से तात्पर्य उस समुद्री क्षेत्र से है जो अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) की 200 समुद्री मील की सीमा से आगे विस्तारित होता है और किसी देश के महाद्वीपीय शेल्फ का विस्तार होता है।
- अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ): भारत सहित तटीय राष्ट्र, अपनी तटरेखा से 200 समुद्री मील तक विस्तारित अनन्य आर्थिक क्षेत्र के हकदार हैं।
- इससे उन्हें मत्स्यन और समुद्र तल पर खनन सहित संसाधन निष्कर्षण के लिये विशेष अधिकार प्राप्त हो जाते हैं।
- संयुक्त राष्ट्र CLCS संयुक्त राष्ट्र समुद्र कानून अभिसमय (UNCLOS) के कार्यान्वयन को सुगम बनाता है।
विस्तारित महाद्वीपीय शेल्फ के संदर्भ में भारत का वर्तमान दावा क्या है?
- प्रारंभिक प्रस्तुति (2009): इस वर्ष भारत ने संयुक्त राष्ट्र CLCS में अपना ECS दावा प्रस्तुत किया, जिसमें बंगाल की खाड़ी, हिंद महासागर और अरब सागर के निश्चित भाग शामिल थे, तथा अपने EEZ से परे समुद्र तल पर अधिकार की मांग की गई थी।
- आपत्तियाँ और समीक्षा: वर्ष 2021 में, पाकिस्तान ने विवादित सर क्रीक क्षेत्र के पास 100 समुद्री मील के ओवरलैप का हवाला देते हुए पश्चिमी अरब सागर में भारत के दावे पर आपत्ति जताई।
- वर्ष 2023 में, CLCS ने अरब सागर में भारत के दावे को खारिज़ कर दिया, लेकिन संशोधनों के साथ पुनः प्रस्तुत करने की अनुमति दी।
- संशोधित प्रस्तुतीकरण (वर्ष 2025): भारत ने पश्चिमी अरब सागर प्रस्तुतीकरण को दो भागों में विभाजित करके अपने दावे को संशोधित किया, विवादित क्षेत्र को छोड़ दिया और मध्य अरब सागर में लगभग 10,000 वर्ग किमी को जोड़ दिया।
- इस रणनीतिक कदम का उद्देश्य खनिजों, पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स और तेल भंडारों से समृद्ध समुद्री क्षेत्रों को सुरक्षित करना है, जो भारत के आर्थिक हितों के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
- वर्तमान स्थिति: भारत के संशोधित प्रस्तुतीकरण की 64वें CLCS सत्र (अगस्त 2025) में समीक्षा की जाएगी, जिसमें UNCLOS के अनुच्छेद 76 के तहत सिफारिशें की जाएंगी।
- UNCLOS का अनुच्छेद 76 महाद्वीपीय शेल्फ को परिभाषित करता है और इसकी बाहरी सीमाओं के निर्धारण के लिये नियम स्थापित करता है।
नोट: अरब सागर में भारत का महाद्वीपीय शेल्फ का दावा ओमान के साथ ओवरलैप है, लेकिन दोनों देशों के बीच वर्ष 2010 से एक समझौता है जिसमें कहा गया है कि सीमांकित न होने के बावजूद यह क्षेत्र "विवाद के अधीन नहीं" है।
- भारत ने बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर में 300,000 वर्ग किमी क्षेत्र पर अपना दावा किया है, हालाँकि म्याँमार और श्रीलंका इसका विरोध करते हैं।
भारत के लिये विस्तारित महाद्वीपीय शेल्फ का क्या महत्त्व है?
- सामरिक नियंत्रण और समुद्री संप्रभुता: भारत का समुद्र तल और उप-समुद्र तल क्षेत्र, इसके विस्तारित महाद्वीपीय शेल्फ दावों से 1.2 मिलियन वर्ग किमी के जुड़ने के साथ, लगभग इसके 3.274 मिलियन वर्ग किमी भूमि क्षेत्र के बराबर हो जाएगा, जिससे इसकी समुद्री संप्रभुता मज़बूत होगी और इसकी सामरिक स्वायत्तता बढ़ेगी।
- ECS अधिकारों का दावा करके भारत हिंद महासागर में अपना प्रभाव बढ़ाता है, तथा समुद्री कूटनीति और संसाधन प्रबंधन पर क्षेत्रीय सहयोग में बड़ी भूमिका निभाता है।
- आर्थिक विकास और नीली अर्थव्यवस्था: ECS मत्स्य पालन, अपतटीय ऊर्जा और समुद्री जैव प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों की संभावनाओं को खोलता है, जो भारत की नीली अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान देता है।
- वैज्ञानिक एवं पर्यावरणीय प्रबंधन: भारत का दावा समुद्र विज्ञान संबंधी अनुसंधान को बढ़ावा देने के साथ वैश्विक पर्यावरणीय मानदंडों के अनुरूप समुद्री संसाधनों के धारणीय प्रबंधन को सुनिश्चित करने पर केंद्रित है।
सर क्रीक
- यह कच्छ के रण में दलदली भूमि में स्थित 96 किलोमीटर लंबी जल स्ट्रिप है जो भारत और पाकिस्तान के बीच विवादित है।
- सर क्रीक भारत के कच्छ क्षेत्र और पाकिस्तान के सिंध प्रांत को अलग करती है तथा अरब सागर से जुड़ती है।
- सर क्रीक क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सीमा और भारत एवं पाकिस्तान के बीच अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (IMBL) का सीमांकन नहीं किया गया है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष प्रश्नप्रश्न. 'क्षेत्रीय सहयोग के लिये इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन फॉर रीजनल को-ऑपरेशन (IOR_ARC)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही है। मेन्सप्रश्न. विश्व में संसाधन संकट से निपटने के लिये महासागरों के विभिन्न संसाधनों, जिनका उपयोग किया जा सकता है, का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। (2014) |