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प्रारंभिक परीक्षा

भारत की CAR T-सेल थेरेपी

  • 20 Mar 2025
  • 6 min read

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

द लैंसेट हेमाटोलॉजी में भारत के पहले काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर (CAR) T-सेल थेरेपी के नैदानिक ​​परीक्षण के परिणाम प्रकाशित किये गए जिसके अनुसार ल्यूकेमिया और लिम्फोमा रोगियों में इस थेरेपी की प्रभावकारिता दर 73% है।

भारत के CAR T-सेल थेरेपी नैदानिक परीक्षण के प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?

  • उच्च प्रभावकारिता दर: इस परीक्षण में पुनरावर्ती या दुश्चिकित्स्य B-कोशिका कैंसर {ल्यूकेमिया (अस्थि मज्जा और रक्त को प्रभावित करने वाला कैंसर) और लिम्फोमा (लसीका तंत्र का कैंसर)} के रोगी शामिल थे, जिनके उपचार के विकल्प प्रायः सीमित होते हैं।
    • विश्लेषण किये गये रोगियों में से 73% में इस थेरेपी की सकारात्मक अनुक्रिया दर्ज की गई, जिससे ऐसे मामलों में नई आशा की संभावनाएँ हैं।
  • वैश्विक उपचारों से तुलनीय: भारत के CAR T-सेल थेरेपी की प्रभावकारिता विश्व की अन्य थेरेपी के समान है, लेकिन इसकी कीमत 20 गुना कम है, जिसकी लागत 25 लाख रुपए है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसकी लागत 3-4 करोड़ रुपए है, जहाँ कुल व्यय 8 करोड़ रुपए से अधिक हो सकता है।
  • दुष्प्रभाव: भारत के CAR T-सेल थेरेपी के नैदानिक ​​परीक्षणों में प्रबंधनीय दुष्प्रभावों की सूचना दी गई है, जिसमें रोगियों में न्यूट्रोपेनिया (श्वेत रक्त कोशिकाओं की कमी), थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (प्लेटलेट्स की कमी) और एनीमिया (लाल रक्त कोशिकाओं की कमी) की समस्या दर्ज की गई।
    • कुछ रोगियों में साइटोकाइन रिलीज़ सिंड्रोम (CRS) पाया गया, जिसके कारण बुखार और सूजन जैसे समस्याएँ हुईं।
    • उपचार से संबंधित दो रोगियों की मृत्यु की सूचना दी गई, लेकिन समग्र रूप से, इसकी अहानिकारकता प्ररूप को नियंत्रणीय समझा गया

CAR T-सेल थेरेपी क्या है?

  • परिचय: CAR T-कोशिका थेरेपी कैंसर का उन्नत उपचार है जिसके अंतर्गत कैंसर का और अधिक प्रभावी रूप से उपचार करने हेतु रोगी की T-कोशिकाओं (एक प्रकार की प्रतिरक्षा कोशिका) में परिवर्तन किया जाता है।
  • कार्यप्रणाली: T-सेल को एक रोगी के रक्त से लिया जाता है और उन्हें आनुवंशिक रूप से संशोधित किया जाता है (कैंसर कोशिकाओं को पहचान करने और उनको लक्षित करने के लिये)। 
    • इन संशोधित कोशिकाओं को, जिन्हें काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर (CAR) T-सेल के रूप में जाना जाता है, द्विगुणित किया जाता है और रोगी में पुनः प्रविष्ट कराया जाता है, ताकि B-सेल को लक्षित किया जा सके और रोग की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।
  • महत्त्व: जब B-सेल ट्यूमर दोबारा हो जाते हैं या दुर्दम्य (Refractory) हो जाते हैं (उपचार के बाद वापस आ जाते हैं या प्रारंभिक उपचार पर प्रतिक्रिया नहीं करते हैं), तो उपचार के विकल्प सीमित हो जाते हैं, जिससे प्रायः रोगी की मृत्यु हो जाती है।
    • अनियंत्रित B-सेल वृद्धि एंटीबॉडी उत्पादन में उनकी भूमिका के कारण गंभीर जटिलताओं का कारण बनती है।
    • भारत की CAR T-सेल थेरेपी एक अतिरिक्त, रोगी-विशिष्ट उपचार विकल्प प्रदान करती है, क्योंकि संशोधित T-सेल शरीर में ही रहती हैं, तथा कैंसर की पुनरावृत्ति के विरुद्ध दीर्घकालिक प्रतिरक्षा प्रदान करती हैं।
      • यह रोगी-विशिष्ट उपचार है, जो इसे पारंपरिक कीमोथेरेपी की तुलना में अत्यधिक उपयुक्त बनाता है।
  • NexCAR19: वर्ष 2023 में, NexCAR19 भारत की पहली स्वीकृत स्वदेशी CAR-T सेल थेरेपी बन गई, जिसे IIT बॉम्बे, टाटा मेमोरियल सेंटर और ImmunoACT (IIT बॉम्बे में स्थापित कंपनी) के बीच सहयोग के माध्यम से विकसित किया गया।
    • विश्व की सबसे सस्ती CAR-T थेरेपी के रूप में, यह भारत को उन्नत कोशिका (Advanced Cell) और जीन थेरेपी के लिये वैश्विक मानचित्र पर स्थापित करती है।
  • निहितार्थ: शोधकर्त्ता CAR T-सेल थेरेपी के अनुप्रयोगों और इम्यूनोथेरेपी के साथ संयोजन की खोज कर रहे हैं, जिससे भारत में जीन-संशोधित कोशिका उपचार को व्यापक रूप से अपनाने का मार्ग प्रशस्त होगा।

CAR T-Cell_Therapy

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक, मानव शरीर में B कोशिकाओं और T कोशिकाओं की भूमिका का सर्वोत्तम वर्णन है? (2022)

(a) वे शरीर को पर्यावरण प्रत्यूर्जकों (एलार्जनों) से संरक्षित करती हैं।
(b) वे शरीर के दर्द और सूजन का अपशमन करती हैं।
(c) वे शरीर में प्रतिरक्षा-निरोधकों के रूप में कार्य करती हैं।
(d) वे शरीर को रोगजनकों द्वारा होने वाले रोगों से बचाती हैं।

उत्तर: D

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