रैपिड फायर
भारत-बेल्जियम प्रत्यर्पण संधि
- 16 Apr 2025
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स्रोत: द हिंदू
पंजाब नेशनल बैंक से 13,500 करोड़ रूपए से अधिक की धोखाधड़ी के आरोपी भगोड़े हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी को भारत-बेल्जियम प्रत्यर्पण संधि के तहत भारतीय अधिकारियों द्वारा औपचारिक प्रत्यर्पण अनुरोध किए जाने के बाद बेल्जियम में गिरफ्तार कर लिया गया।
- भारत ने अगस्त 2024 में चोकसी के प्रत्यर्पण का औपचारिक अनुरोध किया था, जिसमें आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और रिश्वतखोरी जैसे आरोपों का हवाला दिया गया था। बेल्जियम ने पुष्टि करने के बाद कि ये आरोप स्थानीय स्तर पर दंडनीय हैं, इसे स्वीकृति दे दी।
- प्रपलायी अपराधी: ऐसा व्यक्ति जिस पर विदेश में प्रत्यर्पण अपराध कारित करने का आरोप है, या जो ऐसा करने का षडयंत्र रचता है, प्रयास करता है, उद्दीपन करता है, या सहायता करता है, या भारत में रहते हुए ऐसे अपराधों में शामिल होता है (प्रत्यर्पण अधिनियम, 1962 की धारा 2(f) के अनुसार)।
- प्रत्यर्पण संधि: भारतीय प्रत्यर्पण अधिनियम 1962 में 'प्रत्यर्पण संधि' को प्रपलायी (Fugitive) अपराधियों के प्रत्यर्पण के लिये भारत और किसी विदेशी राज्य के बीच द्विपक्षीय समझौते के रूप में परिभाषित किया गया है।
- विदेश मंत्रालय प्रत्यर्पण मामलों के लिये केंद्रीय प्राधिकरण के रूप में कार्य करता है।
- भारत-बेल्जियम प्रत्यर्पण संधि: वर्ष 2020 में अनुसमर्थित नई प्रत्यर्पण संधि ने ग्रेट ब्रिटेन और बेल्जियम के बीच पूर्व में वर्ष 1901 में हुई संधि का स्थान लिया, जिसे वर्ष 1958 में पत्रों के आदान-प्रदान के माध्यम से भारत पर लागू किया गया था।
- वर्तमान में भारत गणराज्य और बेल्जियम साम्राज्य के बीच लागू नई संधि के अंतर्गत दोनों देश भगोड़े अपराधियों को प्रत्यर्पित कर सकते हैं।
- संधि में यह प्रावधान है कि प्रत्यर्पण केवल उन अपराधों के लिये होगा जो दोनों देशों में दंडनीय हैं तथा अपने नागरिकों के लिये प्रत्यर्पण आबद्धकर नहीं है।
- अनुरोध करने वाले देश को गिरफ्तारी के 14 दिनों के भीतर औपचारिक रूप से अनुरोध प्रस्तुत करना होगा और दो माह के भीतर पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध कराने होंगे। अगर अनुरोध राजनीतिक रूप से प्रेरित है तो उसे अस्वीकार किया जा सकता है।
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