प्रारंभिक परीक्षा
इन-विट्रो गैमेटोजेनेसिस (IVG)
- 14 Feb 2025
- 7 min read
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
शोधकर्त्ताओं ने इन-विट्रो गैमेटोजेनेसिस (IVG) विकसित किया है जो स्टेम कोशिकाओं से प्रयोगशाला आधारित प्रजनन को संभव बनाता है, तथा इसमें इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) की तुलना में अधिक लाभ हैं ।
इन-विट्रो गैमेटोजेनेसिस (IVG) क्या है?
- IVG परिचय: IVG, एक नई प्रजनन तकनीक है जो त्वचा, बाल या रक्त से एकत्रित स्टेम कोशिकाओं से अंडे और शुक्राणु बनाती है ।
- प्रयोगशाला में विकसित इन युग्मकों को निषेचित करके भ्रूण निर्मित किया जा सकता है, जिसे गर्भधारण के लिये सरोगेट में प्रत्यारोपित किया जाता है।
- वैज्ञानिक सफलता: जापान में वैज्ञानिकों ने IVG का उपयोग करके सफलतापूर्वक चूहों पर किया, जबकि ब्रिटेन के शोधकर्त्ताओं को तीन वर्ष के भीतर मानव परीक्षण की आशा है।
- IVF के विपरीत, बांझ महिलाओं, समान लिंग वाले जोड़े और बुज़ुर्ग महिलाओं, दाता की आवश्यकता के बिना, स्वाभाविक रूप से गर्भधारण करने में सक्षम हो सकते हैं।
- भारत के लिये महत्त्व: कई सामाजिक-जैविक कारकों के कारण IVG भारत के मामले में सहायक हो सकता है जैसे:
- भारतीय महिलाओं की प्रजनन आयु विदेशी महिलाओं की तुलना में छह वर्ष पहले घट रही है।
- पुरुषों के शुक्राणुओं की संख्या में पिछले 50 वर्षों में गिरावट आई है और अगले चार दशकों में यह न्यूनतम स्तर पर पहुँच सकती है ।
- भारत की जनसंख्या 2.1 प्रतिस्थापन स्तर से नीचे आ गई है, जिससे वृद्धावस्था संकट का खतरा उत्पन्न हो गया है।
इन-विट्रो गैमेटोजेनेसिस (IVG) और इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) के बीच अंतर:
पहलू |
इन-विट्रो गैमेटोजेनेसिस (IVG) |
इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) |
युग्मक स्रोत |
स्टेम कोशिकाओं को इच्छित दम्पति के अण्डाणु या शुक्राणु में परिवर्तित करता है । |
इसके लिये इच्छित दम्पति या दाताओं से प्राकृतिक अण्डे और शुक्राणु की आवश्यकता होती है । |
आनुवंशिक संपादन |
निषेचन ( डिज़ाइनर बेबी ) से पहले हानिकारक लक्षणों को हटाने की अनुमति देता है । |
आनुवंशिक विकारों के लिये भ्रूण की जाँच तक सीमित । |
प्रजनन आयु |
नए युग्मक का निर्माण करके किसी भी उम्र में पितृत्व प्राप्त किया जा सकता है। |
प्रजनन क्षमता आयु-संबंधी कारकों से सीमित होती है, क्योंकि उम्र के साथ अण्डे और शुक्राणु की गुणवत्ता कम हो जाती है। |
कानूनी स्थिति |
अधिकांश देशों में अभी तक विनियमित नहीं है । |
विश्व भर में विनियमित एवं व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है । |
नैतिक चिंताएँ |
डिज़ाइनर बेबी और आनुवंशिक चयन (जैसे, शारीरिक लक्षणों, बुद्धि आदि का चयन) के बारे में चिंता व्यक्त की गई है। |
यह कम विवादास्पद है, लेकिन इसमें भ्रूण का चयन शामिल है। |
स्टेम कोशिकाएँ
- स्टेम कोशिकाएँ, अद्वितीय कोशिकाएँ होती हैं जो रक्त, हड्डी और मांसपेशियों जैसी विशिष्ट कोशिकाओं का निर्माण करती हैं, तथा ऊतकों की मरम्मत और शारीरिक कार्यों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं ।
प्रकार:
- भ्रूणीय (बहुशक्तिशाली) स्टेम कोशिकाएँ : किसी भी प्रकार की कोशिका बन सकती हैं, जो भ्रूण या गर्भनाल रक्त से प्राप्त होती हैं ।
- ऊतक-विशिष्ट (बहुशक्तिशाली/एकशक्तिशाली) स्टेम कोशिकाएँ : केवल अपने ऊतकों के लिये कोशिकाएँ उत्पन्न करती हैं, उदाहरण के लिये, रक्त स्टेम कोशिकाएँ ।
- प्रेरित प्लुरिपोटेंट स्टेम कोशिकाएँ (iPSCs) : अनुसंधान और दवा परीक्षण के लिये भ्रूण स्टेम कोशिकाओं की नकल करने वाली प्रयोगशाला निर्मित कोशिकाएँ ।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न. मानव प्रजनन प्रौद्योगिकी में अभिनव प्रगति के संदर्भ में "प्राक्केन्द्रिक स्थानांतरण ”(Pronuclear Transfer) का प्रयोग किस लिये होता है। (2020) (a) इन विट्रो अंड के निषेचन के लिये दाता शुक्राणु का उपयोग उत्तर: (d) प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) |