IMEI नंबर | 03 Oct 2022
दूरसंचार विभाग (DoT) ने मोबाइल फोन निर्माताओं के लिये भारत सरकार के भारतीय नकली डिवाइस प्रतिबंध पोर्टल (Indian Counterfeited Device Restriction portal) के साथ भारत में बने सभी हैंडसेट की अंतर्राष्ट्रीय मोबाइल उपकरण पहचान (International Mobile Equipment Identity-IMEI) को पंजीकृत करना अनिवार्य कर दिया है।
- भारत में आयात किये गए मोबाइल फोन के IMEI नंबर को भी देश में मोबाइल फोन के आयात से पहले सरकार के पोर्टल पर पंजीकृत करना होगा।
IMEI नंबर
- परिचय: IMEI एक अद्वितीय संख्या है जिसका उपयोग मोबाइल नेटवर्क पर किसी डिवाइस की पहचान करने के लिये किया जाता है। इसमें 15 अंक होते हैं और यह फोन की विशिष्ट पहचान की तरह होता है।
- दूरसंचार विभाग और सीमा शुल्क विभाग भारत में आने वाले हैंडसेट के IMEI नंबरों की जाँच करने और रिकॉर्ड के लिये मिलकर काम करते हैं।
- कार्य: नंबर का उपयोग किसी डिवाइस की पहचान को सत्यापित करने के लिये किया जाता है जब कोई उपयोगकर्त्ता इंटरनेट का उपयोग करता है या इसके माध्यम से कॉल करता है। डुअल-सिम विकल्प वाले फोन में दो IMEI नंबर (प्रत्येक सिम के लिये एक) होते हैं।
- IMEI नंबर नेटवर्क प्रदाताओं को किसी डिवाइस के चोरी होने या खो जाने की स्थिति में उसे ट्रैक करने में मदद कर सकता है। एक बार इस तरह के नुकसान या चोरी की सूचना मिलने के बाद नेटवर्क प्रदाता नए सिम कार्ड के साथ भी सेलुलर नेटवर्क तक डिवाइस की पहुँच से वंचित कर सकते हैं।
- वर्गीकरण- संचार मंत्रालय ने पूर्व में एक केंद्रीय उपकरण पहचान रजिस्टर (CIER) शुरू किया जिसके आधार पर मोबाइल फोन को उनकी IMEI स्थिति के आधार पर तीन सूचियों- सफेद, ग्रे और काले रंग में वर्गीकृत किया जाता है।
- सफेद सूची में शामिल IMEI नंबर वाले मोबाइल फोन के उपयोग की अनुमति होती है जबकि काली सूची में ऐसे मोबाइल फोन शामिल होते हैं जिनकी चोरी या गुम होने की सूचना के आधार पर उनके नेटवर्क को अवरुद्ध किया जाता है।
- ग्रे लिस्ट में शामिल IMEI नंबर वाले डिवाइस मानकों के अनुरूप नहीं होते हैं लेकिन इन्हें पर्यवेक्षण के तहत कनेक्ट करने की अनुमति होती है। यह DoT को IMEI- आधारित वैध अवरोधन की भी अनुमति देता है।
- फेरबदल की रोकथाम: 2017 में सरकार ने IMEI नंबरों के साथ छेड़छाड़ को दंडनीय अपराध बनाया जिसमें जेल की सजा भी हो सकती है।
IMEI नंबर को अनिवार्य बनाने की ज़रूरत क्यों है?
- यह पाया गया है कि डुप्लिकेट हैंडसेट बनाने के लिये भी IMEI नंबरों को पुन: प्रोग्राम किया गया है, ऐसे में आपूर्तिकर्त्ता से लेकर विक्रेता तक किसी को यह एहसास नहीं हो सकता है कि डुप्लिकेट कोड वाला फोन बेचा गया है।
- मोबाइल फोन की चोरी और क्लोनिंग को रोकना: मोबाइल फोन की चोरी और क्लोनिंग एक गंभीर समस्या बन गई है। मोबाइल फोन की चोरी न केवल आर्थिक नुकसान है बल्कि नागरिकों के निजी जीवन के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये भी खतरा है।
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