हैदराबाद मुक्ति दिवस | 05 Sep 2022
तेलंगाना सरकार और केंद्र सरकार 17 सितंबर, 2022 को हैदराबाद की मुक्ति के 75 वर्ष पूर्ण होने का आयोजन मनाएँगे, जो निज़ाम शासन के तहत भारतीय संघ के साथ तत्कालीन हैदराबाद राज्य के विलय को दर्शाता है।
हैदराबाद रियासत के भारत में एकीकरण का इतिहास:
- हैदराबाद भारत के सबसे बड़े मूल निवासी/रियासतों में से एक था। यह निजाम द्वारा शासित था जिन्होंने ब्रिटिश संप्रभु की सर्वोच्चता को स्वीकार किया था।
- जूनागढ़ के नवाब और कश्मीर के शासक की तरह हैदराबाद के निज़ाम भारत को आज़ादी यानी 15 अगस्त, 1947 से पूर्व भारत में शामिल नहीं हुए थे।
- उन्हें पाकिस्तान और मुस्लिम मूल के नेताओं द्वारा एक स्वतंत्र शक्ति के रूप में अपना अस्तित्त्व बनाये रखने और एकीकरण का विरोध करने के लिये अपने सशस्त्र बलों में सुधार करने के लिये प्रोत्साहित किया गया था।
- इस सैन्य सुधार के दौरान, हैदराबाद राज्य में आंतरिक अराजकता का उदय हुआ, जिसके कारण 13 सितंबर, 1948 को भारतीय सेना को ‘ऑपरेशन पोलो’ (हैदराबाद को भारत संघ में मिलाने के लिये सैन्य अभियान) के तहत हैदराबाद भेजा गया था, क्योंकि हैदराबाद में कानून-व्यवस्था की स्थिति ने दक्षिण भारत की शांति के लिये खतरा पैदा कर दिया।
- सैनिकों को रज़ाकारों (एकीकरण का विरोध करने वाले निजी मिलिशिया) के हल्के-फुल्के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा और 13-18 सितंबर के मध्य सेना ने राज्य पर पूर्ण नियंत्रण कर लिया।
- ऑपरेशन के कारण बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा हुई, जिसमें 27,000-40,000 लोगों की मौत का अनुमान लगाया गया था, जिसमें 200,000 या उससे अधिक के विद्वान थे।
- एकीकरण के बाद निज़ाम को वही दर्जा प्रदान किया गया था, जो भारत के साथ विलय करने वाले अन्य राजाओं को प्राप्त था ।
- पकिस्तान द्वारा इस संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र में की गई शिकायतों को भी अस्वीकार कर दिया गया और पाकिस्तान के ज़ोरदार विरोध तथा अन्य देशों की कड़ी आलोचना के बावजूद, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इस मामले में आगे हस्तक्षेप नहीं किया, अंततः हैदराबाद का भारत में विलय हो गया।
Q. भारतीय इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) व्याख्या:
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