डोडो की मानव-प्रेरित विलुप्ति | 17 Sep 2024

स्रोत: TH

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी म्यूज़ियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के शोधकर्त्ताओं और अन्य द्वारा किये गए एक नए अध्ययन ने इस विचार को चुनौती दी है कि डोडो एक सुस्त एवं स्थूल पक्षी है। 

  • अध्ययन में साक्ष्य मिले है कि डोडो और उससे संबंधित प्रजाति, रॉड्रिक्स सॉलिटेयर, वास्तव में तेज़ गति से चलने वाले अनुकूलित वन पक्षी थे। 
  • डोडो के विलुप्त होने का मुख्य कारण उनमें बुद्धिमत्ता की कमी नहीं, बल्कि उनके आवास में मानवीय गतिविधियों और आक्रामक गैर-मूल प्रजातियों (जैसे- सूअर, चूहे और बिल्लियों) का समावेशन था, जो उनके अंडों एवं चूजों का शिकार करते थे।
  • DNA एनालिसिस के माध्यम से यह सिद्ध किया गया है कि डोडो कबूतरों के परिवार (कोलंबिडे) से संबंधित था और इसकी निकट संबंधी प्रजाति निकोबार कबूतर थी।

डोडोस और रॉड्रिग्स सॉलिटेयर्स:

डोडो 

सॉलिटेयर्स

वैज्ञानिक नाम

राफस क्यूकुलैटस

पेजोफैप्स सॉलिटेरिया

विशेषताएँ

इसके पंख भूरे रंग के थे तथा इसकी चोंच बड़ी और मुड़ी हुई थी।

  • इसमें स्पष्ट यौन द्विरूपता प्रेक्षित हुई। 
  • नर डोडो की कलाई पर एक बड़ी हड्डीदार गाँठ होती थी।

प्राकृतिक आवास

मॉरीशस द्वीप का स्थानिक और वनों में निवास करने वाला

मॉरीशस के रॉड्रिग्स द्वीप में स्थानिक 

विकासवादी इतिहास

डोडो में संभवतः दौड़ने की प्रबल क्षमता थी।

मॉरीशस में शिकारियों की अनुपस्थिति के कारण यह उड़ने में असमर्थ हो गया।

खोज और विलुप्ति

वर्ष 1681 में विलुप्त 

विलुप्त (अंतिम बार 1760 के दशक में पुष्टि हुई)

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