होयसल में श्री माधव पेरुमल मंदिर द्वारा व्यापार मार्ग का खुलासा | 09 May 2024

स्रोत: द हिंदू 

हाल ही में श्री माधव पेरुमल मंदिर में पाए गए अभिलेख 1,000 वर्ष पूर्व के एक प्रमुख व्यापार मार्ग के अस्तित्व का संकेत देते हैं, जो पश्चिमी तमिलनाडु के कोंगु क्षेत्र को दक्षिणी कर्नाटक और केरल से जोड़ता है।

माधव पेरुमल मंदिर के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • परिचय:
    • यह मंदिर हिंदू देवता विष्णु को समर्पित है, जिन्हें माधव पेरुमल के रूप में पूजा जाता है। यह मायलापुर, चेन्नई (तमिलनाडु राज्य) में स्थित है।
    • मायलापुर क्षेत्र होयसल राजवंश, विशेष रूप से राजा वीर बल्लाल-III के शासन के अधीन आया।
    • होयसल सेना के सेनापति ने 680 वर्ष पहले धंडनायक किले का निर्माण कराया था। किले के अंदर द्रविड़ शैली की वास्तुकला में मंदिर का निर्माण किया गया था।
    • कहा जाता है कि छठी से नौवीं शताब्दी ई.पू. के बारह अलवार संतों में से पहले तीन में से एक, पेयालवार का जन्म इसी मंदिर में हुआ था।
    • इरोड ज़िले में भवानीसागर बाँध के जल-प्रसार क्षेत्र में काफी हद तक डूबा हुआ मंदिर बाँध में जल स्तर कम होने के पर दिखाई देने लगा।
  • मंदिर अभिलेख:
    • अभिलेखों से थुरावलुर नामक गाँव के अस्तित्व का पता चला।
    • यह क्षेत्र मुख्य मार्ग के रूप में कार्य करता था, क्योंकि व्यापारी केरल के वायनाड और कर्नाटक के अन्य स्थानों पर पहुँचने के लिये भवानी तथा मोयार नदियों को पार करते थे।
    • वर्ष 1948 में भवानीसागर बाँध के निर्माण के परिणामस्वरूप स्थानीय निवासियों का स्थानांतरण हुआ और 1953 में मंदिर की मूर्तियों को नए स्थानों पर स्थानांतरित किया गया।

भवानीसागर बाँध: 

  • यह भारत में तमिलनाडु के इरोड ज़िले में स्थित है। 
  • यह बाँध भवानी नदी पर बनाया गया है। यह विश्व के सबसे बड़े मिट्टी के बाँधों में से एक है।
  • भवानी नदी पश्चिमी घाट की नीलगिरि पहाड़ियों से निकलती है, केरल के साइलेंट वैली नेशनल पार्क में प्रवेश करती है तथा तमिलनाडु की ओर बहती है। भवानी नदी कावेरी नदी की प्रमुख सहायक नदियों में से एक है।

होयसल राजवंश के विषय में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • उत्पत्ति एवं उत्थान:
    • होयसल, कल्याणी के चालुक्य अथवा पश्चिमी चालुक्य साम्राज्य के सामंत थे।
      • इस साम्राज्य के पहले राजा द्वारसमुद्र (वर्तमान हालेबिड) के उत्तर-पश्चिम की पहाड़ियों से आए थे, जो 1060 ईस्वी में उनकी राजधानी बनी।
    • होयसल राजवंश के सबसे उल्लेखनीय शासक विष्णुवर्धन, वीर बल्लाल द्वितीय और वीर बल्लाल तृतीय थे।
      • विष्णुवर्धन (जिन्हें बिट्टीदेव के नाम से भी जाना जाता है) होयसल राजवंश के सबसे महान राजा थे।
    • होयासलों ने 11वीं से 14वीं शताब्दी के बीच कावेरी (कावेरी) नदी घाटी में कर्नाटक और तमिलनाडु तक फैले क्षेत्र पर शासन किया।
    • बाद में, विजयनगर राजवंश होयसलों का उत्तराधिकारी बना।
  • धर्म एवं संस्कृति:
    • इस राजवंश ने हिंदू, जैन एवं बौद्ध धर्म जैसे विभिन्न धर्मों को संरक्षण दिया।
    • राजा विष्णुवर्धन प्रारंभ में जैन थे परंतु बाद में संत रामानुज के प्रभाव में आकर वह वैष्णव धर्म में परिवर्तित हो गए।
  • मंदिर स्थापत्यकला:
    • होयसल मंदिर 12वीं और 13वीं शताब्दी ईस्वी में बनाए गए थे, जो बेसर  शैली की अनूठी वास्तुकला एवं कलात्मकता का प्रदर्शन करते हैं।
    • होयसल मंदिरों में बेलूर का चेन्नाकेशव मंदिर, हालेबिड का होयसलेश्वर मंदिर, सोमनाथपुर का केशव मंदिर,UNESCO विश्व धरोहर स्थल हैं और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित हैं।
    • होयसल वास्तुकला मध्य भारत में प्रचलित भूमिजा शैली, उत्तरी और पश्चिमी भारत की नागर परंपराओं एवं कल्याणी के चालुक्यों द्वारा समर्थित कर्नाटक द्रविड़ शैलियों के विशिष्ट मिश्रण के लिये जानी जाती है।
      • इनमें कई मंदिर हैं जो एक केंद्रीय स्तंभ वाले हॉल के चारों ओर समूहित हैं और एक जटिल डिज़ाइन वाले तारे के आकार में बनाए गए हैं।
    • वे सोपस्टोन से बने हैं जो अपेक्षाकृत नरम पत्थर है, कलाकार उनकी मूर्तियों को जटिल रूप से तराशने में सक्षम थे।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. नागर, द्रविड़ और वेसर हैं– (2012)

(a) भारतीय उपमहाद्वीप के तीन मुख्य जातीय समूह
(b) तीन मुख्य भाषा वर्ग, जिनमें भारत की भाषाओं को विभक्त किया जा सकता है
(c) भारतीय मंदिर वास्तु की तीन मुख्य शैलियाँ
(d) भारत में प्रचलित तीन मुख्य संगीत घराने

उत्तर: C


मेन्स: 

प्रश्न. मंदिर वास्तुकला के विकास में चोल वास्तुकला का उच्च स्थान है। विवेचना कीजिये। (2013)