हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन और काकोरी ट्रेन एक्शन | 23 Dec 2023
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
छियानवे वर्ष पूर्व दिसंबर, 1927 में काकोरी ट्रेन एक्शन/षड्यंत्र के 2 वर्ष बाद भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के चार क्रांतिकारियों को फाँसी दी गई थी, जिसमें हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) के सदस्यों ने ब्रिटिश खजाने में धन ले जाने वाली ट्रेन को लूट लिया था।
- यह उनके बलिदान और बहादुरी की मार्मिक याद दिलाता है और भारत के स्वतंत्रता संग्राम को आयाम देने में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिकाओं पर पुनर्विचार करता है।
हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन से संबंधित मुख्य बिंदु क्या हैं?
- पृष्ठभूमि: महात्मा गांधी ने वर्ष 1920 में असहयोग आंदोलन की शुरुआत की, अहिंसा पर ज़ोर देते हुए भारतीयों से देश में ब्रिटिश गतिविधियों का समर्थन करना बंद करने का आग्रह किया।
- हालाँकि वर्ष 1922 में चौरी-चौरा घटना के बाद आंदोलन की दिशा बदल गई, जहाँ पुलिस की गोलीबारी में प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई और उसके बाद भीड़ के हमले में पुलिसकर्मियों की मौत हो गई।
- भारतीय राष्ट्रिय काॅन्ग्रेस के भीतर आंतरिक असंतोष के बावजूद, गांधी ने आंदोलन को अचानक रोक दिया।
- स्थापना: असहयोग आंदोलन को रोकने के फैसले से युवाओं के एक समूह का मोहभंग हो गया, जिन्होंने हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) की स्थापना की।
- समूह के संस्थापक राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक-उल्लाह खान, दोनों को कविता का शौक था। अन्य में सचिंद्र नाथ बख्शी और ट्रेड यूनियनिस्ट जोगेश चंद्र चटर्जी शामिल थे।
- चंद्रशेखर आज़ाद और भगत सिंह जैसी हस्तियाँ भी HRA में शामिल हुईं।
- घोषणापत्र: 1 जनवरी, 1925 को जारी उनके घोषणापत्र का शीर्षक क्रांतिकारी था। इसने क्रांतिकारी पार्टी: एक संगठित, सशस्त्र क्रांति के माध्यम से यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ इंडिया के एक संघीय गणराज्य की स्थापना, के उद्देश्य की घोषणा की।
- क्रांतिकारियों को न तो आतंकवादी और न ही अराजकतावादी के रूप में चित्रित किया गया; उन्होंने आतंकवाद को अपने एक लक्ष्य के रूप में स्वीकार करने से खारिज़ कर दिया, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर इसे एक शक्तिशाली प्रतिशोधात्मक उपाय के रूप में स्वीकार किया।
- HRA का दृष्टिकोण: उन्होंने सार्वभौमिक मताधिकार और समाजवादी सिद्धांतों पर आधारित एक गणतंत्र की कल्पना की, जिसमें मानव शोषण को सक्षम करने वाली प्रणालियों के उन्मूलन को प्राथमिकता दी गई।
- HRA का विकास: समाजवादी विचारधाराओं की ओर बदलाव के कारण HRA वर्ष 1928 में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) में तब्दील हो गया, जिसने अपना ध्यान राजनीतिक स्वतंत्रता से हटाकर सामाजिक-आर्थिक समानता पर केंद्रित कर लिया।
- भगत सिंह जैसी हस्तियों के नेतृत्व में, HSRA ने राष्ट्रवादी आकांक्षाओं को समाजवादी सिद्धांतों के साथ मिला दिया, जिससे भारत के स्वतंत्रता संग्राम की दिशा बदल गई।
काकोरी ट्रेन षड्यंत्र क्या था?
- अगस्त 1925 में काकोरी में ट्रेन डकैती HRA की पहली बड़ी कार्रवाई थी। 8 नंबर की डाउन ट्रेन शाहजहाँपुर और लखनऊ के बीच चली थी।
- जैसे ही ट्रेन काकोरी के पास पहुँची, एक क्रांतिकारी (राजेंद्रनाथ लाहिड़ी) ने ट्रेन को रोकने के लिये आपातकालीन चेन खींच दी और गार्ड को पकड़ लिया। ट्रेन में सरकारी धन से भरे खज़ाने के बैग थे जिन्हें लखनऊ में ब्रिटिश खज़ाने में जमा किया जाना था।
- क्रांतिकारियों ने इस धन को लूटने की योजना बनाई, जिसके बारे में उनका मानना था कि यह वैसे भी वैध रूप से भारतीयों का है।
- उनका उद्देश्य HRA को वित्त पोषित करना और अपने काम तथा मिशन के लिये जनता का ध्यान आकर्षित करना था।
- ब्रिटिश अधिकारियों ने कठोर कार्रवाई शुरू की, जिससे कई HRA सदस्यों की गिरफ्तारी हुई।
- गिरफ्तार किये गए चालीस व्यक्तियों में से चार को मौत की सज़ा मिली (17 दिसंबर को राजेंद्रनाथ लाहिड़ी और 19 दिसंबर को अशफाक-उल्लाह खान, राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह) तथा अन्य को लंबे कारावास का सामना करना पड़ा।
- चन्द्रशेखर आज़ाद एकमात्र प्रमुख HRA नेता थे जो गिरफ्त से बचने में कामयाब रहे।