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हाई एल्टीट्यूड सिकनेस

  • 29 Nov 2024
  • 3 min read

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में उत्तराखंड में एक चोटी पर चढ़ने का प्रयास करते समय केरल के एक ट्रैकर की हाई एल्टीट्यूड सिकनेस (High-Altitude Sickness- HAS) या तीव्र पर्वतीय बीमारी (Acute Mountain Sickness- AMS) के कारण हुई मृत्यु ने पहाड़ों में ट्रैकिंग के खतरों की ओर ध्यान आकर्षित किया है। 

  • लोकप्रिय ट्रैकिंग मार्ग प्रायः 3,000 मीटर से अधिक ऊँचे होते हैं, जिससे अपरिचित ट्रेकर्स में AMS का खतरा बढ़ जाता है।
  • हाई एल्टीट्यूड सिकनेस तब होती है जब व्यक्ति पर्याप्त अनुकूलन के बिना 2,400 मीटर से उच्च ऊँचाई पर तेज़ी से चढ़ जाता है।
    • जैसे-जैसे ऊँचाई बढ़ती है, वायुदाब और ऑक्सीजन का स्तर दोनों कम हो जाते हैं, जिससे हाइपोक्सिया उत्पन्न होता है, जो शरीर के ऊतकों में ऑक्सीजन की कमी है।
    • इसके लक्षणों में सिरदर्द, मतली, थकान और सांस लेने में तकलीफ शामिल हैं।
  • HAS/AMS के गंभीर मामलों में हाई एल्टीट्यूड पल्मोनरी एडिमा (High Altitude Pulmonary Edema- HAPE) और हाई एल्टीट्यूड सेरेब्रल एडिमा (High Altitude Cerebral Edema- HACE) हो सकती है, जो दोनों ही जीवन के लिये खतरा पैदा करने वाली स्थितियाँ हैं, जिनमें तत्काल उपचार की आवश्यकता होती है।
    • उच्च ऊँचाई पर शरीर अपनी सांसों की गति बढ़ाकर (हाइपरवेंटिलेशन का कारण बन सकता है) अधिक लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करके, रक्त को गाढ़ा करके तथा हृदय पर दबाव डालकर अनुकूलन करता है। 
    • HAPE के कारण फेफड़ों में तरल पदार्थ जमा हो जाता है और सांस लेने में समस्या हो जाती है, जबकि HACE के कारण भ्रम, मतिभ्रम और कोमा की स्थिति पैदा हो जाती है।
  • उपचार रणनीतियाँ:
    • आपातकालीन स्थितियों में पूरक ऑक्सीजन या पोर्टेबल हाइपरबेरिक चैम्बर AMS और HACE के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।
    • एसिटाज़ोलैमाइड और डेक्सामेथासोन जैसे औषधीय उपचार, अल्पकालिक राहत प्रदान कर सकते हैं।

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